NEET Biology 

सजीव जगत (चैप्टर-1)

1. सूची-1 में दी गई मदों का सूची-2 की मदों से मिलान कीजिए और नीचे दिए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए। (NEET Biology Free Test)

सूची-1    सूची-2
A. पादपालय1. परिरक्षित पादपों और जन्तुओं के संग्रह का एक स्थान |
B. कुंजी2. एक क्षेत्र में पाई  जाने वाली सभी जातियों का विधिपूर्वक गणन करने और  उनकी पहचान की सुगमता के लिए संक्षिप्त वर्णन करती हुई एक सूची |
C. संग्रहालय3. ऐसा स्थान जहां पादप नमूनों को सुखाकर और दबाकर कागज पर आरोपित कर रखा जाता है |
D. ग्रंथसूची4. एक पुस्तिका जिसमें लक्षणों की सूची और उनके विकल्प होते हैं, जो विभिन्न वर्गकों की  पहचान करने में सहायक होते हैं |

   कूट

 ABCD
(अ)2431
(ब)3214
(स)1432
(द)3412

व्याख्या-(द)

पादपालय ऐसा स्थान है, जहां पादप नमूनों को सुखाकर और दबाकर कागज के पत्र पर आरोपित करके रखा जाता है। कंुजी एक पुस्तिका है, जिसमें लक्षणों की सूची और उनके विकल्प होते हैं, जो विभिन्न वर्गकों की पहचान करने में सहायक होते हैं। संग्रहालय वह स्थान है जहां परिरक्षित पादप व जन्तुओं का संग्रह अवलोकन हेतु किया जाता है। ग्रंथसूची एक क्षेत्र में पायी जाने वाली सभी जातियों का विधिपूर्वक गणन करते हुए और उनकी पहचान की सुगमता के लिए संक्षिप्त वर्णन करने वाली सूची होती है।

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2. निम्न में से कौन घोड़े का गण दर्शाता है?

(अ) पेरिसोडैक्टाइल(ब) केबैलस   (स) केरस  (द) इक्विडी

व्याख्या-(अ)

परिसोडैक्टाइल घोड़े (इक्वस केबैलस) का गण है।

वैज्ञानिक वर्गीकरण –

संघ- कशेरुकी

वर्ग- स्तनधारी

गण- पेरिसोडैक्टाइल

कुल- इक्विडी

वंश- इक्वस

जाति- केबैलस

 

3. पादपालय पत्र के नामपत्र में निम्नलिखित में से कौनसी सूचना अंकित नहीं होती?

(अ) पादप की ऊँचाई

(ब) संग्रह की तारीख

(स) संग्रहकर्ता का नाम

(द) स्थानीय नाम

व्याख्या-(अ)

हरबेरियम की शीट पर पादप की ऊँचाई का वर्णन नहीं किया जाता है। पादपालय या हरबेरियम पादपों के वह नमूने हैं, जिन्हें वनस्पति संग्रहालय में कागज की शीट पर दबाकर व सुखाकर परिरक्षित करते हैं। हरबेरियम की शीट पर लगे एक लेबल पर पादप को एकत्र करने की तिथि, पादप का स्थानीय नाम, अंग्रेजी, हिन्दी का नाम, कुल एवं एकत्र करने वाले का नाम लिखा जाता है।

4. नाम-पद्धति कुछ विशेष सार्वजनिक मान्य नियमोें द्वारा निर्धारित होती है। निम्नलिखित में से कौनसा एक कथन नाम-पद्धति नियमो के विरुद्ध है?

(अ) जैविक नाम में पहला शब्द वंश नाम और दूसरा जाति संकेत पद को प्र्रदर्शित करता है

(ब) नामों को लैटिन भाषा में और तिरछे अक्षरों में लिखा जाता है

(स) नाम को जब हाथ से लिखते हैं, तो उसे रेखांकित किया जाता है

(द) जैविक नाम को किसी भी भाषा में लिखा जा सकता है

व्याख्या-(द)

नामकरण के अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार, किसी भी प्राणी या पादपक का जैविक नाम लैटिन भाषा में व्युत्पन्न व तिरछे अक्षरों में छपा होना चाहिए। इसे किसी भी भाषा में नहीं लिखा जा सकता है।

प्रत्येक जीव को एक वंश तथा एक जातीय नाम दिया जाता है।

प्रत्येक जीव का वैज्ञानिक नाम लैटिन भाषा में लिखा जाता है।

वंश का नाम पहले तथा जाति का नाम बाद में आना चाहिए।

जीवों के वैज्ञानिक नाम को सदैव तिरछे अक्षरों में लिखा जाना चाहिए। हस्तलिपि में इन नामों के नीचे लाइन खींची जानी चाहिए।

अंग्रेजी में वंश के नाम का पहला अक्षर बड़ा और जाति के नाम का पहला अक्षर छोटा होना चाहिए।

 

5. निम्नलिखित में से कौनसा कथन सही नहीं है?

(अ) पादपालय में शुष्कीकृत, प्रेस किए गए परिरक्षित पादप नमूने होते हैं

(ब) वानस्पतिक उद्यान, जीवित पादपों का संग्रहण है

(स) संग्रहालय, पादपों और जन्तुओं के भागों (अंग) का संग्रहण है

(द) कुंजी, नमूनों को पहचानने के लिए वर्गिकी एक सहायक है

 

व्याख्या-(स) संग्रहालय पादपों और जन्तुओं के मृत बचे भागों और नमूहों के समूह का संग्रहण है, जिससे अध्ययन में सुविधा होती है। नमूनों को किसी पात्र में परिरक्षित करने के लिए पात्र में परिरक्षित रसायन युक्त विलयन मिलाकर रखा जाता है। इसकी व्याख्या के लिए उत्तर संख्या 3 देखें।

वनस्पति उद्यान, जीवित पादपों का संग्रहण है। कुंजी समानताओं और असमानताओं के आधार पर पादपों और जन्तुओं की पहचान के लिए वर्गिकी सहायक है।

6. निम्नलिखित में से किसी एक जीव का सही वैज्ञानिक नाम, जो नामकरण के अंतर्राष्ट्रीय नियमानुसार सही दिया गया है तथा जिसका सही वर्णन भी किया गया है, कौनसा है?

(अ) मस्का डोेमेस्टिक – सामान्य घरेलू छिपकली, एक सरीसृप

(ब) प्लाज्मोडियम फैल्सीपैरम – एक प्रोटोजोआ रोगजनक जिससे सर्वाधिक गंभीर प्रकार का मलेरिया होता है

(स) फेलिस टिगरिस – भारतीय बाघ, गिर जंगलों में भली-भांति सुरक्षित

(द) ई.कोलाई – पूरा नाम एण्टअमीबा कोलाई, मानव की आंतों में सामान्यतया पाया जाने वाला एक जीवाणु है

व्याख्या-(ब) दिए गए विकल्पों में विकल्प (ब) सही है। प्लाज्मोडियम फैल्सीपैरम से सर्वाधिक गंभीर प्रकार का मलेरिया होता है। अन्य विकल्प गलत हैं।

मस्का डोमेस्टिका घरेलू मक्खी है। यह आथ्र्रोपोडा संघ की सदस्य है।

ई.कोलाई का पूरा नाम इश्चेरिशिया कोलाई है, जो मनुष्य की आंत में पाया जाता है।

भारतीय बाघ का जन्तु वैज्ञानिक नाम पेन्थेरा टिगरिस है। यह गिर जंगलों में भली-भांति सुरक्षित है।

7. निम्नलिखित में से किस एक प्राणी को उसके विशिष्ट वर्गक व उस वर्गक की श्रेणी से सही प्रकार मिलाया गया है?

(अ) बाघ – टिगरिस, जो एक स्पीशीज़ है

(ब) कटल फिश – मोलस्का, जो एक वर्ग है

(स) मानव – प्राइमेटा, जो एक कुल है

(द) घरेलू मक्खी – मस्का, जो एक गण है

व्याख्या-(अ) दिए गए विकल्पों में विकल्प (अ) सही है। पेन्थेरा टिगरिस बाघ का वैज्ञानिक नाम है। इस नाम में टिगरिस जाति का संकेत पद है।

कटल फिश मोलस्का संघ का एक जन्तु है।

मानव-प्राइमेटा से संबंधित है, जो कि एक गण है।

मस्का घरेलू मक्खी के एक वंश नाम को दर्शाता है।

 

8. निम्नलिखित में से कौनसा सजीवों का एक अन्य लक्षण है?

(अ) पृथक् उपापचयी अभिक्रियाएं इन विट्रो होती हैं

(ब) केवल भीतर से भार में वृद्धि

(स) पर्यावरण में घटित होने वाली घटनाओं का संज्ञान

(द) बाहरी सतह एवं भीतरी दोनों ओर से पदार्थों के एकत्रण द्वारा भार में वृद्धि

व्याख्या-(स) सभी सजीवों का एक जटिल लक्षण यह है, कि उनमें अपने पर्यावरण में घटित होने वाली घटनाओं का संज्ञान एवं उनकी स्मृति की क्षमता होती है। ये विभिन्न पर्यावरणीय उत्तेजनाओं (भौतिक, रासायनिक अथवा जैविक) के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। पृथक् उपापचयी क्रियाएँ प्रयोगशाला में निर्जीव रसायनों द्वारा भी कराई जा सकती हैं। उदाहरण – मिलर व यूरे का परीक्षण। निर्जीव पदार्थों की मात्रा में वृद्धि को भी ‘वृद्धि’ के अंतर्गत ही रखा जाता है।

 

9. सजीव जीवों को निर्जीव वस्तुओं से निरपवाद रूप से उनकी किस क्षमता के आधार पर पहचाना जा सकता है?

(अ) स्पर्श के लिए संवेदनशीलता

(ब) पर्यावरण के साथ अन्योन्यक्रिया एवं प्रगतिशील विकास

(स) जनन

(द) वृद्धि एवं गति

व्याख्या-(अ) सजीवों में स्पर्श के लिए संवेदनशीलता का अभिलाक्षणिक गुण पाया जाता है, जिससे सभी जीव अपने चारों ओर के वातावरण में होने वाले परिवर्तनों का अनुभव (संवेदनशीलता) करता है व उसके प्रति प्रतिक्रिया दर्शाता है; जैसे – सर्दियों में पक्षियों द्वारा अपने पंखों को खड़ा करके शरीर को फुला लेना। भार में वृद्धि सजीवों व निर्जीवों दोनों में होती है, जैसे – रेत के टीले में वृद्धि। निर्जीवों में गति हो सकती है, परंतु वह स्वयं के द्वारा नहीं होती। जैसे – किताब को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखना। इसी प्रकार जनन भी सभी जीवों में नहीं पाया जाता, जैसे – खच्चर, कामगार मधुमक्खी।

 

10. ICBN का पूरा नाम क्या है?

(अ) इण्डियन कांग्रेस ऑफ बायोलाॅजिकल नेम्स

(ब) इण्टरनेशनल कोड ऑफ बाॅटेनिकल नोमेनक्लेचर

(स) इण्टरनेशनल कांग्रेस ऑफ बायोलाॅजिकल नेम्स

(द) इण्डियन कोड ऑफ बाॅटेनिकल नोमेनक्लेचर

व्याख्या-(ब) ICBN पूरा नाम इंटरनेशनल कोड ऑफ बाॅटेनिकल नोमेनक्लेचर है। इसके द्वारा पादपों का वैज्ञानिक नामकरण होता है। इसके द्वारा प्रस्तावित वैज्ञानिक नाम पूरे विश्व में एक ही होते हैं।

 

11. जैविक संघटना किस स्तर से प्रारंभ होती है?

(अ) उपसूक्ष्मदर्शीय आण्विक स्तर

(ब) कोशिकीय स्तर

(स) जीव स्तर

(द) परमाणु स्तर

व्याख्या-(अ) जैविक संघटना उपसूक्ष्मदर्शीय आण्विक स्तर से प्रारंभ होती है, जहाँ पर चार प्रकार के अणु अर्थात् कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, प्रोटीन व न्यूक्लिक अम्ल कोशिका के अंगकों में संघटित होते हैं। सजीवों में संरचनात्मक क्रम निम्नानुसार होता है –

परमाणु-साधारण अणु-जैव अणु-अंगक -कोशिकाएँ-ऊतक-अंग-अंग तंत्र-जीव

 

12. फेनेटिक वर्गीकरण निम्न में से किस पर आधारित है?

(अ) लैंगिक लक्षणों पर

(ब) जीवित जीवों के पूर्वजों की लाइनेज पर

(स) जीवित जीवों के बाह्य लक्षणों पर

(द) DNA के लक्षणों पर आधारित डेण्डोग्राम पर

व्याख्या-(ब) फेनेटिक पद्धति जीवित जीवों के पूर्वजों की लाइनेज पर आधारित है। यह जातिवृत्तीय पद्धति का ही उन्नत भाग है। जीवाश्म-प्रमाणों की कमी होने पर प्राणियों का विकासीय संबंधों के आधार पर वर्गीकरण करना काफी जटिल प्रक्रिया है। अतः इस पद्धति ने वर्गिकी की कुछ मुख्य शाखाओं, जैसे – साइटोटैक्सोनाॅमी, कीमोटैक्सोनाॅमी, न्यूमेरिकल टैक्सोनाॅमी से वर्गीकरण के प्रमाण लिए हैं।

लैंगिक लक्षणों पर आधारित वर्गीकरण पद्धति, कृत्रिम पद्धति कहलाती है।

बाह्य लक्षणों पर आधारित वर्गीकरण को प्राकृतिक वर्गीकरण के अंतर्गत रखा गया है।

DNA के लक्षणों पर आधारित वर्गीकरण भी जातिवृत्तीय वर्गीकरण का ही एक भाग है।

13. जाति को कहा जा सकता है –

(अ) वर्गीकरण की वास्तविक इकाई जो टैक्सोनोमिस्टो ने दी

(ब) वास्तविक मूल वर्गीकरण की इकाई

(स) वर्गीकरण की सबसे छोटी इकाई

(द) मानव के मस्तिष्क की कोरी कल्पना, जिसे ठीक से परिभाषित नहीं किया जा सकता है

व्याख्या-(स) वर्गिकी अध्ययन में जीवों के वर्ग, जिसमें मौलिक समानता होती है, उसे जाति कहते है। जाति वर्गीकरण की सबसे छोटी इकाई है।

 

14. जैव-वर्गीकरण विज्ञान का उद्देश्य है –

(अ) जीवों का वर्गीकरण करना जो स्थूल आकारिकीय लक्षणों पर आधारित हो

(ब) जीवों के विविध वर्गकों का परिसीमन करना एवं उनके मध्य परस्पर संबंध स्थापित करना

(स) जीवों का वर्गीकरण करना जो उनके विकासीय इतिहास पर आधारित हो तथा सभी अध्ययन क्षेत्रों से विविध प्राचलों की सफलता पर उनका जातिवृत्त स्थापित करना

(द) जीवों को उनके कोशिका विज्ञानीय लक्षणों के आधार पर पहचानना और उन्हें व्यवस्थित करना

व्याख्या-(स) जैव वर्गीकरण में जीवों की विविधताओं का अध्ययन किया जाता है, जो जीवों के तुलनात्मक व विकासात्मक संबंधों पर आधारित होता है। इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न जातियों की पहचान, नामकरण एवं उनका अन्य जीवित जातियों के साथ संबंध स्थापित करना है।

 

15. फोटोलिथोट्रोप्स के लिए क्या सत्य है?

(अ) ये विकिरणों से ऊर्जा तथा कार्बनिक यौगिकों से हाइड्रोजन प्राप्त करते हैं

(ब) ये विकिरणों से ऊर्जा तथा अकार्बनिक यौगिकों से हाइड्रोजन प्राप्त करते हैं

(स) कार्बनिक यौगिकों से ऊर्जा प्राप्त करते हैं

(द) अकार्बनिक यौगिकों से ऊर्जा प्राप्त करते हैं

व्याख्या-(ब)फोटोलिथोट्राॅप्स वे जीव हैं, जो अकार्बनिक यौगिकों तथा प्रकाशीय विकिरणों के द्वारा अपनी ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। ये स्वयं का कार्बनिक पोषक तत्व कच्चे पदार्थों व विकिरण ऊर्जा से बनाते हैं।

 

16. वंश की तुलना में कौनसा लक्षण कम सामान्य है?

(अ) जाति(ब) प्रभाग

(स) वर्ग(द) कुल

व्याख्या-(अ) जाति, वंश की तुलना में कम सामान्य लक्षणों युक्त होती है, क्योंकि वर्गिकी पदानुक्रम में ऊपर से नीचे आते समय सामान्य लक्षणों की संख्या कम होती जाती है।

 

17. सभी जीवित तंत्रों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण लक्षण है –

(अ) O2 का प्रयोग कर ऊर्जा उत्पादन करना

(ब) आनुवंशिक सूचना का प्रतिलिपिकरण करना

(स) युग्मकों का उत्पादन करना

(द) सूर्य की ऊर्जा का प्रयोग उपापचयी क्रियाओं के लिए करना

व्याख्या-(ब) सभी जीवित तंत्रों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण लक्षण आनुवंशिक सूचनाओं का प्रतिलिपिकरण करना है। इसके कारण सूचनाएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुँचती है।

 

18. जीवित जीवों के वर्गीकरण का मुख्य उद्देश्य है –

(अ) जीवित जीवों की उत्पत्ति की व्याख्या करना

(ब) जीवित जीवों के विकास को टेªस करना

(स) जीवित जीवों का नामकरण करना

(द) अज्ञात जीवों की पहचान करना

व्याख्या-(द) जैविक वर्गीकरण, समानता और असमानता के आधार पर समूहों और उपसमूहों की श्रेणीबद्ध शृंखला में जीवों की वैज्ञानिक व्यवस्था है। यह जैव विकास के पथ तथा नई (अज्ञात) जातियों को पहचानने में सहायक होता है।

 

19. एक वर्गीकरण प्रणाली, जिसमें गुणों की बड़ी संख्या को लिया जाता है, वह है –

(अ) कृत्रिम प्रणाली(ब) सिन्थेटिक

(स) प्राकृतिक प्रणाली(द) जातिवृत्तीय

व्याख्या-(स) कृत्रिम वर्गीकरण प्रणाली में जीवों को उनके एक या दो या कुछ अन्य बाह्य लक्षणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, जैसे – जीवन अवधि, आवास, आकृति व आकार, जबकि प्राकृतिक वर्गीकरण प्रणाली अनेक लक्षणों, जैसे – प्राकृतिक संरचना कार्यिकी, स्वभाव व्यवहार, परिवर्धन के तुलनात्मक वर्गीकरण पर आधारित है। इस प्रणाली में संरचनात्मक लक्षणों की समानता एवं विषमता के आधार पर जीवों को सर्वप्रथम समूहों में तत्पश्चात् बारंबार विभाजित करके छोटे-छोटे वर्गों में रखते हैं।

 

20. ‘जेनेरा प्लाण्टेरम’ नामक पुस्तक किसने लिखी?

(अ) बेसी

(ब) हचिन्सन

(स) एंग्लर तथा प्राण्टल

(द) बेन्थम तथा हुकर

व्याख्या-(द) जाॅर्ज बेंथम तथा जोसेफ डाल्टन हुकर ने ‘जेनेरा प्लाण्टेरम’ नामक पुस्तक लिखी। यह पुस्तक आवृतबीजियों के वर्गीकरण की प्राकृतिक पद्धति पर आधारित थी।

 

21. जातिवृत्तीय वर्गीकरण आधारित है –

(अ) उपयोगी पद्धति

(ब) स्वभाव

(स) संपूर्ण समानता

(द) सामान्य जैव-विकासीय वंशज

व्याख्या-(द) आनुवंशिक, जननिक तथा विकासीय गुणों के आधार पर जीवों का वर्गीकरण, जातिवृत्तीय वर्गीकरण कहलाता है। किसी भी जीव-जाति के विकासीय क्रम व आनुवंशिक संबंधों को जातिवृत्ति कहते हैं।

लक्षणों पर आधारित प्रथम जातिवृत्त वर्गीकरण एडोल्फ एंग्लर तथा कार्ल प्राण्टल ने दिया। कार्ल प्राण्टल ने अपनी पुस्तक ‘डाई नेचुरलाइकेन फ्लांजेनफैमिलीयन में दिया। जैव विकासीय वंशज संबंधों को स्थापित करने में जीवाश्मों का बड़ा योगदान है। इस पद्धति से नई वर्गिकी का विकास हुआ।

 

22. द्विनाम पद्धति में दो शब्द होते हैं –

(अ) वंश तथा जाति

(ब) गण तथा कुल

(स) कुल तथा वंश

(द) जाति तथा किस्म

व्याख्या-(अ) द्विनाम पद्धति कैरोलस लिनियस द्वारा दी गई। इसके अनुसार, प्रत्येक जीव के नाम के दो भाग होते हैं। पहला भाग वंश को प्रदर्शित करता है, इसे जेनेरिक नाम कहते हैं, तथा दूसरा भाग जाति को दर्शाता है, इसे स्पेसिफिक नाम कहते हैं। जैसे – घरेलू चिड़िया का वैज्ञानिक नाम पैसर डोमेस्टिकस है, जहाँ पैसर ‘वंश’ को तथा डोमेस्टिकस ‘जाति’ को दर्शाता है।

 

23. द्विपद नाम पद्धति किसके द्वारा शुरू हुई थी?

(अ) डी. व्रीज

(ब) कैरोलस लिनियस

(स) हेक्सले

(द) जाॅन रे

व्याख्या-(ब) द्विनाम पद्धति कैरोलस लिनियस द्वारा दी गई। इसके अनुसार, प्रत्येक जीव के नाम के दो भाग होते हैं। पहला भाग वंश को प्रदर्शित करता है, इसे जेनेरिक नाम कहते हैं, तथा दूसरा भाग जाति को दर्शाता है, इसे स्पेसिफिक नाम कहते हैं। जैसे – घरेलू चिड़िया का वैज्ञानिक नाम पैसर डोमेस्टिकस है, जहाँ पैसर ‘वंश’ को तथा डोमेस्टिकस ‘जाति’ को दर्शाता है।

 

24. बिना जातिवृत्तीय के वर्गिकी, बिना मांस के हड्डी के समान है। यह किसने कहा?

(अ) ओसवाल्ड टिप्पो

(ब) जाॅन हचिन्सन

(स) तख्ताजन

(द) बेन्थम व हुकर

व्याख्या-(स) बिना जातिवृत्तीय के वर्गिकी, बिना मांस की हड्डी के समान है। यह तख्ताजन ने कहा था।

 

25. नामकरण की द्विनाम पद्धति का अर्थ है –

(अ) एक नाम दो वैज्ञानिकों द्वारा दिया गया हो

(ब) एक वैज्ञानिक नाम जो वंश तथा जाति से बना हो

(स) दो नाम, एक लेटिनाइज्ड, दूसरा आदमी का

(द) कोई नहीं

व्याख्या-(ब) द्विनाम पद्धति कैरोलस लिनियस द्वारा दी गई। इसके अनुसार, प्रत्येक जीव के नाम के दो भाग होते हैं। पहला भाग वंश को प्रदर्शित करता है, इसे जेनेरिक नाम कहते हैं, तथा दूसरा भाग जाति को दर्शाता है, इसे स्पेसिफिक नाम कहते हैं। जैसे – घरेलू चिड़िया का वैज्ञानिक नाम पैसर डोमेस्टिकस है, जहाँ पैसर ‘वंश’ को तथा डोमेस्टिकस ‘जाति’ को दर्शाता है।

 

26. परिभाषिक शब्द संघ किसने दिया था?

(अ) क्यूवियर(ब) हेकल

(स) थियोफ्रेस्टस(द) लिनियस

व्याख्या-(अ) शब्द संघ ‘क्यूवियर’ द्वारा दिया गया है। कई वर्ग मिलकर अगले उच्चतर संवर्ग, संघ का निर्माण करते हैं। पादपों में इन वर्गों (जिनमें कुछ ही एकसमान लक्षण होते हैं) को उच्चतर संवर्ग, प्रभाग में रखा गया है।

 

27. टैक्सोनोमिक श्रेणी का क्रम है –

(अ) वर्ग-संघ-ट्राइब-गण-कुल-वंश-  जाति

(ब) प्रभाग-वर्ग-कुल-ट्राइब-गण-वंश- जाति

(स) प्रभाग-वर्ग-गण-कुल-ट्राइब-वंश- जाति

(द) संघ-गण-वर्ग-ट्राइब-कुल-वंश- जाति

व्याख्या-(स) टैक्सोनोमिक वर्गीकरण समान प्रकार के जीवों तथा अन्य प्रकार के जीवों में समानता तथा विभिन्नता को पहचानने में सहायता करता है। टैक्सोनोमिक श्रेणी के विभिन्न संवर्गों का क्रम निम्न प्रकार है – प्रभाग-वर्ग-गण- कुल-ट्राइब-वंश-जाति।

 

28. पादपों या जन्तुओं के समूह जो समान लक्षण वाले किसी रैंक के होते हैं, उसे कहते हैं?

(अ) जाति(ब) वंश

(स) गण(द) टैक्साॅन

व्याख्या-(द) अध्ययन की सुविधा हेतु जीवों का वर्गीकरण करते समय, इन्हें कई छोटे-बड़े समूहों में स्थापित किया जाता है, इन समूहों को वर्गक एवं श्रेणी कहते हैं। टैक्साॅन शब्द मेयर द्वारा दिया गया। इसका सबसे पहले प्रयोग ICBN ने किया।

 

29. आधुनिक समय में वर्गीकरण का सबसे मुख्य आधार क्या है?

(अ) आकारिकी में समानता

(ब) शारीरिकी और कार्यिकी लक्षण

(स) प्रजनन के लक्षण

(द) मेरुदण्ड की उपस्थिति या अनुपस्थिति

व्याख्या-(ब) आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली में आकारिकी व कार्यिकी लक्षणों द्वारा विकासात्मक तथ्यों को वर्गीकरण का आधार माना गया है। आधुनिक वर्गीकरण पद्धति जूलियन हक्सले (1940) द्वारा दी गई।

 

30. लिनियस ने नामकरण की एक पद्धति का विकास किया, जिसे कहते हैं –

(अ) एक नाम पद्धति(ब) वरनाकुलर

(स) द्विना पद्धति(द) बहुनाम पद्धति

व्याख्या-(स)लिनियस द्वारा नामकरण की द्विनाम पद्धति दी गई। विस्तृत वर्णन के लिए प्रश्न संख्या 22 की व्याख्या देखें।

 

31. टैक्सोनाॅमी या वर्गीकरण की आधारभूत इकाई या सबसे छोटी इकाई है?

(अ) जाति(ब) जगत

(स) कुल(द) किस्म

व्याख्या-(अ)जाति वर्गीकरण की सबसे छोटी इकाई है। किसी भी जाति को उसके समीपस्थ संबंधित जाति से, उनके आकारिकीय विभिन्नता के आधार पर एक-दूसरे से अलग कर सकते हैं।

 

32. एक टैक्साॅन है –

(अ) संबंधित परिवार के समूह

(ब) संबंधित जाति के समूह

(स) एक प्रकार के जीवित जीव

(द) किसी भी रैंक के वर्गीकरण समूह

व्याख्या-(द)इसके उत्तर के लिए प्रश्न संख्या 28 की व्याख्या देखें।

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33. वर्गीकरण की कृत्रिम पद्धति सर्वप्रथम दी गई –

(अ) लिनियस

(ब) डी.कैन्डोले

(स) प्लिनी द इडलर

(द) बेन्थम तथा हुकर

व्याख्या-(स)वर्गीकरण की कृत्रिम प्रणाली सर्वप्रथम ‘प्लिनी द इडलर’ ने दी। इसका वर्णन इन्होंने अपनी पुस्तक ‘हिस्टोरिया नेचुरेलिस’ में किया। कृत्रिम पद्धति में जीवों को उनके एक या दो या कुछ अन्य बाह्य लक्षणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।

 

34. लिनियस द्वारा उपयोग की गई वर्गीकरण की पद्धति थी –

(अ) प्राकृतिक(ब) कृत्रिम

(स) जातिवृत्तीय(द) अलैंगिक

व्याख्या-(ब) लिनियस ने पुमंग के आधार पर पादपों का कृत्रिम वर्गीकरण किया। इस आधार पर इन्होंने पादपों को एकपुंकेसरी, द्विपुंकेसरी तथा बहुपुंकेसरी में वर्गीकृत किया।

 

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