उपसहसंयोजक यौगिकों का IUPAC नामकरण
- आयनिक संकुल में धनायन का नाम पहले लिखते है और उसके बाद ऋणायन का नाम लिखते है । धनायन एवं ऋणायन की संख्या का उल्लेख नहीं करते है।
- उदासीन संकुल का नाम एक ही शब्द में लिखते है।
- समन्वयीमण्डल का नामकरण
लिगैंड का नाम पहले लिखते है तत्पश्चात् केन्द्रीय धातु परमाणु / आयन का नाम लिखते है अंत में छोटे कोष्टक में धातु परमाणु/आयन की ऑक्सीकरण अवस्था रोमन संख्या में लिखते है ।
- लिगैंड का नामकरण
(i) ऋणायन लिगैंड के नाम का समापन ‘ओ‘ से होता है।
उदाहरण- CN – सायनो, CO – कार्बोनेटो, CI – क्लोरो आदि।
(ii) उदासीन लिगैंड का नाम यथावत होता है ।
उदाहरण- H2O ऐक्वा, NH3, ऐमीन, CO कार्बोनिल आदि।
(iii) धनात्ममक लिगैंड के नाम का समापन ‘ईयम’ से होता है।
उदा. NO+ नाइट्रोसोनियम, NH2NH3+ हाइड्रेजेनियम आदि ।
(iv) सभी लिगैंडो के नाम अंग्रेजी वर्णमाला के क्रमानुसार लिखते है।
(v) यदि एक ही लिगैंड दो या अधिक बार आया है तो उसके नाम से पूर्व डाई, ट्राई, टेट्रा, पैंटा, हैक्सा आदि लिखते है।
यदि लिगैंड के नाम में डाई, ट्राई आदि शब्द उपस्थित है। तो उनके एक से अधिक बार आने पर पूर्वलग्न बिस, ट्रिस, टेट्रा किस पैंटा किस, हेक्सा किस आदि को लिखते है एवं लिगैंड के नाम को छोटे कोष्ठक में लिखते है ।
(vi) लिगैंड जो दो धातु परमाणु के मध्य सेतु का कार्य कर के नाम से पूर्व ग्रीक शब्द µ लिखते है ।
- केन्द्रीय आयन का नामकरण एवं समापन
(i). यदि संकुल ऋणायन है तो इसका समापन केन्द्रीय धातु परमाणु के नाम के बाद संलग्न ऐट लगाकर करते है।
(ii) यदि संकुल उदासीन अथवा धनायन है तो इसका समापन केन्द्रीय धातु परमाणु के यथावत नाम से करते है।
(iii) केन्द्रीय धातु परमाणु / आयन के नाम के बाद छोटे कोष्ठक में रोमन पद्धति में ऑक्सीकरण अंक लिखते है ।