PGT Hindi Mock Test - 06
Question (1) – भारतेंदु जी ने किस नाट्यकृति की रचना एक रात में की थी ?
(a) विद्या सुंदर
(b) नील देवी
(c) विषस्य विषमौषधम्
(d) अंधेर नगरी (PGT Hindi Mock Test – 06)
Answer – (d) सही विकल्प अंधेर नगरी है।
- अंधेर नगरी प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र का सर्वाधिक लोकप्रिय नाटक है।
- 6 अंकों के इस नाटक में विवेकहीन और निरंकुश शासन व्यवस्था पर करारा व्यंग्य करते हुए उसे अपने ही कर्मों द्वारा नष्ट होते दिखाया गया है ।
- भारतेंदु ने अंधेर नगरी की रचना बनारस के हिंदू नेशनल थिएटर के लिए एक ही दिन में की थी ।
- अंधेर नगरी के तीन प्रमुख पात्र –
- 1.महन्त जी, 2.गोवर्धन दास और 3.चौपट राजा अपने-अपने वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- 1881 में भारतेंदु हरिश्चंद्र का नाटक ‘अंधेर नगरी’ काशी की जानी-मानी नाटक संस्था नेशनल थियेटर (जिसके संरक्षक खुद भारतेंदु थे) की रंगमंडली द्वारा काशी के दशाश्वमेध घाट पर प्रस्तुत किया गया।
(PGT Hindi Mock Test – 06) (PGT Hindi Mock Test – 06) (PGT Hindi Mock Test – 06)
अन्य विकल्प-
विद्यासुंदर- यह भारतेंदु हरीश्चन्द्र द्वारा संस्कृत से अनूदित नाटक है।
नीलदेवी- यह भारतेंदु जी का मौलिक नाटक है।
विषस्य विषमौषधम्- यह भारतेंदु जी का मौलिक नाटक है।
रचना |
परिचय |
विद्यासुन्दर (1867) |
हिन्दी में नाटकों का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है। भारतेन्दु के नाटक लिखने की शुरुआत बंगला के विद्यासुन्दर नाटक के अनुवाद से हुई। |
नीलदेवी (1881) |
यह एक मौलिक नाटक है जिसमें अधर्मपूर्ण युद्ध नीति, विलासी शासको के बारे में बताया गया है। |
विषस्य विषमौषधम् (1876) |
‘विषस्य विषमौषधम्’ एक मौलिक नाटक है, जिसमें उन्होंने अंग्रेजों की शोषण नीति और भारतीयों की महाशक्ति की मानसिकता पर चुटीला व्यंग्य किया है। |
Question (2) – रचनाकाल के अनुसार भारतेन्दु के नाटकों का सही क्रम है –
(a) नीलदेवी, अंधेर नगरी, भारत दुर्दशा, सती प्रताप
(b) सती प्रताप, नीलदेवी, भारत दुर्दशा, अंधेर नगरी
(c) अंधेर नगरी, भारत दुर्दशा, नीलदेवी, सती प्रताप
(d) भारत दुर्दशा, नीलदेवी, अंधेर नगरी, सती प्रताप
Answer – (d)
रचनाकाल के अनुसार भारतेन्दु के नाटकों का सही क्रम है –
नाटक | रचनाकाल |
भारत दुर्दशा | 1880 ई. |
नीलदेवी | 1881 ई. |
अंधेर नगरी | 1881 ई. |
सती प्रताप | 1883 ई. |
Question (3) – पढ़-लिखकर भीमराव अंबेडकर क्या बनना चाहते थे?
(a) नेता
(b) पुलिस
(c) वकील
(d) अध्यापक
Answer – (c)
पढ़-लिखकर भीमराव अंबेडकर वकील बनना चाहते थे।
पाठ का अंश-
- “विद्यालय के दिनों में जब एक अध्यापक ने उनसे पूछा कि “तुम पढ़ लिख कर क्या बनोगे?” तो बालक भीमराव ने जवाब दिया था मैं पढ़-लिखकर वकील बनूंगा,अछूतों के लिए नया कानून बना लूंगा और छुआछूत को खत्म करूंगा।”
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर-
- जन्म-14 अप्रैल 1891 ई.
- निधन- दिसंबर 1956 ई.
- इनका जन्म महू, मध्य प्रदेश में हुआ और निधन दिल्ली में।
- प्रमुख रचनाएं-
- विच वे टू इमैनसिपेशन (मई 1936)
- रानडे, गाँधी एंड जिन्नाह (1943)
- मिस्टर गाँधी एण्ड दी एमेन्सीपेशन ऑफ़ दी अनटचेबल्स (सप्टेबर 1945)
- हू वेर दी शूद्राज़ ? (अक्तुबर 1946)
- द बुद्धा एंड हिज धम्मा (भगवान बुद्ध और उनका धम्म) (1957) आदि।
Question (4) – भारतेन्दु द्वारा अनूदित नाटक कौन-सा है?
(a) सत्य हरिश्चंद्र
(b) नीलदेवी
(c) अंधेर नगरी
(d) प्रेमयोगिनी
Answer – (a) भारतेन्दु द्वारा अनूदित नाटक:- सत्य हरिश्चंद्र
- भारतेंदु के समस्त मौलिक एवं अनूदित नाटकों की संख्या – 17
- भारतेंदु को ही हिंदी साहित्य में नाट्य विधा का प्रवर्तक माना जाता हैI
- अंधेर नगरी, भारत – जननी, नील देवी, भारत दुर्दशा की रचना देश वस्त्सलता के उद्देश्य से की।
- भारतेंदु के मौलिक नाटक
- विषस्य विषमौषधम – 1876 (भाण -एक पात्रीय नाटक)
- प्रेम जोगिनी – 1875 (4 अंकों की नाटिका)
- चंद्रावली – 1876 (नाटिक)
- भारत दुर्दशा – 1880 (नाट्य रूपक)
- नीलदेवी – 1881 (गीतिरूपक)
- अंधेर नगरी – 1881 (प्रहसन)
- सती प्रताप (यह नाटक अधूरा रहा जिसे राधा कृष्णदास ने पूरा किया) – 1883 (पौराणिक नाटक)
Question (5) – ‘हम दीवानों की क्या हस्ती हैं, आज यहाँ कल वहाँ चले।” ये काव्य – पंक्तियाँ किस कवि की है ?
(a) बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
(b) माखनलाल चतुर्वेदी
(c) भगवती चरण वर्मा
(d) सुभद्रा कुमारी चौहान
Answer – (c)
‘हम दीवानों की क्या हस्ती हैं, आज यहाँ कल वहाँ चले।” ये काव्य – पंक्तियाँ ‘भगवती चरण वर्मा’ की है।
- यह काव्य-पंक्तियाँ “हम दीवानों की क्या हस्ती” कविता से अवतरित है।
भगवती चरण वर्मा-
- जन्म-1903-1981ई.
- काव्य संग्रह-
- मधुकण (1932 ई.), प्रेमसंगीत (1937 ई.), मानव (1940 ई.), रंगों से मोह (1962 ई.) आदि |
Question (6) – “कदली सीप भुजंग – मुख, स्वाति एक गुन तीन। जैसी सांगत बैठिए तैसोई फल दीन।” ये काव्य-पंक्तियाँ इनमें से किस कवि की हैं?
(a) रहीम
(b) कबीर
(c) बिहारी
(d) पद्माकर
Answer – (a)
प्रस्तुत पंक्तियां रहीमदास जी की हैं, जो कि उनके ग्रंथ रहीम ग्रंथावली से ली गई हैं।
रहिम दास जी भक्तिकाल के कवियों में प्रमुख स्थान रखते हैं।
कदली सीप भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन। जैसी संगति बैठिए तैसोई फल दीन।।
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति। विपति-कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत।।
- अर्थ:-इन पंक्तियों में रहीम दास जी कहते है कि मनुष्य जिसकी संगति करता हैं, वैसा ही बन जाता हैं। जैसे स्वाति नक्षत्र में वर्षा होती है,तो अलग-अलग संगति के कारण उसका परिणाम भी अलग-अलग होता है। अर्थात स्वाति नक्षत्र में पानी की बूंदे जब केले पर पड़ती है तो कपूर का निर्माण होता है,सीप में गिरने पर वही मोती बन जाती है परंतु वही बूंदे जब साँप के मुंह में गिरती तो विष बन जाता है।
- प्रथम दोहे ‘कदली सीप भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन। जैसी संगति बैठिए तैसोई फल दीन’ में उदाहरण अलंकार है।
- विपति-कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत पंक्ति में ‘विपति-कसौटी’ में रूपक अलंकार है।
Question (7) –
“सखी हौ स्वाम रंग रँगी।
देखि बिकाय गई वह मूरित , सूरत माहिं पगी ।।”
ये काव्य पंक्तियाँ किसकी है ?
(a) हितहरिवंश
(b) गदाधर भट्ट
(c) मीराबाई
(d) जीव गोस्वामी
Answer – (b)
“सखी हौ स्वाम रंग रँगी।
देखि बिकाय गई वह मूरित , सूरत माहिं पगी ।।”
ये काव्य पंक्तियाँ गदाधर भट्ट है।
- इनके स्फुट पद गदाधर की वाणी नामक पुस्तक में संकलित हैं।
Question (8) – स्वतंत्र पुस्तक के रूप में प्रकाशित होने से पूर्व आचार्य शुक्ल का ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’ किस रूप में प्रकाशित हुआ था ?
(a) भ्रमकरगीत की भूमिका में
(b) हिन्दी शब्द सागर की भूमिका में
(c) पद्मावत की भूमिका में
(d) सरस्वती पत्रिका में
Answer – (b) स्वतंत्र पुस्तक के रूप में प्रकाशित होने से पूर्व आचार्य शुक्ल का ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’ “हिन्दी शब्द सागर की भूमिका में” प्रकाशित हुआ था।
- ‘हिंदी शब्द सागर’ यह रचना रामचन्द्र शुक्ल की रचना है।
- इनकी अन्य प्रमुख रचनाएँ हैं- ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’, ‘चिंतामणि’, ‘हिंदी शब्द सागर’, ‘नागरी प्रचारिणी पत्रिका’।
- बीसवीं शताब्दी के हिंदी के प्रमुख साहित्यकार थे।
- उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों में हिंदी साहित्य का इतिहास प्रमुख है, जिसका हिंदी पाठ्यक्रम को निर्धारित करने मे प्रमुख स्थान है।
Question (9) – आधे अधूरे नाटक में पुरुष एक कौन है?
(a) सावित्री का बॉस
(b) सावित्री का दोस्त
(c) सावित्री का पति
(d) सावित्री का बेटा
Answer – (c) सही उत्तर है – सावित्री का पति।
नाटक के प्रमुख पात्र:-
- सावित्री:- एक कामकाजी मध्यवर्गीय शहरी स्त्री
- काले कपड़ों वाला पुरुष चार रूपों में:-
- 1-महेंद्रनाथ(सावित्री का पति),
2-सिंघानिया(सावित्री का बॉस),
3-जगमोहन,
4-जुनेजा
- 1-महेंद्रनाथ(सावित्री का पति),
- बिन्नी :- सावित्री की बड़ी बेटीअगला
- अशोक:- सावित्री का बेटा
- किन्नी:- सावित्री की छोटी बेटी
- मनोज:- बिन्नी का पति (मात्र संवादों में उल्लेखनीय)
Question (10) – हिंदी की आत्मकथाओं का संगत वर्ग है:
(a) मेरी जीवन यात्रा, क्या भूलूँ क्या याद करूँ, मेरा जीवन संघर्ष, मुड़-मुड़ के देखता हूँ
(b) मेरा जीवन संघर्ष, क्या भूलूँ क्या याद करूँ, मुड़-मुड़ के देखता हूँ, मेरी जीवन यात्रा
(c) मेरी जीवन यात्रा, मेरा जीवन संघर्ष, क्या भूलूँ क्या याद करूँ, मुड़-मुड़ के देखता हूँ
(d) मुड़-मुड़ के देखता हूँ, मेरा जीवन संघर्ष, क्या भूलूँ क्या याद करूँ, मेरी जीवन यात्रा
Answer – (c) हिंदी की आत्मकथाओं का संगत वर्ग है: मेरी जीवन यात्रा, क्या भूलूँ क्या याद करूँ, मेरा जीवन संघर्ष, मुड़-मुड़ के देखता हूँ
Question (11) – निम्नलिखित में से हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित आत्मकथा-खण्डों का शीर्षक नहीं है :
(a) दिन जल्दी-जल्दी ढलता है
(b) नीड़ का निर्माण फिर
(c) क्या भूलूँ क्या याद करूँ
(d) दशद्वार से सोपान तक
Answer – (a)
हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित आत्मकथा-खण्डों का शीर्षक नहीं है- दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है-
- रचनाकार-हरिवंशराय बच्चन
- विधा-काव्य
- मुख्य-
- इस कविता में अकेलेपन की कुंठा व प्रेम की व्याकुलता को प्रकट किया गया है।
- कवि समय का महत्व बताते हुए कहते है कि समय किसी का इंतजार नहीं करता, समय परिवर्तन शील है।
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