जीवधारियों का वर्गीकरण

 (चैप्टर-2)

1. निम्नलिखित में से कौनसा प्रोकैरियोटिक नहीं है?

(अ) नाॅस्टाॅक

(ब) माइकोबैक्टीरियम

(स) सैकेरोमाइसीज

(द) ऑसिलैटोरिया

व्याख्या-(स) दिए गए विकल्पों में से सैकेरोमाइसीज एक यूकैरियोटिक कवक है, जिसमें विकसित केन्द्रक व अन्य कोशिकांग पाए जाते हैं। नाॅस्टाॅक, ऑसिलैटोरिया एवं माइकोबैक्टीरियम क्रमशः प्रोकैरियोटिक (पूर्वकेन्द्रकीय), सायनोबैक्टीरियम है। इनमें वास्तविक केन्द्रक अनुपस्थित होता है।

2. निम्नलिखित में से कौनसे जीव महासागरों में मुख्य उत्पादक के रूप में जाने जाते हैं?

(अ) सायनोबैक्टीरिया

(ब) डायटम्स

(स) डाइनोफ्लैजिलेट्स

(द) यूग्लीनाॅइड्स

व्याख्या-(ब) डायटम्स महासागरों में मुख्य उत्पादक के रूप में पाए जाते हैं और ये समुद्र की प्राथमिक उत्पादकता का 40 प्रतिशत भाग बनाते है। ये एककोशिकीय यूकैरियोटिक सूक्ष्म शैवालों का एक बड़ा भाग बनाते है। अन्य दिए गए जीव भी स्वपोषी प्रकार के पोषण का प्रदर्शन करते है। सायनोबैक्टीरिया व यूग्लीनाॅइड्स संख्या में डायटम्स की अपेक्षा बहुत कम होते हैं, इसलिए इनकी उत्पादकता भी कम होती है।

3. असत्य कथन को चुनिए –

(अ) स्पोरोजोअन्स में पादाभ चलने और खाद्य ग्रहण करने की संरचनाएँ होती है

(ब) छत्रकों का संबंध बैसिडियोमाइसिटीज से है

(स) कवक और पादप जगत के सदस्यों में कोशिका भित्ति उपस्थित होती है

(द) मोनेरा को छोड़कर सभी जीव जगतों की कोशिका में माइटोकाॅण्ड्रिया एक शक्तिगृह है

व्याख्या-(अ) स्पोरोजोअन्स में पादाभ चलने व खाद्य ग्रहण करने की संरचनाएँ होती है। ये अन्तःपरजीवी होते हैं, जैसे – प्लाज्मोडियम। कूटपादाभ अमीबीय प्रोटोजोअन्स, जैसे – अमीबा एवं एण्टअमीबा में पाए जाते हैं।

4. सिलिएट्स अन्य सभी प्रोटोजोअन्स से किस प्रकार भिन्न है?

(अ) ये शिकार को पकड़ने के लिए पादाभ का प्रयोग करते हैं

(ब) इनमें अतिरिक्त जल को निकालने के लिए संकुचनशीलधानी होती है

(स) ये गमन के लिए कशाभिका का प्रयोग करते हैं

(द) इनमें दो प्रकार के केन्द्रक होते हैं

व्याख्या-(द) सिलिएट्स सभी प्रोटोजोअन्स से भिन्न होते हैं। इनमें दो प्रकार के केन्द्रक होते हैं। ये दोनों केन्द्रक सामान्यतया भिन्न आकार के होते हैं। इसमें एक वृहत् केन्द्रक और दूसरा सूक्ष्म केन्द्रक होता है, जिनमें प्रथम उपापचय, व द्वितीय प्रजनन से सम्बद्ध होता है, उदाहरण – पैरामीशियम।

अन्य प्रोटोजोअन्स में, (जैसे-अमीबा) एकल केन्द्रक उपस्थित होता है, जो कि उपापचय और प्रजनन से सम्बद्ध होता है। अन्य विकल्प असत्य हैं, क्योंकि सिलिएट निस्यन्दन अशन प्रक्रिया का उपयोग भोजन प्राप्त करने के लिए करते हैं। अन्य प्रोटोजोअन्स की तरह इनमें भी संकुचनशील रिक्तिकाएँ पायी जाती है। सिलिएट गमन के लिए सिलिया का उपयोग करते हैं।

5. निम्न में कौनसा अवयव जीवाण्वीय कोशिका को चिपकने की विशिष्टता प्रदान करता है?

(अ) कोशिका भित्ति

(ब) केन्द्र की झिल्ली

(स) प्लाज्मा झिल्ली

(द) ग्लाइकोकैलिक्स

व्याख्या-(द) ग्लाइकोकैलिक्स जीवाण्वयी कोशिका का सबसे बाहरी चिपचिपा एवं श्लेष्मी आवरण होता है, जो इसे चिपकाने में सहायता प्रदान करता है।

6. निम्नलिखित में से कौनसी सबसे छोटी जीवित कोशिकाएँ है, जिनमें एक निश्चित कोशिका भित्ति नहीं होती, ये पादपों और जन्तुओं में रोगजनक है और बिना आॅक्सीजन के जीवित रह सकती है?

(अ) बैसिलस (ब) स्यूडोमोनास

(स) माइकोप्लाज्मा (द) नाॅस्टाॅक

व्याख्या-(स) माइकोप्लाज्मा लिपोप्रोटीन आवरण की बनी त्रिस्तरीय सबसे छोटी जीवित कोशिका है। इसकी कोई निश्चित कोशिका भित्ति नहीं होती है। यह एक अवायवीय जीव है। यह पादपों (बैंगन के लघुपर्ण) तथा जन्तुओं (मानव में प्लियोमाॅर्फिक न्यूमोनिया) में रोग उत्पन्न करती है।

बैसिलस, स्यूडोमोनास एवं नाॅस्टाॅक प्रोकैरियोटिक जीवाणु हैं, जिनमें कोशिका भित्ति उपस्थित होती है।

7. वायराॅइड, विषाणुओं से भिन्न हैं, क्योंकि इनमें –

(अ) प्रोटीन आवरण के साथ DNA अणु होते हैं

(ब) बिना प्रोटीन आवरण के साथ DNA अणु होते हैं

(स) प्रोटीन आवरण के साथ RNA अणु होते हैं

(द) बिना प्रोटीन आवरण के साथ RNA अणु होते हैं

व्याख्या-(द) वायराॅइड, विषाणु से भिन्नह होते हैं, क्योंकि इनमें प्रोटीन आवरण रहित RNA अणु पाया जाता है, जबकि विषाणु में आनुवंशिक पदार्थ (RNA या DNA) त्रिस्तरीय प्रोटीन के आवरण से आस्तरित होता है।

विषाणु पादपों, जन्तुओं एव जीवाणुओं को भी संक्रमिक कर सकते हैं, जबकि वायराॅइड केवल पादपों को ही संक्रमित करते हैं।

8. निम्नलिखित में से कौन चरम लवणीय दशाओं में पाए जाते हैं?

(अ) आद्यबैक्टीरिया

(ब) यूबैक्टीरिया

(स) सायनोबैक्टीरिया

(द) माइकोबैक्टीरिया

व्याख्या-(अ) आद्यबैक्टीरिया, जीवाणुओं के सबसे आदिम एवं सरल प्रकार हैं। ये विभिन्न आवासों में पाए जाते हैं, जैसे – उच्च तप्त झरने, लवणीय जल, उच्चचpH वाले क्षेत्र, आदि।

चरम लवणीयता वाले क्षेत्रों में पाए जाने वाले जीवाणु हेलोफिल्म कहलाते हैं, जैसे-हेलोबैक्टीरियम, हेलोकोकस, आदि। आद्यबैक्टीरिया की चरम विषम परिस्थितियों में जीवित रहने की क्षमता के कारण कोशिका झिल्ली में शाखित लिपिड शृंखलाओं का उपस्थित होना आवश्यक होता है, जो उनकी झिल्ली की तरलता को कम कर देते हैं।

9. नीचे दिए गए चार कथनों का अध्ययन कीजिए और उनमें से दो सही कथनों को चुनिए –

1. जैव-स्पीशीज की परिभाषा अर्नेस्ट मेयर ने दी थी।

2. प्रकाशकाल का पादपों के जनन पर प्रभाव नहीं पड़ता है।

3. द्विनाम पद्धति तंत्र आर.एच. व्हिटेकर ने दिया था।

4. एककोशिकीय जीवों में जनन और वृद्धि समानार्थक होते है।

दो सही कथन है –

(अ) 1 और 2 (ब) 2 और 3

(स) 3 और 4 (द) 1 और 4

व्याख्या-(द) 1 एवं 4 कथन सत्य हैं।

2 व 3 का सत्य कथन इस प्रकार है –

1. जैव-स्पीशीज की परिभाषा अर्नेस्ट मेयर ने दी थी।

2. प्रकाशकाल पादपों में वृद्धि, जीवन चक्र व प्रजनन पर प्रभाव डालते हैं।

3. द्विनाम पद्धति तंत्र कैरोलस लिनियस ने अपनी पुस्तक ‘सिस्टेमा नैचुरी’ में दिया था।

4. एककोशिकीय जीवों में जनन और वृद्धि समानार्थक रूप से विखण्डन द्वारा होती है।

10. असत्य कथन चुनिए –

(अ) माइकोप्लाज्मा एक भित्तिरहित सूक्ष्मजीव है

(ब) जीवाणु कोशिका भित्ति पेप्टाइडोग्लाइकेन की बनी होती है

(स) रोमक और झालर मुख्य रूप से जीवाणु कोशिकाओं की गतिशीलता के लिए होते हैं

(द) सायनोबैक्टीरिया में कशाभी कोशिकाओं का अभाव होता है

व्याख्या-(स) झालर और रोमक दोनों ही बाल जैसे उपांग होते हैं, जो जीवाणुओं की कोशिका भित्ति पर पाए जाते हैं। झालर पूरी भित्ति पर होते हैं तथा संख्या में अधिक होते हैं। रोमक संख्या में कम तथा झालर से लम्बे होते हैं। ये जीवाणुओं को आधार पर जोड़ने का कार्य करते हैं। ये गतिशीलता में भाग नहीं लेते हैं। किसी-किसी जीवाणु में रोमक लैंगिक जनन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

11. अधिकतर कवकांे में कोशिका भित्ति का एक प्रमुख अवयव कौनसा है?

(अ) काइटिन

(ब) पेप्टाइडोग्लाइकेन

(स) सेलुलोस

(द) हेमीसेलुलोस

व्याख्या-(अ) कवकों में कोशिका भित्ति काइटिन, ग्लूकेन तथा ग्लाइको प्रोटीन के मजबूत सहसंयोजक बंध से निर्मित होती है। स्थलीय पादपों में कोशिका भित्ति सेलुलोस या अर्द्ध सेलुलोस से निर्मित होती है। जीवाणुओं में यह भित्ति पेप्टाइडोग्लाइकेन की बनी होती है।

12. निम्नलिखित में से कौनसा कथन वायराॅइड के विषय में असत्य है?

(अ) ये विषाणुओं से अपेक्षाकृत छोटे होते हैं

(ब) ये संक्रमण करते हैं

(स) इनका त्छ। उच्च आण्विक भार वाला होता है

(द) इनमें प्रोटीन आवरण का अभाव होता है

व्याख्या-(स) वायराॅइड के RNA का आण्विक भार कम होता है। इनमें प्रोटीन आवरण रहित RNA अणु आनुवंशिक पदार्थ होता है। सन् 1971 में टी.ओ. डाइनर ने विषाणु से भी छोटे संक्रामक कारक वायराॅइड की खोज की, जिनसे पोटैटो स्पिण्डल ट्यूबर नामक रोग हो जाता है।

13. निम्नलिखित में से कौनसा कथन असत्य है?

(अ) सायनोबैक्टीरिया को नील-हरित शैवाल भी कहते हैं

(ब) स्वर्णिम शैवालों को डेस्मिड भी कहते हैं

(स) यूबैक्टीरिया (सुजीवाणुओं) को असत्य जीवाणु भी कहा जाता है

(द) फाइकोमाइसिटीज को शैवालीय कवक भी कहा जाता है

व्याख्या-(स) यूबैक्टीरिया वास्तविक जीवाणु होते हैं। ये आद्यजीवाणु (आर्किबैक्टीरिया) से अधिक विकसित माने जाते हैं।

14. क्राइसोफाइट, यूग्लीनाॅइड, डाइनोफ्लैजिलेट और अवपंक कवक किस जगत में सम्मिलित है?

(अ) मोनेरा (ब) प्रोटिस्टा

(स) कवक (द) एनिमेलिया

व्याख्या-(ब) सभी एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीव, जैसे – डायटम्स, डेस्मिड्स (क्राइसोफाइट्स) यूग्लीनाॅइड्स, डाइनोफ्लैजिलेट्स तथा स्लाइम मोल्ड, आदि को प्रोटिस्टा में सम्मिलित किया गया है।

15. असत्य कथन को चुनिए –

(अ) एनिमेलिया में कोशिका भित्ति अनुपस्थित होती है

(ब) प्रोटिस्टा में पोषण की विधियाँ प्रकाश-संश्लेषी विषमभोजी होती है

(स) कुछ कवक खाने योग्य होते हैं

(द) मोनेरा में केन्द्रक कला उपस्थित होती है

व्याख्या-(द) मोनेरा एक जगत है, जो प्रोकैरियोटिक कोशिका के साथ एककोशिकीय जीवों को संगठित रखता है। इसमें केन्द्रक कला तथा अन्य झिल्ली युक्त कोशिकांगों का अभाव होता है। प्रोटिस्टा में जीव विभिन्न प्रकार से पोषण ग्रहण करते हैं, जैसे – प्रकाश-संश्लेषी डायटम्स, विषमभोजी श्लेष्म कवक, आदि। कुछ कवक खाने योग्य होते हैं, जैसे – मशरूम।

16. पूर्वकेन्द्रकीय कोशिकाओं में निम्नलिखित में से कौनसा एक अन्तः स्थान पिण्ड नहीं पाया जाता?

(अ) फाॅस्फेट कण

(ब) सायनोफाइसियन कण

(स) ग्लाइकोजन

(द) पाॅलीसोम

व्याख्या-(द) प्रोकैरियोट्स में पाॅलीसोम रचनाएँ नहीं पाई जाती है। पाॅलीसोम्स (पाॅलीराइबोसोम्स या एर्गोसोम्स) राइबोसोम्स के गुच्छे होते हैं, जो mRNA अणुओं के बने होते हैं।

17. असत्य कथन को चुनिए –

(अ) विषाणुज डी.जे. इवानोवस्की द्वारा खोजे गए थे

(ब) डब्ल्यू.एम. स्टैनले ने दर्शाया कि विषाणु क्रिस्टलीकृत हो सकते हैं

(स) कन्टेजियम वाइनम फ्लूइडम पद एम. डब्ल्यू. बीजेरिन्क ने दिया था

(द) तम्बाकू में किर्मीर रोग और मनुष्य में एड्स विषाणुओं के द्वारा होता है

व्याख्या-(अ) कथन ‘अ’ को छोड़कर सभी कथन सत्य है।

कथन-अ का स्पष्टीकरण इस प्रकार से कर सकते है।

विषाणुज (वायराॅइड्स) की खोज टी.ओ. डाइनर ने सन् 1971 में एक नए संक्रामक कारक के रूप में की, जो आकार में विषाणु से भी छोटा था।

18. वह संरचना, जो कुछ जीवाणुओं को चट्टानों या पोषी ऊतक से संयोजी होने में सहायता करती है, क्या है?

(अ) मूलाभास (ब) झालर

(स) मीसोसोम (द) होल्डफास्ट

व्याख्या-(ब) झालर छोटे बालनुमा तन्तु होते हैं, जो कोशिका के बाहर की ओर निकले होते हैं। कुछ जीवाणुओं में ये धाराओं में चट्टानों पर और पोषद ऊतक पर चिपकने में सहायता करते हैं।

19. जीवों के किस समूह में कोशिका भित्ति दो पतली अतिव्यापी कवचों की बनी होती है, जो एक साथ आसंजित होती है?

(अ) यूग्लीनाॅइड

(ब) डायनोफ्लैजिलेट

(स) अवपंक कवक

(द) क्राइसोफाइट

व्याख्या-(द) क्राइसोफाइट्स में कोशिका भित्ति दो पतली अतिव्यापी कवचों से निर्मित होती है जो एक साथ समायोजित होती है। अतिव्यापी कवचों के कारण, डायटम्स की संरचना साबुनदानी के सदृश्य प्रतीत होती है।

20. असत्य कथन को चुनिए –

(अ) न्यूरोस्पोरा को जैव-रसायन आनुवंशिकी के अध्ययन में उपयोग किया जाता है

(ब) माॅरेल और टूफेल विषैले छत्रक हैं

(स) यीस्ट एककोशिकीय है और किण्वन में उपयोगी है

(द) पैनिसिलियम बहुकोशिकीय है और प्रतिजैविक उत्पादित करता है

व्याख्या-(ब) कथन-ब असत्य है, क्योंकि माॅरेल तथा टूफेल का प्रयोग खाद्यरूप में होता है। ये एस्कोमाइसिटीज वर्ग के सदस्य है।

21. गतिमान जीवाणु किसके द्वारा गति करते हैं?

(अ) फिम्ब्री (ब) कशाभिका

(स) पक्ष्माभ (द) पिल्ली

व्याख्या-(ब) सूक्ष्मजीवों में गति एवं गमन हेतु पक्ष्भाभ एवं कशाभिकाएँ होती है। जीवाणुओं में गति की क्रियाएँ सामान्यतया कशाभिकाओं द्वारा होती है। फ्लैजिला (कशाभिका) में मुख्यतया तीन क्षेत्र, आयन चालित मोटर, हुक एवं तन्तु होते हैं।

22. आद्यजीवाणु (आर्किबैक्टीरिया), सुजीवाणुओं (यूबैक्टीरिया) से किसमें भिन्न होते हैं?

(अ) कोशिका कला संरचना

(ब) पोषण का ढंग

(स) कोशिका आकार

(द) प्रजनन का ढंग

व्याख्या-(अ) आर्किबैक्टीरिया तथा यूबैक्टीरिया कोशिका झिल्ली या कोशिका कला की संरचना के आधार पर एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। यूबैक्टीरिया की कोशिका कला मुख्यतया ग्लिसराॅल-ईस्टर लिपिड की, जबकि आर्किबैक्टीरिया की कोशिका कला ग्लिसराॅल-ईथर लिपिड की बनी होती है। रासायनिक रूप से ईथर लिपिड, ईस्टर लिपिड से अधिक प्रतिरोधक क्षमता रखता है। आर्किबैक्टीरिया का यह गुण, उसे उच्च तथा अत्यधिक अम्लीय अथवा क्षारीय वातावरण में रहने में सहायक है।

23. आर.एच. व्हिटेकर द्वारा प्रस्तावित 5 जगत वर्गीकरण, निम्नलिखित में से किस पर आधारित नहीं है?

(अ) सुपरिभाषित केन्द्रक की उपस्थिति और अनुपस्थिति

(ब) प्रजनन का ढंग

(स) पोषण का ढंग

(द) काय (शरीर) संगठन की जटिलता

व्याख्या-(अ) आर.एच. व्हिटेकर ने सन् 1969 में कोशिका संरचना की जटिलता के आधार पर यूकैरियोटिक अथवा प्रोकैरियोटिक, पोषण विधि के आधार पर स्वपोषी अथवा परपोषी, शरीर संगठन की जटिलता पर आधारित एककोशिकीय अथवा बहुकोशिकीय एवं जातिवृत्तीय संबंध व प्रजनन के आधार पर 5 जगतों, जैसे – मोनेरा, प्रोटिस्टा, फंजाई, प्लाण्टी तथा एनिमेलिया में विभाजित किया है।

24. कुण्डलित RNA रज्जुक और पेटिकांशक निम्नलिखित में से कौन दर्शाता है?

(अ) पोलियो विषाणु

(ब) तम्बाकू मोजैक विषाणु

(स) खसरा विषाणु

(द) पश्चविषाणु

व्याख्या-(ब) तम्बाकू मोजैक विषाणु, कुण्डलित RNA रज्जुक एवं पेटिकांशक दर्शाता है। TMV में लगभग 6400 राइबोन्यूक्लियोटाइड युक्त एक सूत्रीय कुण्डलीदार RNA पाया जाता है।

25. विषाणुओं में क्या होता है?

(अ) प्रोटीन आवरण से परिबद्ध RNA

(ब) प्राकृकेन्द्रकीय केन्द्रक

(स) एकल गुणसूत्र

(द) दोनों DNA और RNA

व्याख्या-(अ) विषाणुओं में न्यूक्लिक अम्ल (RNA या DNA) सुरक्षित प्रोटीन आवरण द्वारा घिरा रहता है, जिसे कैप्सिड कहते हैं। ये एकसमान रूपी प्रोटीन उपइकाइयों के बने होते हैं। ये प्रोटीन उपइकाइयाँ कैप्सोमियर कहलाती है। इनमें प्राक्केन्द्र की केन्द्रक अनुपस्थित होता है।

26. निम्नलिखित में से किसकी गहरे समुद्र जल में पाए जाने की संभावना है?

(अ) यूबैक्टीरिया

(ब) नील-हरित शैवाल

(स) मृतजीवी कवक

(द) आर्किबैक्टीरिया

व्याख्या-(द) आर्किबैक्टीरिया विषम वासस्थलों में रहते हैं, जैसे – अत्यधिक लवणीय क्षेत्र, गर्म झरने व दलदली क्षेत्र तथा गहरे सागर, आदि।

27. सायनोबैक्टीरिया में कुछ झिल्लीदार प्रसाद वाले वर्णक है?

(अ) हेटेरोसिस्ट (ब) आधारकाय

(स) श्वसन मूल (द) वर्णकी लवक

व्याख्या-(द) सायनोबैक्टीरिया में क्लोरोफिल होता है, परंतु क्लोरोफिल क्लोरोप्लास्ट में नहीं पाए जाते हैं। यह क्रोमेटोफोर (वर्णकी लवक) और प्लाज्मा झिल्ली की वलन में पाए जाते हैं, जहाँ प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया होती है।

28. 5-जगतीय वर्गीकरण में, क्लैमाइडोमोनास तथा क्लोरेला किसमें सम्मिलित किए गए हैं?

(अ) प्रोटिस्टा (ब) एल्गी

(स) प्लाण्टी (द) मोनेरा

व्याख्या-(स) आर.एच. व्हिटेकर (1969) ने सभी जीवों को 5 जगतों में विभाजित किया। मोनेरा, प्रोटिस्टा, फंजाई, प्लाण्टी एवं एनिमेलिया। क्लैमाइडोमोनास तथा क्लोरेला एककोशिकीय स्वपोषी यूकैरियोटिक हरे शैवाल हैं, जिन्हें प्लाण्टी जगत में शैवाल प्रभाग वर्गीकरण के अंतर्गत रखा गया है। प्रोटिस्टा में सभी विषमपोषी जीव सम्मिलित है। मोनेरा में सभी प्रोकैरियोटिक जीव आते हैं।

29. विश्व मंे सर्वाधिक संख्या में जातियाँ किसकी पाई जाती है?

(अ) कवकों की (ब) मांस की

(स) शैवालों की (द) लाइकेन की

व्याख्या-(अ) दिए गए विकल्पों में से कवक, विश्व में जातियों की सर्वाधिक संख्या प्रदर्शित करते हैं। वर्गिकी वैज्ञानिकों द्वारा अब तक सामान्यतया, कवकों की 100000 जातियों का वर्णन किया गया है, किन्तु वास्तविक रूप से कवकों की वैश्विक जैव-विविधता के बारे में अभी तक पूर्ण ज्ञान नहीं हो सका है। कवकों के पश्चात् सबसे अधिक जातियों की संख्या क्रमशः शैवाल, मांस एवं लाइकेन की पाई जाती है।

30. पोषण में सर्वाधिक विविधता किसमें पाई जाती है?

(अ) कवकों में (ब) एनिमेलिया में

(स) मोनेरा में (द) प्लाण्टी में

व्याख्या-(स) मोनेरा जगत पोषण के संबंध में सर्वाधिक विविधता प्रदर्शित करता है। मोनेरा जगत के कुछ सदस्य स्वपोषी (प्रकाश-संश्लेषी या रसायन संश्लेषी) होते हैं, जबकि अधिकांश सदस्य परपोषी (मृतोपजीवी या परजीवी) होते हैं, अर्थात् पारिस्थितिक रूप से ये उत्पादक अथवा अपघटक होते हैं। प्लाण्टी जगत में केवल स्वपोषी पादप सम्मिलित हैं और एनिमेलिया एवं कवक में सभी विषमपोषी जन्तु होते हैं।

31. विषाणुओं के संबंध में निम्नलिखित में से कौनसा कथन असत्य है?

(अ) ये सभी परजीवी होते हैं

(ब) इन सभी की सममिति कुण्डलीनुमा होती है

(स) इनमें न्यूक्लिक अम्लों तथा प्रोटीनों को संश्लेषित करने की क्षमता होती है

(द) इन पर प्रतिजैविकों (एण्टीबायोटिक्स) का कोई प्रभाव नहीं होता है

व्याख्या-(ब) विषाणुओं के न्यूक्लियोकैप्सिड अत्यधिक सममित रूप से निर्मित होते हैं। विषाणुओं में दो प्रकार की सममति पाई जाती हैं, जो उनकी प्राथमिक आकृतियों (दण्डाकार या गोलाकार) से संबंधित होती हैं। दण्डाकार विषाणुओं में कुण्डलीनुमा सममिति तथा गोलाकार विषाणुओं में आइकोसाहेड्रल सममति पाई जाती है। विषाणु परजीवी होते हैं। विषाणुओं में न्यूक्लिक अम्ल DNA या RNA उपस्थित होता है। विषाणुओं पर प्रतिजैविकों का प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि इनमें कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती है।

32. नीचे दी गई सूची में कितने जीव स्वपोषी हैं?

लैक्टोबैसिलस, नाॅस्टाॅक, कारा, नाइट्रोसोमोनास, नाइट्रोबैक्टर, स्ट्रैप्टोमाइसीज, सैकेरोमाइसीज, ट्रिपैनोसोमा, पोरफाइरा तथा वाॅल्फिया

(अ) 4 (ब) 5

(स) 6 (द) 3

व्याख्या-(स) वे जीव, जो कार्बनिक या अकार्बनिक पदार्थों की सहायता से अपना भोजन स्वयं बनाने की क्षमता रखते हैं, स्वपोषी कहलाते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं –

1. रसायन संश्लेषी स्वपोषी -नाइट्रोसोमोनास तथा नाइट्रोबैक्टर।

2. प्रकाश-संश्लेषी स्वपोषी – नाॅस्टाॅक, कारा, पोरफाइरा तथा वाॅल्फिया।

वे जीव जो अपना भोजन स्वयं बनाने में असक्षम होते हैं, विषमपोषी कहलाते हैं। ये दो प्रकार के हैं –

1. मृतोपजीवी विषमपोषी लैक्टोबैसिलस, स्ट्रैप्टोमाइसीज तथा सैकेरोमाइसीज।

2. परजीवी विषमपोषी ट्रिपैनोसोमा।

33. सायनोबैक्टीरिया किस एक अन्य नाम से भी जाने जाते हैं?

(अ) प्रोटिस्ट्स

(ब) सुनहरे शैवाल

(स) अवपंक कवक

(द) नील-हरित शैवाल

व्याख्या-(द) सायनोबैक्टीरिया को नील हरित शैवाल भी कहते हैं। सायनोबैक्टीरिया ग्राम-निगेटिव, प्रकाश- संश्लेषी, प्रोकैरियोट्स का एक प्राचीन समूह है।

34. निम्नलिखित विकल्पों में से किसमें जीव अथवा जीवों के युग्म का उनके सही वर्गिकीय समूह के साथ उल्लेख किया गया है?

(अ) पैरामीशियम तथा प्लाज्मोडियम उसी जगत से संबंधित है, जिससे पैनिसिलियम संबंधित है

(ब) लाइकेन एक संयुक्त जीव है, जो एक शैवाल तथा प्रोटोजोअन के सहजीवी संबंध द्वारा निर्मित होता है

(स) बै्रड तथा बीयर बनाने में प्रयुक्त यीस्ट एक कवक है

(द) नाॅस्टाॅक तथा एनाबीना प्रोटिस्टा के उदाहरण है

व्याख्या-(स) यीस्ट अथवा सैकेरोमाइसीज सेरेविसी एस्कोमाइसिटीज वर्ग का एक कवक है। सैकेरोमाइसीज की विभिन्न जातियां बेकिंग तथा शराब व्यवसाय में प्रयोग की जाती है। पैरामीशियम तथा प्लाज्मोडियम प्रोटिस्टा जगत से, जबकि पैनिसिलियम कवक जगत से संबंधित है।

लाइकेन एक संयुक्त संरचना है, जो शैवाल एवं कवक के सहजीवी संबंध द्वारा निर्मित होती है। नाॅस्टाॅक तथा एनाबीना सायनोबैक्टीरिया अथवा नील हरित शैवाल के उदाहरण है।

35. यूबैक्टीरिया में एककोशिकीय संघटक, जो यूकैरियोट्कि कोशिका से समानता प्रदर्शित करते हैं –

(अ) केन्द्रक

(ब) राइबोसोम

(स) कोशिका भित्ति

(द) प्लाज्मा झिल्ली

व्याख्या-(द) यूबैक्टीरिया की प्लाज्मा झिल्ली यूकैरियोटिक कोशिका की प्लाज्मा झिल्ली से कुछ समानता दर्शाती है। यह फाॅस्फोलिपिड, प्रोटीन तथा कुछ मात्रा में पाॅलीसैकेराइड द्वारा निर्मित होती है। किन्तु इसमें स्टेराॅल का अभाव होता है, जबकि यह यूकैरियोटिक कोशिका झिल्ली का प्रमुख अभिलक्षण होता है। इसके स्थान पर स्टेराॅल के समान होपेनाॅइड पाया जाता है।

36. निम्नलिखित में से कौनसा एक जैव- उर्वरक नहीं है?

(अ) एग्रोबैक्टीरियम (ब) राइजोबियम

(स) नाॅस्टाॅक (द) माइकोराइजा

व्याख्या-(अ) एग्रोबैक्टीरियम एक मृदा उत्पादित पैथोजन है जो उच्च जाति के पादपों को प्रभावित करता है, परंतु राइजोबियम, नाॅस्टाॅक और माइकोराइजा जैव-उर्वरक है।

37. निम्नलिखित में से कौनसा जीव यूकैरियोटिक कोशिकाओं का उदाहरण नहीं है?

(अ) एश्चिेरिशिया कोलाई

(ब) यूग्लीना विरिडिस

(स) अमीबा प्रोटियस

(द) पैरामीशियम काॅडेटम

व्याख्या-(अ) एश्चिेरिशिया कोलाई यूकैरियोटिक कोशिकाओं का उदाहरण नहीं है। यह एक जीवाणु है तथा यह प्रोकैरियोटिक कोशिका का उदाहरण है। इसे मोनेरा जगत में वर्गीकृत किया है, जबकि अन्य विकल्प यूकैरियोटिक कोशिका के उदाहरण है।

38. निम्नलिखित में से कौन सुमेलित नहीं है?

(अ) पक्सीनिया – कण्ड

(ब) जड़ – बहिरादिदारुक आदिदारु

(स) केसिया – कोरछादी पुष्पदलविन्यास

(द) मूल दाब – बिन्दुस्राव

व्याख्या-(अ) पक्सीनिया कण्ड रोग नहीं करता है, यह रस्ट रोग फैलाता है। इसे सामान्यतया किट्ट कवक भी कहा जाता है। अस्टिलैगो, कण्ड कवक है। किट्ट तथा कण्ड दोनों वर्ग बैसीडियोमाइसिटीज से संबंधित होते हैं।

39. एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीवों को सम्मिलित किया गया है?

(अ) प्रोटिस्टा में (ब) कवक में

(स) आर्किया में (द) मोनेरा में

व्याख्या-(अ) प्रोेटिस्टा जगत में सभी एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीव, जैसे – फ्लैजिलेट्स, डायटम्स, डाइनोफ्लैजिलेट्स अवपंक कवक, सार्कोडिना, आदि सम्मिलित है।

कवक जगत भिन्न-भिन्न रूप, आकार, कार्यिकी एवं जनन विधियों वाले यूकैरियोटिक, बहुकोशिकीय, पर्णहरिमहीन, अप्रकाश-संश्लेषी व परपोषी जीवों के समूह को प्रदर्शित करता है। मोनेरा ऐसा जगत है, जिसमें 5 जगत वर्गीकरण के अनुसार सभी प्रोकैरियोटिक जीव सम्मिलित होते हैं।

आर्किबैक्टीरिया के सदस्य प्रोकैरियोटिक होते हैं तथा इनमें अत्यंत लवणरागी, ताप-अम्लरागी तथा मीथेनोजन्स सम्मिलित होते हैं।

40. निम्नलिखित में से किसमें झिल्लीबद्ध कोशिकांग अनुपस्थित होते हैं?

(अ) सैकेरोमाइसीज (ब) स्ट्रेप्टोकोकस

(स) क्लैमाइडोमोनास (द) प्लाज्मोडियम

व्याख्या-(ब) स्ट्रेप्टोकोकस एक प्रोकैरियोटिक, गोलाकार, ग्राम-धनात्मक जीवाणु है। प्रोकैरियोट्स में झिल्लीबद्ध कोशिकांग अनुपस्थित होते हैं।

कवक यूकैरियोटिक, अप्रकाश-संश्लेषी, परपोषी जीवों के समूह को प्रदर्शित करते हैं। (उदाहरण – सैकेरोमाइसीज)।

शैवाल पर्णहरिमयुक्त, स्वपोषी एवं थैलसाभ पादपों के एक समूह को प्रदर्शित करते हैं। प्लाज्मोडियम एक यूकैरियोटिक प्रोटिस्ट है। (उदाहरण – क्लैमाइडोमोनास)।

41. कुछ उच्च तापरागी जीव जो उच्च अम्लीयता (pH=2) वाले आवासों में वृद्धि करते हैं, निम्नलिखित में से किन दो समूहों से संबंधित है?

(अ) यूबैक्टीरिया तथा आर्किया

(ब) सायनोबैक्टीरिया तथा डायटम्स

(स) प्रोटिस्ट तथा मांस

(द) लिवरवर्ट तथा यीस्ट

व्याख्या-(अ) यूबैक्टीरिया तथा आर्किबैक्टीरिया (आर्किया) दोनों मोनेरा जगत के सदस्य है। तापरागी जीवाणु अत्यधिक गर्म स्थानों पर पाए जाते हैं, जहां तापमान प्रायः 600 से 800 से० तक होता है।

अनेक तापरागी (कुछ यूबैक्टीरिया तथा आर्किबैक्टीरिया) स्वपोषी होते हैं तथा इनमें सल्फर आधारित उपापचय पाया जाता है।

कुछ तापरागी आर्किबैक्टीरिया गहरे समुद्र तापीय गर्तों के चारों ओर (जहां उन्हें अत्यधिक ताप तथा दाब को सहन करना होता है) खाद्य-जाल का प्रमुख आधार बनाते हैं। आर्किबैक्टीरिया अत्यधिक अम्लीय (pH=2) तथा अत्यधिक क्षारीय (pH=11) वातावरण में भी वृद्धि कर सकते हैं।

42. निम्नलिखित में से किसमें संक्रामक प्रोटीन उपस्थित होते हैं?

(अ) जेमिनी विषाणु

(ब) प्रियाॅन

(स) वायराॅइड

(द) सैटेलाइट विषाणु

व्याख्या-(ब) प्रियाॅन में केवल संक्रामक प्रोटीन उपस्थित होती है। इसमें कोई न्यूक्लिक अम्ल उपस्थित नहीं होता है। ये जन्तुओं में अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं, जैसे – भेड़ में स्क्रेपी रोग, पशुओं में बोवाइन स्पाॅन्जीफाॅर्म एनसिफैलोपैथी अथवा मैड काऊ रोग हिरण में क्रोनिक वास्टिंग रोग तथा मनुष्यों में कुरु रोग तथा क्रूजफैल्ड्ट- जैकाॅब रोग आदि। प्रियाॅन द्वारा उत्पन्न कोई पादप रोग अभी तक ज्ञात नहीं है। विषाणु व वायराॅइड में क्रमशः न्यूक्लिक अम्ल, प्रोटीन आवरण एवं आवरण रहित RNA उपस्थित होता है, जिसके द्वारा पादपों एवं जन्तुओं में संक्रमण होता है।

43. विषाणु का आवरण कहलाता है?

(अ) कैप्सिड (ब) विरियाॅन

(स) न्यूक्लियोप्रोटीन (द) कोर

व्याख्या-(अ) विषाणु के आंतरिक भाग कोर या न्यूक्लिक अम्ल को घेरे हुए एक आवरण उपस्थित होता है, जिसे कैप्सिड कहते हैं। यह एक जटिल संरचना है, जो सूक्ष्म इकाइयों, कैप्सोमियर्स से बना होता है।

44. कुछ जीवों के अभिलक्षणों के संबंध में निम्नलिखित कथनों के सही संयोजन का चयन कीजिए –

1. मीथेनोजन आर्किबैक्टीरिया है, जो दलदली स्थानों पर मीथेन उत्पन्न करते है।

2. नाॅस्टाॅक एक तन्तुमय नील-हरित शैवाल है जो वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करता है।

3. रसायन संश्लेषी स्वपोषी जीवाणु ग्लूकोस से सेलुलोस का संश्लेषण करते हैं।

4. माइकोप्लाज्मा में कोशिका भित्ति का अभाव होता है तथा ये ऑक्सीजन के बिना जीवित रह सकते हैं।

सही कथन है –

(अ) 2 व 3 (ब) 1, 2 व 3

(स) 2, 3 व 4 (द) 1, 2 व 4

व्याख्या-(द) मीथेनोजन आर्किबैक्टीरिया है, जो दलदली स्थानों पर मीथेन गैस उत्पन्न करते हैं।

नाॅस्टाॅक एक नील-हरित शैवाल है, जो वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का स्थरीकरण करने में सक्षम होता है। रसायन-संश्लेषी स्वपोषी जीवाणु अकार्बनिक पदार्थों के ऑक्सीकरण द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करते हैं तथा खनिजों के चक्रण में सहायक होते हैं।

माइकोप्लाज्मा यूबैक्टीरिया के समूह को प्रदर्शित करते हैं, जिनमें दृढ़ कोशिका भित्ति का अभाव होता है तथा ये ऑक्सीजन के बिना भी जीवित रह सकते हैं।

45. नीचे एक जीवाणुभोजी का चित्र दिया गया है। निम्नलिखित में से कौनसा विकल्प जीवाणुभोजी के A, B, C  तथा D द्वारा नामांकित भागों को सही रूप से प्रदर्शित करता है?

चित्र (पेज नं. 9)

(अ) पुच्छ तन्तु-शीर्ष-आच्छद-काॅलर

(ब) आच्छद-काॅलर-शीर्ष-पुच्छ तन्तु

(स) शीर्ष-काॅलर-आच्छद-पुच्छ तन्तु

(द) काॅलर-पुच्छ तन्तु-शीर्ष-आच्छद

व्याख्या-(स) अ – शीर्ष (कैप्सिड)

ब – काॅलर

स – आच्छद

द – पुच्छ तन्तु

46. निम्नलिखित में से किसमें हैप्लाॅण्टिक प्रकार का जीवन चक्र पाया जाता है?

(अ) फ्यूनेरिया (ब) पाॅलीट्राइकम

(स) अस्टिलैगो (द) गेहूँ

व्याख्या-(स) अस्टिलैगो एक कवक परजीवी है, जिसमें हैप्लाॅण्टिक प्रकार का जीवन चक्र पाया जाता है। इनकी लैंगिक अवस्था के दौरान केवल जाइगोस्पोर की द्विगुणित रचना होती है, जबकि शेष सभी अगुणित होते हैं।

फ्यूनेरिया एवं पाॅलीट्राइकम माॅस है और गेहूं एक आवृतबीजी पादप है, इसका जीवन चक्र डिप्लाॅण्टिक प्रकार का होता है, जिससे लैंगिक जनन के द्वारा बीजाणुओं का निर्माण होता है।

47. ऑक्सीजनित प्रकाश-संश्लेषण पाया जाता है?

(अ) क्रोमेशियम में

(ब) ऑसिलैटोरिया में

(स) रोडोस्पाइरिलम में

(द) क्लोरोबियम में

व्याख्या-(ब) ऑसिलैटोरिया एक प्रकाश -संश्लेषी सायनोबैक्टीरिया है। इसके द्वारा संपादित प्रकाश-संश्लेषण में जल इलेक्ट्राॅन दाता तथा ऑक्सीजन सह-उत्पाद होते हैं अर्थात् इसमें ऑक्सीजनित प्रकाश-संश्लेषण होता है।

48. निम्नलिखित में से किसकी खोज टी.ओ. डाइनर द्वारा की गई थी?

(अ) स्वतंत्र एवं संक्रामक RNA

(ब) स्वतंत्र एवं संक्रामक DNA

(स) संक्रामक प्रोटीन

(द) जीवाणुभोजी

व्याख्या-(अ) टी.ओ. डाइनर द्वारा, वायराॅइड की खोज की गई थी। वायराॅइड छोटे, वृत्ताकार स्वतंत्र तथा संक्रामक एकलसूत्रीय RNA हैं, बाह्य कोशिकीय रूप में वायराॅइड एक नग्न RNA अणु होता है अर्थात् इस पर किसी प्रकार का प्रोटीनी कैप्सिड नहीं पाया जाता है।

49. सजीव जीवधारियों के हाल के वर्गीकरण में जिसमें जीव सृष्टि के तीन मुख्य भाग (बैक्टीरिया, आर्किया तथा यूकैरिया) बनाए गए हैं, उस दृष्टि से आर्किया के विषय में निम्नलिखित में से कौनसा एक कथन सही है?

(अ) आर्किया, यूकैरिया से सभी लक्षणों में समान हैं

(ब) आर्किया में कुछ ऐसे नए लक्षण हैं, जो अन्य प्रोकैरियोट्स तथा यूकैरियोट्स में नहीं पाए जाते हैं

(स) आर्किया, प्रोकैरियोट्स तथा यूकैरियोट्स दोनों से पूर्णतयाः भिन्न होते हैं

(द) आर्किया, प्रोकैरियोट्स से पूर्णतयाः भिन्न है

व्याख्या-(ब) आर्किया में कुछ ऐसे लक्षण पाए जाते हैं, जो अन्य प्रोकैरियोट्स तथा यूकैरियोट्स में नहीं पाए जाते हैं, जैसे –

1. इनकी कोशिका भित्ति में पेप्टाइडोग्लाइकेन अनुपस्थित होता है।

2. इनकी कोशिका कला में लिपिड अन्य जीवों से भिन्न संरचना रखते हैं।

3. इनमें भिन्न mRNA क्रम मिलते हैं।

4. आर्किबैक्टीरिया की कुछ जीनों में इन्ट्राॅन अनुक्रम पाए जाते हैं।

50. निम्नलिखित में से किस एक की कोशिका भित्ति में सेलुलोस एक प्रधान घटक होता है?

(अ) पाइथियम

(ब) जैन्थोमोनास

(स) स्यूडोमोनास

(द) सकैकेरोमाइसीज

व्याख्या-(अ) कवकों की कोशिका भित्ति में 80-90 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट तथा शेष प्रोटीन व लिपिड पाए जाते हैं। कवक कोशिका भित्ति का विशेष लक्षण काइटिन की उपस्थिति है, लेकिन पाइथियम की कोशिका भित्ति में सेलुलोस एक प्रधान घटक के रूप में पाया जाता है।

51. थर्मोकोक्कस, मीथेनोकोकस तथा मीथेनोबैक्टीरियम किसके उदाहरण है?

(अ) आर्किबैक्टीरिया, जिनके अंदर ऐसे प्रोटीन होते हैं, जो सुकेन्द्रकीयों के क्रोड-हिस्टोनों के समान होते हैं

(ब) आर्किबैक्टीरिया के जिनके भीतर ऐसे कई हिस्टोन नहीं होते जो सुकेन्द्रकीयों में पाए जाने वाले हिस्टोनों के समान हो परंतु जिनका RNA ऋणात्मक रूप से अधिकुण्डलित होता है

(स) जीवाणुओं, जिनका RNA शिथिल होता अथवा सकारात्मक रूप में अधिकुण्डलित होता है जिनमें एक कोशिका कंकाल और साथ ही माइटोकाॅण्ड्रिया भी होते हैं

(द) जीवाणुओं, जिनके भीतर एक कोशिका कंकाल तथा राइबोसोम्स होते हैं

व्याख्या-(अ) थर्मोकोकस, मीथेनोकाॅकस एवं मीथेनोबैक्टीरियम आर्किबैक्टीरिया के उदाहरण है, जिनके अंदर ऐसे प्रोटीन्स होते हैं जो सुकेन्द्रकीयों के क्रोड-हिस्टोनों के समान होते हैं।

52. राई का अरगोट किसकी एक स्पीशीज के द्वारा होता है?

(अ) फाइटोफ्थोरा (ब) अन्सीन्यूला

(स) अस्टीलेगो (द) क्लैविसेप्स

व्याख्या-(द) राई का अरगोट रोग क्लैविसेप्स परप्यूरिया नमाक कवक द्वारा होता है। ये अनेक विषाक्त एल्केलाॅइड उत्पन्न करता है, जो पादपों के लिए घातक है।

53. माइकोप्लाज्मा के संबंध में निम्नलिखित में से कौनसा एक कथन गलत है?

(अ) इन्हें PPLO भी कहते हैं

(ब) ये बहुरूपी होते हैं

(स) ये पैनिसिलिन के प्रति संवेदनशील होते हैं

(द) ये पादपों में रोग पैदा करते हैं

व्याख्या-(स) माइकोप्लाज्मा पैनिसिलिन के प्रति संवेदनशील नहीं होते हैं। इनकी खोज फ्रांस के वैज्ञानिक नोकार्ड व राॅक्स ने की तथा इन्हें PPLO (Pleuro Pneumonia Like Organism)  कहा। माइकोप्लाज्मा जीवाणुओं के समान प्रोकैरियोटिक परंतु कोशिका भित्ति रहित जीव है। पैनिसिलिन कोशिका भित्ति के संश्लेषण को रोकती है।

54. ट्रिपैनोसोमा, नाॅक्टील्यूका, मोनोसिस्टिस तथा जिआर्डिया में कौनसा एक लक्षण समान पाया जाता है?

(अ) ये सभी एककोशकीय जीव (प्रोटिस्ट) है

(ब) इन सभी में कशाभ पाए जाते हैं

(स) इनमें बीजाणु बनते हैं

(द) ये सभी परजीवी है

व्याख्या-(अ) ट्रिपैनोसोमा, नाॅक्टिल्यूका, मोनोसिस्टिस तथा जिआर्डिया सभी एककोशिकीय प्रजीव या प्रोटिस्ट है। ट्रिपैनोसोमा गैम्बिएन्स एककोशिकीय, परजीवी प्राणि कशाभी है। इसके कारण ट्रिपैनोसोमिएसिस अथवा निद्रा रोग हो जाता है।

55. ‘मैड-काऊ’ रोग का रोगजनक साधन होता है एक –

(अ) जीवाणु (ब) प्रियाॅन

(स) कृमि (द) विषाणु

व्याख्या-(ब) प्रियाॅन शब्द सर्वप्रथम प्रूसीनर नामक वैज्ञानिक द्वारा प्रतिपादित किया गया। व्याख्या के लिए उत्तर संख्या 42 देखें।

56. ब्रेड के टुकड़े पर म्यूकर की इष्टतम वृद्धि के लिए निम्नलिखित में से कौनसी पर्यावरणीय दशाएँ अनिवार्य है?

1. लगभग 250C तापमान

2. लगभग 50C तापमान

3. आपेक्षित आर्द्रता लगभग 5 प्रतिशत

4. आपेक्षित आर्द्रता लगभग 95 प्रतिशत

5. छायादार स्थान

6. तेज प्रकाश वाला स्थान

निम्नलिखित विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए –

(अ) 1, 3 एवं 5 (ब) 1, 4 एवं 5

(स) 2, 4 एवं 5 (द) 2, 3 एवं 6

व्याख्या-(ब) म्यूकर एक मृतोपजीवी कवक है, जो गण-म्यूकोरेल्स तथा कुल-म्यूकोरेसी का एक सदस्य है। यह सड़े-गले अपक्षय होते हुए गोबर तथा कुछ खाद्य पदार्थों पर उत्पन्न होता है। म्यूकर ब्रेड के टुकड़े पर लगभग 250 से० तापमान, लगभग 95 प्रतिशत आपेक्षिक आर्द्रता तथा नम एवं छायादार स्थानों पर इष्टतम वृद्धि प्रदर्शित करता है।

57. आॅक्सोस्पोर तथा हाॅर्मोसिस्ट क्रमशः किसके द्वारा बनते हैं?

(अ) कुछ डायटम्स तथा अनेक सायनोबैक्टीरिया द्वारा

(ब) कुछ सायनोबैक्टीरिया तथा डायटम्स द्वारा

(स) अनेक सायनोबैक्टीरिया तथा अनेक डायटम्स द्वारा

(द) अनेक डायटम्स तथा कुछ सायनोबैक्टीरिया द्वारा

व्याख्या-(द) अनेक डायटम्स तथा कुछ सायनोबैक्टीरिया द्वारा हेटेरोसिस्ट तथा हाॅर्मोसिस्ट बनते हैं। डायटम्स की कुछ प्रजातियों में, आॅक्सोस्पोर विशेष सन्तति कोशिकाएँ होती हैं, जो उनके कोशिका चक्र के महत्वपूर्ण चरणों में उत्पादित होती है। विखण्डन के पश्चात् कोशिकाएँ आकार में छोटी होती हैं, जो आॅक्सोस्पोर बनते हैं। ये पोषण ग्रहण कर आकार में वृद्धि करते हैं। कुछ तन्तुवत सायनोबैक्टीरिया में अलैंगिक प्रजनन हाॅर्मोगोनिया द्वारा पहचाने जाते हैं।

58. एक्टिनोमाइसिटीज, तन्तुवत् मिट्टी वाले जीवाणु फ्रैंकिया के संबंध में किसी एक कथन को छोड़कर सभी सत्य है।

(अ) यह अनेक पादप जातियों की जड़ में गांठ बनने को प्रेरित करता है

(ब) नाइट्रोजन का स्थिरीकरण मुक्त अवस्था में करता है

(स) अनेक थैलीनुमा संरचना बनाते हैं, जिसमें नाइट्रोजिनेज की रक्षा आॅक्सीजन से रासायनिक बाधा ट्राइटरपीन होपेनाॅइड्स से होती है

(द) राइजोबियम की तरह यह भी सामान्य पोषद् पर आक्रमण मूलरोम द्वारा करता है और पोषद् के वल्कुट में कोशिका वृद्धि को प्रेरित करता है

व्याख्या-(ब) फ्रैंकिया एक नाइट्रोजन स्थिरीकरण तन्तुवत् माइसीलियम युक्त जीवाणु है, जो एक्टिनोराइजल पादपों की जड़ों की गांठ में सहजीवी के रूप में रहता है। यह फैबेसिया में फलियों के मूल ग्रंथिका में पाए जाने वाले राइजोबियम के समान होता है। यह जड़ की काॅर्टिकल कोशिकाओं में प्रवेश कर ग्रंथिका की संरचनाओं को प्रेरित करता है।

ग्रंथिका को वनस्पति हाइफी द्वारा उपनिवेशित किया जाता है। रिडक्ट्वि नाइट्रोजन स्थिरीकरण डाइजो-वेसिकल्स में होता है, यह प्रक्रिया ट्राइटरपीन होपेनाॅइड्स नामक रसायनों की कई परतों द्वारा आण्विक आॅक्सीजन से संरक्षित होती है।

59. लाइकेन में शैवाल तथा कवक के बीच नजदीकी संबंध होता है। कवक –

(अ) शैवाल की सुरक्षा, मजबूती तथा अवशोषण में सहायता देता है

(ब) शैवाल के लिए भोजन प्रदान करता है

(स) शैवाल वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करता है

(द) शैवाल के लिए आॅक्सीजन मुक्त करता है

व्याख्या-(अ) लाइकेन में शैवाल तथा कवक के बीच नजदीकी संबंध होता है। कवक शैवाल की सुरक्षा, मजबूती तथा अवशोषण में सहायता देता है। यह मृदा से पोषक तत्व मुख्यतया फाॅस्फोरस को पादप जड़ों तक पहुँचाता है। शैवाल लाइकेन को भोजन प्रदान करता है। इस प्रकाश शैवाल एवं कवक के बीच सहजीवी संगठन होता है।

60. क्षाररागी पूर्वकेन्द्रकी –

(अ) अधिक तुंगताओं पर अति क्षारीय बर्फ-जमी झीलों में धीरे-धीरे पनपते हैं

(ब) बहुत गहरे समुद्री अवसादों में पनपते और गुणन करते हैं

(स) बेरियम के किसी भी विलेयशील लवण से सम्पन्न समुदी जल में जल्दी से पनपते तथा विभाजन करते हैं

(द) ऐसे जल में पाए जाते हैं, जिसमें बेरियम हाइड्राॅक्साइड का उच्च सान्द्रण होता है

व्याख्या-(ब) क्षाररागी प्रोकैरियोट्स (पूर्वकेन्द्रीय) बहुत गहरे समुद्री अवसादों में पनपते और प्रगुणन करते हैं। यहां क्षार की मात्रा अधिक होती है। अधिकांश क्षाररागी प्रोकैरियोट्स pH 8 या अधिक pH पर वृद्धि करते हैं।

61. निम्न में से कौनसे एककोशिकीय जीव में पोषण संबंधी कार्यों के लिए दीर्घकेन्द्रक व जनन संबंधी कार्यों के लिए लघुकेन्द्रक उपस्थित होते हैं?

(अ) यूग्लीना (ब) अमीबा

(स) पैरामीशियम (द) ट्रिपैनोसोमा

व्याख्या-(स) पैरामीशियम कोडेटम में दो केन्द्रक होते हैं, जिसे केन्द्रकीय द्विरूपता कहते हैं, जो निम्न हैं –

1. सूक्ष्म या लघुकेन्द्रक यह छोटे आकार का होता है। इसमें गुणसूत्र के दो सैट होते हैं। इसमें आनुवंशिक पदार्थ संचित होते हैं और यह प्रजनन में भाग लेता है।

2. दीर्घकेन्द्रक यह बड़े आकार का होता है। इसमें गुणसूत्र के अनेक सैट होते हैं। यह पैरामीशियम के कायिक कार्यों व पोषण संबंधी कार्यों का नियंत्रण करता है।

62. सबसे अधिक अध्ययन किस जीवाणु पादप अन्तःक्रिया पर हुआ है?

(अ) सायनोबैक्टीरिया के जलीय फर्न के साथ सहजीवन

(ब) एग्रोबैक्टीरियम द्वारा आवृतबीजी में गाॅल निर्माण

(स) सिस्बानिया के तने में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले जीवाणु द्वारा गांठ का निर्माण

(द) फाॅस्फेट विलेयशील जीवाणु द्वारा पादप वृद्धि को उत्तेजित करना

व्याख्या-(ब) एग्रोबैक्टीरियम व आवृतबीजी पादप के बीच होने वाली जीवाणु पादप की अन्तःक्रिया पर सबसे अधिक अध्ययन किया गया है। यह स्वयं और पादपों के बीच DNA को स्थानान्तरित करने की क्षमता के लिए जाना जाता है, इसलिए यह जेनेटिक इंजीनियरिंग में रोग प्रतिरोधी जातियों को उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण – एग्रोबैक्टीरियम द्वारा आवृतबीजी में गाॅल निर्माण।

63. लाइकेन शैवाल तथा कवक के बीच सबसे प्रसिद्ध समूह है, जिसमें कवक का है –

(अ) एक मृतोपजीवीय संबंध, शैवाल के साथ

(ब) एक अधिपादपीय संबंध, शैवाल के साथ

(स) एक परजीवीय संबंध, शैवाल के साथ

(द) एक सहजीवीय संबंध, शैवाल के साथ

व्याख्या-(द) लाइकेन दो जीवों से मिश्रित बना एक जीव है, जो शैवाल तथा कवक के बीच सहजीवी संबंध है। मृतोपजीवी ऐसे जीव है जो मृत, सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों पर पनपते हैं व उन पर रासायनिक क्रिया कर पोषण प्राप्त करते हैं।

64. वे विषाणु, जो जीवाणु को संक्रमिक कर, उनमें गुणन तथा लाइसिस करते हैं, उन्हें कहते हैं?

(अ) लाइसोजाइम

(ब) लाइपोलाइटिक

(स) लाइटिक

(द) लाइसोजेनिक

व्याख्या-(स) विषाणु जीवाणु में संक्रमण के बाद जीवाणु कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं और जीवाणुभोजी कहलाते हैं। इसमें जीवाणुभोजी के DNAकी पुनरावृत्ति के बाद, नए जीवाणुभोजी बनते हैं, जो परपोषी कोशिका के फटने से बाहर आ जाते हैं। इस क्रिया को लयनकारी चक्र (लाइटिक चक्र) कहते हैं।

65. रिट्रोवायरस के विषय में निम्नलिखित में से कौनसा कथन सही नहीं है?

(अ) रिट्रोवायरस में RNA-निर्भर DNA-पाॅलीमरेज का जीन उपस्थित होता है

(ब) परिपक्व रिट्रोवायरस में आनुवंशिक पदार्थ RNA होता है

(स) रिट्रोवायरस मनुष्य में कुछ मुख्य किस्म के कैंसरों के उत्पन्नकर्ता साधन होते हैं

(द) रिट्रोवायरस के जीवन चक्र में DNA किसी भी अवस्था में उपस्थित नहीं होता है

व्याख्या-(द) रिट्रोवायरस में आनुवंशिक पदार्थ के रूप में RNA पाया जाता है, जो रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज एंजाइम का उपयोग कर DNA का निर्माण करता है। यह प्रक्रिया रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन कहलाती है। मनुष्यों में ल्यूकेमिया कैंसर एवं एड्स रोग रिट्रोवायरस द्वारा होते हैं।

66. एक स्वतंत्रजीवी नाइट्रोजन-स्थिरीकरण सायनोबैक्टीरियम जो जलीन फर्न एजोला के साथ सहजीवी साहचर्य भी बना सकता है, निम्न में से कौनसा है?

(अ) क्लोरेला (ब) नाॅस्टाॅक

(स) एनाबीना (द) टोलीपोथ्रिक्स

व्याख्या-(स) एनाबीना एक स्वतंत्रजीवी, नाइट्रोजन-स्थिरीकारी सायनोबैक्टीरियम है, जो कि जलीय फर्न एजोला के साथ सहजीवी संगठन बनाता है, जो कि मृदा को उपजाऊ बनाता है। एजोला धान के खेत में सबसे अच्छा हरित खाद होता है।

67. अमीबा में पुटीभवन का मुख्य कार्य है?

(अ) ऐसी स्थिति जिसमें सचित उत्सर्जी पदार्थ से छुटकारा मिल जाए

(ब) विपरीत भौतिक परिस्थितियों में जीने का सामथ्र्य

(स) कुछ समय तक बिना भोजन का अंतर्ग्रहण किए रहने का सामथ्र्य

(द) परजीवी तथा परपक्षी से रक्षा

व्याख्या-(ब) अमीबा में पुटीभवन युग्मक को विपरीत वातावरण में जीवित रखता है। इसके अंदर यह सुप्तावस्था में रहता है। अनुकूल परिस्थितियाँ आने पर कोशिका तथा केन्द्रक का विभाजन हो जाता है और पुटी नष्ट होकर दो या चार सन्तति अमीबा उत्पन्न करते हैं।

68. विषाणु एवं गुणसूत्र दोनों ही कोशिका के बाहर निर्जीव है, क्योंकि –

(अ) दोनों की वृद्धि तथा गुणन के लिए कोशिका के जीवद्रव्य की आवश्यकता होती है

(ब) उन्हें दोनों DNA तथा RNA की आवश्यकता होती है

(स) उन दोनों को भोज्य अणुओं की आवश्यकता होती है

(द) उन दोनों को श्वसन के लिए आॅक्सीजन की आवश्यकता होती है

व्याख्या-(अ) विषाणु से गुणसूत्र निकालने पर यह जीवित नहीं रह सकता है, क्योंकि इसको वृद्धि एवं गुणन के लिए कोशिका के जीवद्रव्य की आवश्यकता होती है। इसके गुणसूत्र में कोडित सूचनाएँ निहित होती है, जो पोषद कोशिका के गुणसूत्रों (जीनोम) का उपयोग करके अपना द्विगुणन करती हैं। इसमें DNA या RNA एक ही न्यूक्लिक अम्ल उपस्थित होता है।

69. विषाणु के संबंध में कौनसा कथन सही है?

(अ) विषाणु के न्यूक्लिक अम्ल को कैप्सिड कहा जाता है

(ब) विषाणु का अपना उपापचय तंत्र होता है

(स) सभी विषाणु में DNA तथा RNA दोनों होते हैं

(द) विषाणु अविकल्पी परजीवी होते हैं

व्याख्या-(द) कथन द सही है। विषाणु अविकल्पी परजीवी होते हैं। ये न्यूक्लियोप्रोटीन DNA या RNA के बने होते हैं, जो जीवित कोशिका के अंदर ही सक्रिय होता है। इनका अपना उपापचय तंत्र नहीं होता है और ये पोषद के यंात्रिकी का उपयोग अपने प्रजनन में करते हैं। इसका कैप्सिड प्रोटीन का बना होता है, जो आनुवंशिक पदार्थ को घेरे रखता है।

70. टोबैको मोजैक विषाणु नलिकारूपी तन्तुवत् होता है, जिसका आकार है –

(अ) 700 X 30 mm

(ब) 300 X 10 mm

(स) 300 X 5 mm

(द) 300 X 20 mm

व्याख्या-(द) टोबैको मोजैक विषाणु 300 मिमी. लम्बा तथा 20 मिमी. व्यास का तन्तुवत् होता है। इसकी खोज इवानोवस्की ने की थी। इसमें एक रज्जुक कुण्डलीदार त्छ। आनुवंशिक अणु होता है। ये सोलेनेसी पादपों में संक्रमण करता है।

71. जीवाणु कोशिका के भीतर गुणसूत्र 1.3 की संख्या में हो सकते हैं और वे –

(अ) सदैव वृत्ताकार होते हैं

(ब) सदैव रैखिक होते हैं

(स) या तो वृत्ताकार हो सकते हैं या रैखिक, लेकिन एक ही कोशिका में दोनों साथ-साथ नहीं हो सकते हैं

(द) एक ही कोशिका में वृत्ताकार और रैखिक साथ-साथ हो सकते हैं

व्याख्या-(अ) जीवाणु तथा सभी पूर्व केन्द्रकीय कोशिकाओं में केवल वृत्ताकार गुणसूत्र होते हैं। ये 1-3 की संख्या में हो सकते हैं।

72. 5-जगत वर्गीकरण पद्धति में आर्किया तथा नाइट्रोजन स्थिरीकारी जीवों को आप किस जगत में रखेंगे?

(अ) प्लाण्टी (ब) फन्जाई

(स) प्रोटिस्टा (द) मोनेरा

व्याख्या-(द) 5 जगत प्रणाली के अनुसार, आर्किया एवं नाइट्रोजन स्थिरीकारी जीवों को मोनेरा जगत में सम्मिलित किया जाएगा। इस जगत में सभी प्रोकैरियोट्स सम्मिलित किए जाते हैं। ये मूल कोलोनियम या तन्तुवत् हो सकते हैं। इनकी कोशिका भित्ति में पेप्टाइडोग्लाइकेन होता है।

73. जीवाणु के पारगमन के लिए कौनसा कथन सत्य है?

(अ) एक जीवाणु से दूसरे जीवाणु में विषाणु द्वारा जीवन का स्थानान्तरण होता है

(ब) एक जीवाणु से दूसरे जीवाणु में संयुग्मन द्वारा जीवन का स्थानान्तरण होता है

(स) जीवाणु अपना DNA प्रत्यक्ष रूप में ग्रहण करता है

(द) जीवाणु अपना DNA दूसरे बाह्य स्रोतों से प्राप्त करता है

व्याख्या-(अ) जिन्डर व लेडरबर्ग ने साल्मोनेला जीवाणु में पारगमन प्रक्रिया को खोजा। इस विधि में एक जीवाणु को DNA अन्य जीवाणु की कोशिका में जीवाणुभोजी कवक के द्वारा पहुंचाया जाता है।

74. इनमें से कौनसा अनाज के पादप के संचय के समय टाॅक्सिन स्रावित करता है?

(अ) एस्पर्जिलस (ब) पैनिसिलियम

(स) फ्यूजेरियम (द) कोलेटोट्राइकम

व्याख्या-(अ) एस्पर्जिलस फ्लेवस कवक अल्फाटाॅक्सिन नामक विष का उत्पादन अनाज के पादपों के संचय के समय करता है, जो वनस्पति, घास और अनाज के पादपों को हानि पहुँचाता है।

75. जीव, जो अपचयित अकार्बनिक पदार्थों के आॅक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त करते हैं, कहलाते हैं?

(अ) प्रकाश स्वपोषित

(ब) रसायन स्वपोषित

(स) मृत जन्तुसम

(द) विष्ठा परपोषित

व्याख्या-(ब) जीव, जो अपचयित अकार्बनिक पदार्थों के आॅक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त करते हैं, ‘रसायन स्वपोषित’ जीव कहलाते हैं। रसायन संश्लेषण में सौर ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है। कुछ जीव, अकार्बनिक पदार्थों के आॅक्सीकरण में प्रयुक्त रासायनिक ऊर्जा का उपयोग, उनके कार्बनिक भोजन के निर्माण में करते हैं।

76. प्रोटोजोआ जैसे अमीबा तथा पैरामीशियम जन्तुओं में जल संतुलन के लिए एक अंग पाया जाता है, जिसका नाम है –

(अ) संकुचनशील रिक्तिका

(ब) माइटोकाॅण्ड्रिया

(स) केन्द्रक

(द) खाद्यधानी

व्याख्या-(अ) प्रोटोजोआ (अमीबा तथा पैरामीशियम) में सुंकचनशील रसधानी जल संतुलन व उत्सर्जन का कार्य करती है, जिसे परासरण-नियमन कहते हैं। जल पारगम्य झिल्ली के द्वारा अंदर की ओर प्रवाह करता है व आवश्यकता पूर्ण होने पर कोशिका के बाहर निष्कासित (उत्सर्जी पदार्थों व CO2 को) कर दिया जाता है।

77. निम्न में से किस जन्तु में केन्द्रकीय द्विरूपता पायी जाती है?

(अ) अमीबा प्रोटियस

(ब) ट्रिपैनोसोमा गैम्बियस

(स) प्लाज्मोडियम वाइवेक्स

(द) पैरामीशियम कोडेटम

व्याख्या-(द) इसके उत्तर के लिए प्रश्न संख्या 61 की व्याख्या देखें।

78. कौनसा कवकजनित रोग बीज तथा पुष्पों द्वारा फैलता है?

(अ) गेहूँ का लूज स्मट

(ब) कार्न स्टण्ट

(स) जौ का आवृत्त स्मट

(द) आलू का मुलायम सड़न रोग

व्याख्या-(अ) गेहूं में लूज स्मट की बीमारी का कारण अस्टिलैगो होता है। इस बीमारी में फूल तथा अनाज के दाने पाउडर में बदल जाते हैं। टिलियोस्पोर्स वायु द्वारा स्थानान्तरित होते हैं और खिले हुए फूलों को संक्रमित करते हैं।

79. 5 जगत प्रणाली में वर्गीकरण का मुख्य आधार है?

(अ) केन्द्रक की संरचना

(ब) पोषण

(स) कोशिका भित्ति की संरचना

(द) अलैंगिक जनन

व्याख्या-(ब) 5 जगत प्रणाली आर.एच. व्हिटेकर द्वारा की गई थी, जो निम्न सिद्धांतों पर आधारित है –

1. कोशिका संरचना की जटिलता पर

2. शरीर संगठन की जटिलता पर

3. पोषण के प्रकार पर

80. जीवाणु में प्लाज्मिड है –

(अ) अतिरिक्त गुणसूत्रीय पदार्थ

(ब) मुख्य DNA

(स) अक्रियाशील DNA

(द) पुनरावृत्त जीन

व्याख्या-(अ) जीवाणुओं में मुख्य केन्द्रकीय DNA के अतिरिक्त कुछ अन्य अतिरिक्त गुणसूत्रीय संरचना पाई जाती है, जिसे प्लाज्मिड कहते हैं। प्लाज्मिड जीवाणुओं की प्रजनन क्रिया में सहायक होते हैं तथा कुछ जीवाणुओं में प्लाज्मिड पर उपस्थित ‘R’ कारक के कारण कुछ रसायनों के विरुद्ध प्रतिरोधी क्षमता पाई जाती है।

81. आर्किबैक्टीरिया के लिए कौनसा कथन सत्य है?

(अ) सभी हैलोफाइट्स होते हैं

(ब) सभी प्रकाश-संश्लेषी है

(स) सभी जीवाश्म है

(द) सबसे पुराना जीवित जीव है

व्याख्या-(द) आर्किबैक्टीरिया सबसे आद्य प्रकार के जीव है। ये अधिक प्राचीन हैलोजीन्स जीवाणुओं का समूह है, जिसे जीवित जीवाश्म कहा जाता है। ये प्रतिकूल परिस्थितियों में भी रहने की क्षमता रखते हैं।

82. काॅलीफ्लोवर मोजैक विषाणु में होता है –

(अ) एक रज्जुक वाला ssRNA

(ब) दो रज्जुक वाला dsRNA

(स) दो रज्जुक वाला dsDNA

(द) दो रज्जुक वाला ssDNA

व्याख्या-(स) काॅलीफ्लोवर मोजैक विषाणु में दो रज्जुकों का वृत्ताकार DNA पाया जाता है। यह पैरा-रिट्रोवायरस भी है, जो रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन द्वारा DNA का निर्माण करता है। ये अधिकतर ब्रैसीकेसी कुल के पादपों को संक्रमित करता है।

83. प्लाज्मिड के संबंध में कौनसा कथन सत्य है?

(अ) जीनीय स्थानान्तरण में प्लास्मिड का उपयोग काफी अधिक होता है

(ब) ये विषाणु में पाए जाते हैं

(स) प्लाज्मिड में जीन जैविक क्रियाविधि के लिए होता है

(द) ये गुणसूत्र के मुख्य भाग है

व्याख्या-(अ) प्लाज्मिड छोटा वृत्ताकार DNA का बना जीवाणु/यीस्ट में अतिरिक्त गुणसूत्रीय पदार्थ होता है। जीवाणुओं में जनन के समय जीनीय स्थानान्तरण में प्लाज्मिड का प्रयोग होता है।

84. पादप अपघटक है –

(अ) मोनेरा तथा कवक

(ब) कवक तथा पादप

(स) प्रोटिस्टा तथा एनिमेलिया

(द) एनिमेलिया तथा मोनेरा

व्याख्या-(अ) जीवाणु तथा कवक, पादप अपघटक है और क्रमशः मोनेरा जगत और कवक जगत में आते हैं। ये पादप अवशेषों को अपघटित कर सरल पदार्थों में परिवर्तित कर मृदा में विलीन कर देते हैं।

85. कवकों की आसंजक संरचना किसकी सहायता से पोषद् का भेदन करती है?

(अ) यांत्रिक दाब तथा एंजाइम

(ब) हुक तथा चूषक

(स) एंजाइम द्वारा नरम करके

(द) केवल यांत्रिक दाब द्वारा

व्याख्या-(अ) कवक में चिपचिपे पैड यांत्रिक दाब तथा एंजाइम की सहायता से पोषद को भेजते हैं। यह पोषद की कोशिका भित्ति से चिपक जाते हैं व सेलुलोस एंजाइम द्वारा पोषद की कोशिका भित्ति के सेलुलोस का अपघटन कर तन्तु को कोशिका भित्ति में भेज देते हैं।

86. सायनोबैक्टीरिया के लिए क्या सत्य है?

(अ) आॅक्सीजनित तथा नाइट्रोजिनेज युक्त

(ब) आॅक्सीजनित तथा नाइट्रोजिनेज रहित

(स) अनाॅक्सीजनित तथा नाइट्रोजिनेज युक्त

(द) अनाॅक्सीजनित तथा नाइट्रोजिनेज रहित

व्याख्या-(अ) सायनोबैक्टीरिया ग्राम ऋणात्मक प्रोकैरियोट्स है जिन्हें नील हरित शैवाल के नाम से भी जाना जाता है। यद्यपि सायनोबैक्टीरिया एक सत्य प्रोकैरियोट है, लेकिन इसका प्रकाश संश्लेषी तंत्र यूकैरियोट्स से समानता रखता है, क्योंकि इनमें पर्णहरित-ं तथा प्रकाश तंत्र-II पाया जाता है, जो आॅक्सीजनित प्रकाश संश्लेषण करता है।

इनमें नाइट्रोजन स्थिरीकरण हेतु नाइट्रोजिनेज एंजाइम पाया जाता है। यह एंजाइम आॅक्सीजन की उपस्थिति में निष्क्रिय हो जाता है और मोटी भित्ति युक्त हेटेरोसिस्ट, नाइट्रोजिनेज एंजाइम के उपयुक्त अवायवीय वातावरण उपलब्ध कराता है।

87. किसके कारण ग्राम पाॅजिटिव तथा ग्राम निगेटिव जीवाणुओं में अंतर पाया जाता है?

(अ) कोशिका भित्ति (ब) कोशिका कला

(स) राइबोसोम (द) कोशिकाद्रव्य

व्याख्या-(अ) ग्राम धनात्मक तथा ग्राम ऋणात्मक जीवाणुओं की कोशिका भित्ति में अंतर निम्न प्रकार से हैं –

ग्राम-धनात्मक जीवाणु –

1. कोशिका भित्ति मोटी होती है।

2. इनकी कोशिका भित्ति में पेप्टाइडोग्लाइकेन तथा अत्यधिक कम मात्रा में प्रोटीन तथा पाॅलीसैकेराइड होते हैं।

3. कोशिका भित्ति में लिपिड की मात्रा कम होती है।

4. कोशिका भित्ति की बाह्य परत में टिकोइक अम्ल पाया जाता है।

5. प्रतिजैविकों, जैसे – पेनिसिलिन कोशिका भित्ति के प्रति कम प्रतिरोधी होती है।

6. कोशिका भित्ति लाइसोजाइम के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती है।

ग्राम ऋणात्मक जीवाणु –

1. कोशिका भित्ति पतली होती है।

2. इनमें पेप्टाइडोग्लाइकेन, फाॅस्फोलिपिड, प्रोटीन तथा लिपोपाॅलीसैकेराइड होते हैं।

3. कोशिका भित्ति में लिपिड की मात्रा अधिक होती है।

4. टिकोइक अम्ल अनुपस्थित होता है।

5. प्रतिजैविकों के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती है।

6. लाइसोजाइम के प्रति कम प्रतिरोधी होती है।

88. धान के खेत में सबसे अच्छा रहित खाद है?

(अ) एस्पर्जिलस (ब) एजोला

(स) साल्विया (द) म्यूकर

व्याख्या-(ब) इसके उत्तर के लिए प्रश्न संख्या 66 की व्याख्या देखें।

89. एंजाइम अनुपस्थित होते हैं –

(अ) सायनोबैक्टीरिया में

(ब) विषाणु में

(स) शैवाल में

(द) कवक में

व्याख्या-(ब) विषाणुओं में एंजाइम नहीं पाए जाते हैं। ये अपने जीवनयापन एवं वृद्धि के लिए पोषद की उपापचयी यांत्रिकी पर आश्रित होते हैं। पोषद कोशिका में इसका जीनोम पहुंचते ही, पोषद के जीनोम को नष्ट कर देता है और परपोषी की उपापचयी यांत्रिकी का उपयोग कर अपने जीनोम तथा कैप्सिड प्रोटीन अणु का संश्लेषण कर सन्तति विषाणुओं का निर्माण करता है।

90. एक विषाणु को जीवित जीव कह सकते हैं, क्योंकि –

(अ) यह स्पर्श अनुक्रिया के प्रति प्रतिक्रिया करता है

(ब) श्वसन

(स) पोषद् के अंदर प्रजनन करता है

(द) बीमारी कर सकता है

व्याख्या-(स) विषाणु को जीवित जीव कह सकते हैं, क्योंकि यह पोषद के अंदर प्रजनन करता है। विषाणु एक सूक्ष्मदर्शी न्यूक्लियोप्रोटीन है जो केवल पोषद की जीवित कोशिका में सक्रिय होता है। इसमें आनुवंशिक पदार्थ DNA या RNA होता है। सजीव कोशिका के बाहर ये निर्जीव कणों के रूप में होते हैं अथवा अविकल्पी अन्तः कोशिकीय परजीवी कहलाते हैं।

91. कवक द्वारा संचित भोज्य पदार्थ है –

(अ) ग्लाइकोजन (ब) स्टार्च

(स) सुक्रोस (द) ग्लूकोस

व्याख्या-(अ) कवक ग्लाइकोजन का भोज्य पदार्थ के रूप में संचय करते हैं। यह एक प्रकार का होमोपाॅलीसैकेराइड है। पादप स्टार्च नामक भोज्य पदार्थ का उत्पादन करते हैं। सुक्रोस एवं ग्लूकोस एक प्रकार की शर्करा है।

92. गेहूँ में ब्लैक रस्ट किसके द्वारा होता है?

(अ) पक्सीनिया (ब) म्यूकर

(स) एस्पर्जिलस (द) राइजोपस

व्याख्या-(अ) गेहूं में ब्लैक रस्ट की बीमारी पक्सीनिया ग्रैमिनिस से होती है जो कि एक कवक है। इससे पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं। इसके लक्षण पत्तियों तथा तने पर देखे जा सकते हैं। यह गर्म क्षेत्र (15-200 से० से अधिक) तथा नमी के स्थान पर बहुत तेजी से फैलती है।

93. निम्न में से किस जीव द्वारा धान की उपज बढ़ जाती है?

(अ) एनाबीना

(ब) बैसिलस पोपिली

(स) सिस्बेनिया

(द) बैसिलस पाॅलीमिक्सा

व्याख्या-(अ) इसके उत्तर के लिए प्रश्न संख्या 66 की व्याख्या देखें।

94. पूर्वकेन्द्रकीय कोशिका का आनुवंशिक पदार्थ है –

(अ) रैखिक DNA हिस्टोन के साथ

(ब) वृत्ताकार DNA हिस्टोन के साथ

(स) रैखिक DNA बिना हिस्टोन के साथ

(द) वृत्ताकार DNA बिना हिस्टोन के साथ

व्याख्या-(द) प्रोकैरियोटिक कोशिका में आनुवंशिक पदार्थ दो रज्जुक के वृत्ताकार DNA का बना होता है जिसमें हिस्टोन प्रोटीन नहीं होता है। अतः इनमें असत्य गुणसूत्र उपस्थित होते हैं। हिस्टोन प्रोटीन के स्थान पर इनमें पाॅलीअमीन उपस्थित होते हैं।

95. जीवाणु एश्चेरिशिया कोलाई में उपस्थित आनुवंशिक पदार्थ होते हैं –

(अ) एकरज्जुक वाला DNA

(ब) डीआॅक्सीराइबोस शर्करा

(स) दो रज्जुक वाला DNA

(द) एक रज्जुक वाला RNA

व्याख्या-(स) जीवाणु एश्चेरिशिया कोलाई में आनुवंशिकी पदार्थ दो रज्जुक वाले क्छ। के रूप में कोशिकाद्रव्य में स्वतंत्र अवस्था में पाया जाता है।

96. कुछ ऐसे जीव ज्ञात है जो 100-1050C  तापमान पर वृद्धि तथा गुणन करते हैं वे किस वर्ग में आते हैं?

(अ) समुद्री आर्किबैक्टीरिया

(ब) तापस्नेही सल्फर जीवाणु

(स) गर्म झरने वाले नीले-हरे शैवाल

(द) तापस्नेही सब-एरियल कवक

व्याख्या-(अ) समुद्री आर्किबैक्टीरिया, वे जीव हैं, जो 100-1050C  तापमान पर वृद्धि एवं गुणन कर सकते हैं। इनमें थर्मोस्टेबल एंजाइम्स पाए जाते हैं।

97. पारगमन विधि में आनुवंशिक सूचनाएँ एक जीवाणु से दूसरे में किस विधि द्वारा स्थानान्तरित होती है?

(अ) संयुग्मन

(ब) बैक्टीरियोफेज की मुक्ति जो दाता जीवाणु स्टेªन से होती है

(स) दूसरे जीवाणु से

(द) दाता तथा ग्राही स्टेªन के बीच भौतिक संपर्क द्वारा

व्याख्या-(ब) पारगमन विधि में एक जीवाणु कोशिका के DNA का कुछ भाग दूसरी जीवाणु कोशिका में जीवाणुभक्षी (बैक्टीरियोफेज) द्वारा पहुंचाया जाता है। संयुग्मन में संयुग्मन नलिका द्वारा आनुवंशिक पदार्थ एक जीवाणु से दूसरे जीवाणु में पहुंचाया जाता है। जब एक जीवाणु से DNA ग्राही स्टेªन के बीच भौतिक संपर्क कराया जाता है, तो इसे रूपान्तरण कहते हैं।

98. पक्सीनिया बनाता है –

(अ) यूरेडिया तथा एसिया, गेहूँ के पत्तों पर

(ब) यूरेडिया तथा टिलिया, गेहूँ के पत्तों पर

(स) यूरेडिया तथा एसिया, बारबरी के पत्तों पर

(द) यूरेडिया तथा पिकनिया, बारबरी के पत्तों पर

व्याख्या-(ब) पक्सीनिया एक कवक है, जो गेहूं में ब्लैक रस्ट रोग उत्पन्न करता है। यह अपना जीवन चक्र दो पोषदों पर पूर्ण करता है और 5 प्रकार के स्पोर्स बनाता है। पहला पोषद गेहूं तथा दूसरा पोषद बारबेरी पादप है। गेहूं पर दो प्रकार के स्पोर (बीजाणु) यूरीडोस्पोर (यूरेडिया) तथा टिल्यिूटोस्पोर (टिलिया) बनते हैं और बारबरी के पत्तों पर बेसीडियोस्पोर्स, पिक्नीडियोस्पोर्स तथा एसीडियोस्पोर्स बनाता है।

99. 5 संघ के वर्गीकरण पद्धति में से किस एक संघ में नीले-हरे शैवाल, नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु तथा मीथेनोजेनिक आर्किबैक्टीरिया आते है?

(अ) फंजाई (ब) प्लाण्टी

(स) प्रोटिस्टा (द) मोनेरा

व्याख्या-(द) सभी प्रोकैरियोट जीव, जैसे-जीवाणु, नील हरित शैवाल तथा आर्किबैक्टीरिया मोनेरा जगत के अंतर्गत सम्मिलित है। प्रोटिस्टा में एककोशिकीय तथा काॅलोनियल सुकेन्द्रकीय जीव आते हैं, उदाहरण – डायटम, डाइनोफ्लैजिलेट, यूग्लीना तथा प्रोटोजोआ इसके सदस्य है। कवकों को फंजाई तथा पादपों को प्लाण्टी जगत में वर्गीकृत किया गया है।

100. इनमें से कौनसा कथन विषाणु के लिए सही है?

(अ) विषाणु में अपना उपापचय तंत्र होता है

(ब) विषाणु में DNA या RNA होता है

(स) विषाणु विकल्पी परजीवी है

(द) विषाणु को प्रतिजैविक द्वारा आसानी से मारा जा सकता है

व्याख्या-(ब) विषाणु का आनुवंशिक पदार्थ DNA या RNA होता है।क्छ।एकल रज्जुक या द्विरज्जुक होता है। ऐसे विषाणु जिनका आनुवंशिक पदार्थ त्छ। होता है, उन्हें रियोवायर या रिट्रोवायरस कहते हैं। इनमें त्छ। से क्छ। का संश्लेषण होता है।

101. अधिकतर लाइकेन बने होते हैं –

(अ) नीले-हरे शैवाल तथा बैसीडियोमाइसिटीज से

(ब) नीले-हरे शैवाल तथा एस्कोमाइसिटीज से

(स) लाल शैवाल तथा एस्कोमाइसिटीज से

(द) भूरे शैवाल तथा फाइकोमाइसिटीज से

व्याख्या-(ब) एस्कोमाइसिटीज कवक के ऐसे समूह हैं, जिसमें थैलीनुमा एस्कस तथा एस्कोस्पोर बनते हैं। लाइकेन में कवक मुख्यतया एस्कोमाइसिटीज ही होता है व शैवाल अधिकतर नीला हरा होता है। कवक लाइकेन को दृढ़ता प्रदान करता है एवं शैवाल से भोजन प्राप्त करता है।

102. एजोटोबैक्टर तथा बैसिलस पाॅलीमिक्सा उदाहरण है –

(अ) सहजीवी नाइट्रोजन-स्थिरीकरण करने वाले जीवाणु

(ब) असहजीवी नाइट्रोजन-स्थिरीकरण करने वाले जीवाणु

(स) अमोनीकरण करने वाले जीवाणु

(द) बीमारी उत्पन्न करने वाले जीवाणु

व्याख्या-(ब) एजोटोबैक्टर तथा बैसिलस पाॅलीमिक्सा असहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले जीवाणु का उदाहरण है। ये मुक्त अवस्था में तटस्थ और क्षारीय मृदा में पाए जाते हैं।

103. जीवाणु में लिंग फैक्टर है –

(अ) गुणसूत्री रेप्लिकाॅन

(ब) F-रेप्लिकाॅन

(स) RNA

(द) सेक्स पाइलस

व्याख्या-(ब) जीवाणु में लिंग फैक्टर (F) रेप्लिकाॅन होता है, जो जीवाणु में संयुग्मन में सहायक होता है। F-फैक्टर की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर कोशिका को F+ और F- में क्रमशः वर्गीकृत करते हैं। F+ कोशिका नर (दाता) और F- कोशिका मादा (ग्राही) की तरह व्यवहार करती है।

104. इन्फ्लुएंजा विषाणु में होता है –

(अ) DNA

(ब) RNA

(स) DNA तथा RNA

(द) केवल प्रोटीन और न्यूक्लिक अम्ल नहीं

व्याख्या-(ब) इन्फ्लुएंजा विषाणु एक रिट्रोविषाणु है, जिसका आनुवंशिक पदार्थ एकल रज्जुक RNA का बना होता है।

105. जीवाणु के गुणसूत्र में, न्यूक्लिक अम्ल बहुलक होते हैं –

(अ) रैखिक DNA के अणु

(ब) वृत्ताकार DNA के अणु

(स) दो प्रकार के DNA तथा RNA

(द) रैखिक RNA अणु

व्याख्या-(ब) जीवाणु का एकल गुणसूत्र द्विरज्जुकीय वृत्ताकार DNA का बना होता है। यह कोशिकाद्रव्य में स्वतंत्र अवस्था में पाया जाता है।

106. लाइकेन के बारे में कौनसा कथन सत्य नहीं है?

(अ) इनके शरीर शैवाल तथा कवक के बने होते हैं

(ब) कुछ आर्कटिक क्षेत्र में रेनडियर को भोजन प्रदान करते हैं

(स) कुछ जातियों का उपयोग प्रदूषण संकेतांक के रूप में किया जा सकता है

(द) ये तेजी से वृद्धि करते है जो 2 मिमी प्रतिवर्ष होता है

व्याख्या-(द) लाइकेन एक जटिल दो जीवों से बना होता है, जिसमें कवक तथा शैवाल के बीच संगठन होता है। लाइकेन का संपूर्ण शरीर कवक द्वारा बना होता है, जबकि शैवाल प्रकाश संश्लेषण की क्रिया से भोजन का निर्माण करता है और कवक शैवाल से भोजन प्राप्त करता है। ये प्रदूषण युक्त क्षेत्रों में उत्पन्न नहीं होते हैं। अतः प्रदूषण संकेतांक के रूप में कार्य करते है। ये 1-2 मिमी. ही व्यास में वृद्धि करते हैं।

107. माइकोराइजा –

(अ) एक सहजीवी संगठन है, जो पादप जड़ों तथा कुछ कवक के बीच में होते हैं

(ब) एक संगठन जो शैवाल तथा कवक के बीच होते हैं

(स) एक कवक जो उच्च पादप की जड़ में परजीविता प्रदर्शित करते हैं

(द) एक संगठन जो राइजोबियम तथा मटर कुल के पौधे की जड़ों में होते हैं

व्याख्या-(अ) माइकोराइजा उच्च पादपों की जड़ों एवं कवकों के मध्य एक सहजीवी संगठन है। कवक पादपों की जड़ों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं और मृदा में खनिज लवणों का अवशोषण करते है। सहजीवी संगठन जो राइजोबियम तथा मटर कुल के पादपों की जड़ों के बीच होता है, उसे सहजीवन कहते हैं।

108. नीले-हरे शैवाल किसमें आते हैं?

(अ) केन्द्रकीय जीव

(ब) पूर्वकेन्द्रकीय जीव

(स) रोडोफाइसी में

(द) क्लोरोफाइसी में

व्याख्या-(ब) नीले-हरे शैवाल या सायनोबैक्टीरिया प्रोकैरियोट (पूर्व केन्द्रकीय) जीव के अंतर्गत आते हैं।

109. इनमें से किस जीव में पादप तथा जन्तु दोनों के गुण है?

(अ) जीवाणु (ब) यूग्लीना

(स) माइकोप्लाज्मा (द) पैरामीशियम

व्याख्या-(ब) यूग्लीना एक ऐसा जीव है, जिसमें पादप तथा जन्तु दोनों के लक्षण पाए जाते हैं, क्योंकि यह फ्लैजिला द्वारा जन्तुओं की तरह गति कर सकता है तथा इसमें पर्णहरित पाया जाता है, जिससे पादपों की गति प्रकाश संश्लेषण कर भोजन का निर्माण करता है। जिसे होलोफाइटिक पोषण भी कहते हैं एवं जन्तुआंे की तरह बाहरी भोजन को होलोजोइक पोषण द्वारा भी प्राप्त करता है।

110. प्रोटोजोआ में संकुचनशील रसधानी सहायता करती है –

(अ) गति में

(ब) भोजन के पाचन में

(स) जल के परासरण में

(द) प्रजनन में

व्याख्या-(स) इसके उत्तर के लिए प्रश्न संख्या 76 की व्याख्या देखें।

111. दीर्घ तथा सूक्ष्म केन्द्रक किसका मुख्य लक्षण है?

(अ) पैरामीशियम तथा वर्टीसिला

(ब) ओपेलिना तथा निक्टोथाइरस

(स) हाइड्रा तथा बेलेनटिडियम

(द) वर्टीसिला तथा निक्टोथाइरस

व्याख्या-(अ) कुछ प्रोटोजोअन्स, जैसे – पैरामीशियम तथा वर्टीसिला में दो केन्द्रक होते हैं। पहला दीर्घ या गुरुकेन्द्रक कहलाता है, जो उपापचयी क्रियाओं का नियंत्रण करता है तथा दूसरा सूक्ष्म अथवा लघुकेन्द्रक होता है जो प्रजनन से संबंधित होता है।

112. अमीबा में उत्सर्जन किसके द्वारा होता है?

(अ) लोबोपीडिया

(ब) यूरोड भाग

(स) प्लाज्मा झिल्ली

(द) संकुचनशील रसधानी द्वारा

व्याख्या-(द) इसके उत्तर के लिए प्रश्न संख्या 76 की व्याख्या देखें।

113. निम्न में कौनसा सुमेलित नहीं है?

(अ) जड़ों में गांठ उत्पन्न करने वाली बीमारी – मिलोइडोगाइनी जेवेनिका

(ब) बाजरे का स्मट की बीमारी – टोलीस्पोरियम पेनीसिलरी

(स) जौ का आच्छादित स्मट – अस्टिलैगो न्यूडा

(द) आलू में पछेती अंगमारी – फाइटोफ्थोरा इन्फेस्टेन्स

व्याख्या-(स) जौ के आच्छादित स्मट का रोग अस्टिलैगो होरडी द्वारा होता है, वह रोग बाह्यरूप से बीजों द्वारा उत्पन्न होता है। इसमें बीज तथा पुष्प पाउडर में परिवर्तित हो जाते हैं। यह एक संक्रमणकारी रोग है।

114. पोषद पादप द्वारा कवक के संक्रमण से बचने के लिए रासायनिक पदार्थ बनते हैं-

(अ) फाइटोटाॅक्सिन

(ब) पैथोजन

(स) फाइटोएलेक्सिन्स

(द) हार्मोन

व्याख्या-(स) कवक से संक्रमित होने पर पोषद पादप द्वारा फाइटोएलेक्सिन्स अविशिष्ट एण्टीबायोटिक पदार्थ बनते हैं।

115. श्वेत किट्ट रोग किसके द्वारा होता है?

(अ) क्लेविसेप्स (ब) अल्टरनेरिया

(स) फाइटोफ्थोरा (द) एल्ब्यूगो केन्डिडा

व्याख्या-(द) एल्ब्यूगो केन्डिडा एक अविकल्पी परजीवी कवक है, जो श्वेत किट्ट नामक रोग क्रूसीफेरी कुल में करता है। अल्टरनेरिया आलू की अगेती अंगमारी का कारक है और फाइटोफ्थोरा आलू की पछेती अंगमारी का कारक है। क्लेविसेप्स परप्यूरिया राई में अरगट रोग उत्पन्न करता है।

116. प्लाज्मिड है –

(अ) श्वसन में सहायता करता है

(ब) केन्द्रक में पाए जाने वाले जीव

(स) जीवाणु की कोशिका भित्ति का एक घटक है

(द) सूक्ष्मजीवों में आनुवंशिकीय पदार्थ जो मुख्य DNA के अतिरिक्त होता है

व्याख्या-(द) लेडरबर्ग ने सन् 1952 में प्लाज्मिड शब्द प्रतिपादित किया। सूक्ष्मजीवों में कुछ अन्य अतिरिक्त गुणसूत्र उपस्थित होते हैं, जो आकार में छोटे व वृत्ताकार होते हैं, प्लाज्मिड कहलाते हैं।

117. टोबैको मोजैक वाइरस (TMV) का जीन है?

(अ) दो रज्जुक वाली RNA

(ब) एकल रज्जुक वाली RNA

(स) पाॅलीराइबोन्यूक्लियोटाइड

(द) प्रोटीन का बना हुआ

व्याख्या-(ब) सभी विषाणु न्यूक्लियोप्रोटीन के बने होते हैं तथा इनमें DNA अथवा RNA आनुवंशिक पदार्थ के रूप में होते हैं। टोबैको मोजैक वायरस (TMV) में ssRNA (एकल रज्जुक त्छ।) उपस्थित होता है, क्योंकि TMV में आनुवंशिक पदार्थ RNA है, इसलिए इसे रिट्रोविषाणु या RNA विषाणु भी कहते हैं।

118. तापमान सहन करने की क्षमता नीले-हरे शैवाल में किसके कारण होती है?

(अ) कोशिका भित्ति की संरचना

(ब) कोशिका की संरचना

(स) माइटोकाॅण्ड्रिया की संरचना

(द) उनके प्रोटीन में होमोपोलर बंधनों के कारण

व्याख्या-(द) नीले हरे शैवालों में जिलेटिनस बण्डल तथा जीवद्रव्य में संघनन प्रोटीन के अणु उपस्थित होते हैं, प्रोटीन में होमोपोलर बंधनों के कारण में उच्च तापमान को सहन करने में सहायक होते हैं, जैसे-टाॅलिपोथ्रिक्स, सायनोबैक्टीरियम फोर्मिडियम।

119. रिकेटेसी एक समूह बनाता है जो निम्न में से किसके अंतर्गत आता है?

(अ) जीवाणु

(ब) विषाणु

(स) जीवाणु तथा विषाणु के बीच का स्वतंत्र समूह

(द) कवक

व्याख्या-(स)रिकेटेसी में सूक्ष्म अविकल्पी अन्तःकोशीय परजीवी जीवाणु तथा विषाणु का स्वतंत्र समूह होता है। ये रुधिर चूसने वाले लाइस तथा टिक में पाए जाते हैं। ये सबसे पहले रिकेट्स द्वारा देखे गए थे। ये मनुष्यों में फीवर, टाइफस, आदि जैसी बीमारियाँ उत्पन्न करते हैं।

120. नाइट्रोजन-स्थिरीकरण करने वाले मृदा के जीव किसमें आते है?

(अ) मांस (ब) जीवाणु

(स) हरे शैवाल (द) मृदीय कवक

व्याख्या-(ब) केवल कुछ जीवाणु तथा नीले रहे शैवाल में वायवीय मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण की क्षमता होती है। नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले जीवाणु हैं – एजोटोबैक्टर (वायवीय जीवाणु) व क्लाॅस्ट्रिडियम (अवायवीय जीवाणु)।

121. प्रोटिस्टन जीनोम में होता है –

(अ) झिल्लीयुक्त न्यूक्लियोप्रोटीन, जो जीवद्रव्य में बिखरा रहता है

(ब) मुक्त न्यूक्लिक अम्ल

(स) न्यूक्लियोप्रोटीन युक्त जीन जो संघनित होकर ढीला पिण्ड बनाता है

(द) न्यूक्लियोप्रोटीन जो कोशिका के पदार्थ के सीधे सम्पर्क में हो

व्याख्या-(अ)प्रोटिस्टन जन्तु सुकेन्द्रकीय जीव होते हैं जिनमें आनुवंशिक पदार्थ सुसंगठित केन्द्रक के अंदर न्यूक्लियर आवरण द्वारा घिरा होता है। इसके RNA में हिस्टोन प्रोटीन पाए जाते हैं।

122. प्रोटिस्ट्स अपना भोजन किस रूप में ग्रहण करता है?

(अ) प्रकाश-संश्लेषी, सहजीवी और प्राणि समभोजी

(ब) प्रकाश-संश्लेषी

(स) रसायन संश्लेषी

(द) प्राणि समभोजी

व्याख्या-(अ) प्रोटिस्टा के जीव स्वपोषी, मृतोपजीवी, परजीवी तथा प्राणि समभोजी होते हैं। इनके सदस्यों में पाचन अन्तःकोशिकीय होता है। जैसे – यूग्लीना एक प्रकाश संश्लेषी, श्लेष्म कवक मृतोपजीवी, प्लाज्मोडियम एक परजीवी जीव है।

123. अस्टिलैगो द्वारा पादपों में जो बीमारी होती है उसे स्मट कहते हैं, क्योंकि –

(अ) ये अनाजों पर परजीवी होते हैं

(ब) इसके माइसीलियम काले होते हैं

(स) ये बीजाणुओं का सूटी पिण्ड बनाते हैं

(द) संक्रमित भाग पूर्णतया काला हो जाता है

व्याख्या-(द)स्मट का रोग अस्टिलैगो नामक कवक से होता है जो बैसिडियोमाइसिटीज कवक है। इसके क्लैमाइडोस्फोर या टिल्यूटोस्पोर काले रंग के होते हैं, जिसे स्मट स्पोर कहते हैं। इसके कारण संक्रमित भाग काले रंग का हो जाता है, संक्रमित भाग मुख्यतया पुष्प तथा बीज होते हैं, जैसे – गेहूं का श्लथ कण्ड रोग।

124. क्लेविसेप्स परप्यूरिया कौनसी बीमारी करने वाला जीव है?

(अ) बारली (जौ) का स्मट

(ब) गेहूँ का स्मट

(स) राई का अरगोट

(द) मटर का पाउडरी माइल्ड्यू

व्याख्या-(स) इसके उत्तर के लिए प्रश्न संख्या 52 की व्याख्या देखें।

125. अपघटक वह जीव हैं, जो –

(अ) रासायनिक पदार्थों को जटिल कर देते हैं, जिससे ऊतक मर जाते हैं

(ब) जीवित जीवों पर कार्य कर कार्बनिक पदार्थ को क्रमबद्ध चरण में सरल करते हैं

(स) पादप तथा जन्तुओं पर आक्रमण कर उन्हें मारते हैं

(द) यह रीले प्रकार से कार्य करते हैं और कार्बनिक पदार्थों को चरणबद्ध तरीके से सरलीकृत करते हैं

व्याख्या-(द)अपघटक वे जीव होते हैं, जो रीले प्रकार के कार्य करते हैं और कार्बनिक पदार्थों को चरणबद्ध तरीके से सरलीकरण करते हैं, जिससे कार्बनिक सूक्ष्म कण मृदा में मिल जाते हैं, उदाहरण – जीवाणु एवं कवक।

126. एश्चेरिशिया कोलाई का उपयोग जीव विज्ञान के प्रयोगांे में अत्यधिक किया जाता है क्योंकि यह –

(अ) आसानी से संवर्धन किया जा सकता है

(ब) आसानी से उपलब्ध हो सकता है

(स) प्रयोग में आसानी होती है

(द) पोषद में आसानी से गुणन करता है

व्याख्या-(अ)एश्चेरिशिया कोलाई मानव की आंत में सहजीवी रूप में रहता है। ये हमारे काॅलोन में सेलुलोस का किण्वन कर विटामिन-बी काॅम्प्लेक्स बनाता है, इससे विटामिन-के भी बनता है। इसके साधारण संवर्धन माध्यम में कल्चर किया जा सकता है तथा इसका जीवन चक्र भी छोटा है, अतः प्रयोग के निष्कर्ष शीघ्रता से प्राप्त होते हैं।

127. जीनोफोर/जीवाणु जीनोम या न्यूक्लियोइड बना होता है

(अ) हिस्टोन तथा नाॅन-हिस्टोन द्वारा

(ब) RNA तथा हिस्टोन द्वारा

(स) एकल, दो रज्जुक DNA द्वारा

(द) एकल, एक रज्जुक DNA द्वारा

व्याख्या-(स)जीवाणु का जीनोम द्विरज्जुकीय DNA का बना होता है। यह एकल, वृत्ताकार होता है। इसमें हिस्टोन प्रोटीन नहीं पाया जाता है। इसके जीनोम पर 100 लोकाई होते हैं। प्रत्येक फोकस पर अनेक जीन होते हैं।

128. अमीबा तथा पैरामीशियम में जल संतुलन किसके द्वारा होता है?

(अ) कूटपाद द्वारा

(ब) केन्द्रक द्वारा

(स) संकुचनशील रसधानी द्वारा

(द) सामान्य सतह द्वारा

व्याख्या-(स) इसके उत्तर के लिए प्रश्न संख्या 76 की व्याख्या देखें।

129. ऐसे जीवों का नाम बताइए जो सूर्य से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ऊर्जा नहीं लेते हो।

(अ) रसायन संश्लेषी जीवाणु

(ब) रोगजनक जीवाणु

(स) सहजीवी जीवाणु

(द) मोल्ड

व्याख्या-(स) इसके उत्तर के लिए प्रश्न संख्या 75 की व्याख्या देखें।

130. जीवाणु में पीढ़ी-एकांतरण नहीं होता है, क्योंकि –

(अ) इसमें न तो सिनगैमी होती है, न ही अर्द्धसूत्री विभाजन

(ब) विभेदित गुणसूत्र अनुपस्थित होता है

(स) इसमें संयुग्मन नहीं होता है

(द) इसमें आनुवंशिक पदार्थ का आदान- प्रदान नहीं होता है

व्याख्या-(अ)जीवाणु में प्रजनन अलैंगिक होता है, जो द्विविखण्डन द्वारा होता है। इनमें लैंगिक प्रजनन स्पष्ट युग्मकों के संलयन द्वारा नहीं होता है। अतः युग्मक बनते हैं। लैंगिक प्रजनन वाले जीवों में पीढ़ी-एकांतरण होता है।

131. मोनेरा में इनमें से एक कौनसा होता है?

(अ) अमीबा (ब) एश्चेरिशिया

(स) जेलीडियम (द) स्पाइरोगायरा

व्याख्या-(ब) व्हिटेकर (1969) ने जीवों को 5 जगतों में विभाजित किया है – मोनेरा, प्रोटिस्टा, कवक, प्लाण्टी और एनिमेलिया। जगत-मोनेरा में सूक्ष्मदर्शी, एककोशिकीय प्रोकैरियोटिक जीव आते हैं, जैसे – जीवाणु, माइकोप्लाज्मा, आर्किबैक्टीरिया, नील हरित शैवाल। एश्चेरिशिया एक जीवाणु है। अमीबा एक प्रोटोजोआ है और जेलीडियम एक थैलाॅइड लाल शैवाल की प्र्रजाति है। स्पाइरोगायरा भी एक शैवाल है।

132. पैरामीशियम में आनुवंशिकीय सूचना किसमें होती है?

(अ) सूक्ष्म केन्द्रक

(ब) दीर्घ केन्द्रक

(स) दोनों अ व ब

(द) माइटोकाॅण्ड्रिया में

व्याख्या-(अ) इसके उत्तर के लिए प्रश्न संख्या 61 की व्याख्या देखें।

133. प्रोटिस्टा में आते है –

(अ) विषमपोषी

(ब) रसायन-विषमपोषी

(स) स्वपोषी

(द) ये सभी

व्याख्या-(द) जगत प्रोटिस्टा में एककोशिकीय यूकैरियोटिक में सामान्यतया एककोशिकीय प्राथमिक जलीय जीव होते हैं। इसके कोशिका भित्ति में सेलुलोस पाए जाते हैं। प्रोटिस्ट्स में विविध पोषी, स्लाइम मोल्ड डाइनोफ्लैजिलेट तथा डायटम्स शैवाल तथा प्रोटोजोआ होते हैं एवं प्रकाश संश्लेषी एककोशिकीय शैवाल भी होते हैं।

134. ट्रिपैनोसोमा के बारे में क्या सत्य है?

(अ) बहुरूपी

(ब) एकपोषीय

(स) विकल्पी परजीवी

(द) रोगजनक नहीं है

व्याख्या-(अ) ट्रिपैनोसोमा बहुरूपी प्रोटोजोअन होता है। यह अपने जीवन चक्र में अनेक रूपों में होता है। यह मनुष्यों में स्लीपिंग सिकनेस रोग का कारक है। यह दो पोषदों में अपना जीवन चक्र पूर्ण करता है – प्रथम सी-सी मक्खी और दूसरा मनुष्य।

135. एक अप्रकाश-संश्लेषी वायवीय मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाला जीवाणु है?

(अ) राइजोबियम (ब) क्लाॅस्ट्रिडियम

(स) एजोटोबैक्टर (द) क्लेबसीला

व्याख्या-(स) इसके उत्तर के लिए प्रश्न संख्या 120 की व्याख्या देखें।

136. अवशोषी विषमपोषी पोषण किसके द्वारा प्रदर्शित होता है?

(अ) शैवाल (ब) कवक

(स) ब्रायोफाइटा (द) टेरिडोफाइटा

व्याख्या-(ब) कवक मृतोपजीवी अथवा अवशोषी विषमपोषी होता है। अतः मृत तथा सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों का एंजाइम की क्रिया द्वारा पाचन करता है व जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल घुलनशील पदार्थों में परिवर्तित कर ग्रहण करता है। पचित भोजन शरीर की सतह द्वारा अवशोषित होता है।

जीवधारियों का वर्गीकरण


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