गिलफोर्ड का  त्रि-आयामी सिद्धांत (Guilford’s Three Dimensional Theory)

 
इस सिद्धांत के प्रतिपादक जे.पी. गिलफोर्ड है। इनके अनुसार बुद्धि एक तार्किक रचना है। बुद्धि के त्रि-आयाम निम्नलिखित है-
 
(i) विषयवस्तु (Content -C)
(ii) संक्रिया (Operation = 0)
(iii) उत्पाद (Product=P
 
इस सिद्धांत के अन्य नाम निम्नलिखित है – 
(i) बुद्धि का संरचनावादी सिद्धांत
(ii) प्रज्ञा का संरचनावादी सिद्धांत
(iii) बुद्धि का मॉडल सिद्धांत
(iv) बुद्धि का प्रतिरूप सिद्धान्त
(v) बुद्धि का प्रतिमान सिद्धांत
(vi) त्रिविमिय सिद्धांत
(vii) 3D सिद्धांत (Three dimension theory)
(viii) COP सिद्धांत
(ix) विषय वस्तु संक्रियात्मक उत्पाद सिद्धान्त
 
1967 में गिलफोर्ड ने डिब्बे के आकार का एक मॉडल बनाया व इसने इससे बुद्धि की प्रक्रिया एवं संरचना को समझाने का प्रयास किया। इसलिए इस सिद्धांत को बुद्धि का मॉडल सिद्धांत या बुद्धि का संरचनावादी सिद्धांत कहते है। 1967 में गिलफोर्ड ने प्रारंभ में बुद्धि के 120 खण्ड बताये लेकिन 1977 में और संशोधन कर इनकी संख्या 150 ही कर दी गई तथा 1980 में इनकी संख्या 180 कर दी गई है। इनमें प्रथम खण्ड (120 खण्ड) और 1977 का मॉडल (150 खण्ड) मॉडल ही अधिक प्रचलित है। 1980 के मॉडल की मनोवैज्ञानिकों ने आलोचना की है। 1977 में किये गये बुद्धि के 150 खण्ड निम्न है।
 
गिलफोर्ड के अनुसार बुद्धि के तीन आयाम
 
1. सक्रियाएँ (Operations) 2. अन्तर्वस्तु/विषय वस्तु (Content) 3.  उत्पाद/परिणाम (Product)
(i) संज्ञान
(i) आकृत्यात्मेक सामग्री (1) इकाई
(ii) स्मृति (ii) प्रतीकात्मक सामग्री (ii) वर्ग
(iii) अपसारी चिन्तन (Divergent) (iii) शब्दार्थ विषयक (संकेतात्मक) सामग्री
(iii) व्यवस्था (प्रणाली)
(iv) अभिसारी चिन्तन (Convergent) (iv) भाषागत सामग्री (iv) स्यानतरण
(v) मूल्यांकन (v) व्यवहारात्मक सामग्री (v) सम्बन्ध
    (vi) निहितार्थ (अनुप्रयोग)
1967 के मॉडल में कुल कारकों की संख्या 6 x 4 X5=120 खण्ड है-
 
(1) विषयवस्तु (Content) प्रारम्भ में इसके चार भाग किये – 
 
(i) आकृत्यात्मक (Figural) वह पदार्थ जो ज्ञानेन्दियों द्वारा प्रत्यक्ष किया जाता है।
 
(ii) प्रतीकात्मक (Symbolic) जो शब्दों, प्रतीकों, अंकों से बना होता है। (वर्णमाला, नंबर)
 
(iii) शब्दार्थ विषयक (Semantic) जो विचारों या मौखिक अर्थों का रूप ले लेती है।
 
(iv) व्यवहारात्मक (Behavioral)- जो सामाजिक बुद्धि या ज्ञान अपने तथा दूसरों के बारे में समझ का संकेत देती है।
 
(2) संक्रिया/प्रक्रिया (Process or Operation) जिसके अन्तर्गत पांच प्रमुख मानसिक योग्यताओं के समूह आते है।
 
(i) संज्ञान (Cognition) जिससे तात्पर्य है खोज पुनः खोज अथवा पहचान।
 
(ii) स्मृति इसमें जो संज्ञान किया गया है उसे धारण करना।
 
(iii) अभिविन्दुता चिन्तन अथवा अभिसारी चिन्तन (Convergent Thinking)-इस प्रकार का चिंतन है जिसका कि परिणाम सही या उत्तम उत्तर है।
 
(iv) अपबिन्दुता चिंतन अथवा अपसारी चिंतन (Divergent Thinking) जो विभिन्न दिशाओं में चिंतन है।
 
(v) मूल्यांकन (Evaluation)- जो सूचना की परिशुद्धता अथवा उपयुक्तता के संबंध में निर्णय पर पहुंचना।
 
(3) परिणाम (Product)-जो सक्रिया अन्तर्वस्तु के साथ प्रयोग करने से प्राप्त होती है छः सामान्य प्रकारों के परिणाम है।
 
1) इकाई (Units) दृश्य, श्रव्य, प्रतीकात्मक इकाईयों का अवलोकन करना तथा शब्दों के अर्थो का ज्ञान।
 
(ii) वर्ग (Classes)- इकाईयों को (शब्दों अथवा विचारों) को वर्गीकृत करने की योग्यता।
 
(iii) सम्बन्ध पदायों के बीच संबंधों का प्रत्यक्षीकरण करने की योग्यता।
 
(iv) संस्थान अथवा प्रणाली स्थान (Space) में पदार्थों की संरचना करने की योग्यता, प्रतीकात्मक, पदाथों की संरचना करना एवं समस्याओं के हल की तैयारी करने में समस्याओं की संरचना करने की योग्यता।
 
(v) रूपान्तरण प्रस्तुत दशाओं में परिवर्तन के लिए सुझाव देना।
 
(vi) आशय अथवा निहितार्थ आशाओं को विस्तृत करने की योग्यता तथा वर्तमान सूचना को भविष्य में प्रेक्षण करने की योग्यता।

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