Rajasthan History

Mewad rajvansh/ मेवाड़ का चौहान राजवंश पार्ट – 03

मेवाड़ का चौहान राजवंश (Mewad rajvansh) पार्ट – 03 महाराणा अमरसिंह प्रथम ( 1597-1620 ई.)   यह महाराणा प्रताप के पुत्र थे जिनका राज्याभिषेक महाराणा प्रताप की मृत्यु के बाद 19 जनवरी, 1597 ई. को चावण्ड़ में किया गया। अमरसिंह के विरूद्ध 1599 ई. में अकबर ने शहजादे सलीम (जहाँगीर) को भेजा, परंतु उसने इसमें […]

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मेवाड़ का चौहान राजवंश पार्ट – 02

मेवाड़ का चौहान राजवंश पार्ट – 02 आज ही ख़रीदे बेस्ट बुक पृथ्वीराज सिसोदिया   पृथ्वीराज सिसोदिया रायमल का बड़ा पुत्र था। पृथ्वीराज एक अच्छा धावक व कल्पना बनाने में माहिर था, इसलिए इसे मेवाड़ में ‘उड़ना राजकुमार’ के नाम से जाना जाता है। यह तलवार के जोर से कहा करता था कि “मुझको मेवाड़

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मेवाड़ का चौहान राजवंश पार्ट – 01

मेवाड़ का चौहान राजवंश डॉ. डी. आर. भण्डारकर ने कुम्भलगढ़ प्रशस्ति के आधार पर मेवाड़ के गुहिलों को ब्राह्मणवंशी माना है, तो वहीं अबुल फजल के अनुसार गुहिल ईरान के बादशाह नौशेरखाँ / नौशेरवाँ आदिल की संतान थे। कर्नल जेम्स टॉड ने इन्हें विदेशी माना है जबकि डॉ. ओझा के अनुसार गुहिल प्राचीन क्षत्रियों के

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अजमेर के चौहान

अजमेर के चौहान   647 ई. में हर्षवर्धन की मृत्यु से लेकर दिल्ली सल्तनत की स्थापना (1206 ई.) तक का काल भारतीय इतिहास का महत्त्वपूर्ण काल माना जाता है। इस काल में उत्तर, दक्षिण और सुदूर दक्षिण में अनेक राजवंशों का उत्थान और पतन हुआ। ऐसे राजवंशों में चौहानों का स्थान सर्वोपरि है। चौहानों ने

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जालौर के गुर्जर प्रतिहार

जालौर के गुर्जर प्रतिहार Install App Now भीनमाल (जालौर) शाखा का संस्थापक नागभट्ट प्रथम को माना जाता है, भीनमाल की इस शाखा को ‘ रघुवंशी प्रतिहार शाखा’ भी कहते है |  ध्यान रहे – प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भीनमाल (जालौर) की यात्रा की थी  |  नागभट्ट प्रथम – ( 730 – 60 ई. )

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त्रिपक्षीय संघर्ष (Tripatrite Struggle)

त्रिपक्षीय संघर्ष (Tripatrite Struggle) Install App Now गुप्त साम्राज्य के पतन के साथ ही उत्तर भारत की राजनितिक शक्ति का केंद्र बिंदु पाटलिपुत्र के स्थान पर कन्नौज (उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में ) हो गया |  आठवीं शताब्दी के मध्य में भारत के तीन कोनो में तीन शक्तिशाली राजवंशो का उदय हुआ |  दक्षिण

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गुर्जर – प्रतिहार राज वंश / Gurjar Pratihars

गुर्जर – प्रतिहार राज वंश / Gurjar Pratihars Install App Now गुर्जर – प्रतिहार वंश का शासन मुख्यत: छठी से 10 वीं शताब्दी तक रहा है | प्रारम्भ में इनकी शक्ति का मुख्य केंद्र मारवाड़ का मंडौर व जालौर का भीनमाल क्षेत्र थे बाद में प्रतिहारों ने उज्जैन तथा कन्नौज को अपनी शक्ति का केंद्र

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राजस्थान की सभ्यताएं (शेष सभी)

राजस्थान की सभ्यताएं Download PDF Notes ओझियाना सभ्यता (भीलवाड़ा) यह आहड़ संस्कृति से संबंधित पुरास्थल है जो भीलवाड़ा जिले के बदनौर के पास स्थित है | यहाँ बी. आर. मीणा व आलोक त्रिपाठी के द्वारा सन् 2000 में उत्खनन करवाया गया | यहाँ गाय की एक लघु मृण्मूर्ति मिली है | उत्खनन में प्राप्त मृदभाण्ड

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जोधपुरा सभ्यता (कोटपूतली)

जोधपुरा सभ्यता (कोटपूतली) जोधपुरा सभ्यता का विकास साबी नदी के तट पर हुआ जो ताम्रयुगीन सभ्यता थी, तो वहीं आर. सी. अगवाल व विजय कुमार द्वारा 1972 – 75 ई. में यहाँ उत्खनन किया गया | जोधपुरा सभ्यता का कालखण्ड 2500 ई. पू. से 200 ई. के मध्य माना जाता है | यहाँ से उत्खनन

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बैराठ सभ्यता

What’s App Group Join Now बैराठ सभ्यता  बैराठ सभ्यता कोटपूतली जिले के विराट नगर की बीजक, गणेश व भीम की डूंगरी में बाणगंगा नदी के मुहाने पर मिली, जहाँ महाभारतकालीन व मौर्यकालीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए |  बैराठ सभ्यता से ही हमें पूर्व आर्यन लोगों की विद्यमानता का ऐतिहासिक प्रमाण पाया गया है | 

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