Rajasthan History

राजस्थान का एकीकरण

राजस्थान का एकीकरण भारत की स्वतंत्रता अवश्यंभावी थी, लेकिन आजादी के बाद भारत का स्वरूप कैसा होगा? इस बात पर विचार करना था। जैसा कि हम जानते हैं कि भारत को दो भागों में बांटा गया था- ब्रिटिश भारत और देशी रियासतें । यह निश्चित था कि आजादी के ब्रिटिश प्रांत स्वतः ही भारत का […]

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राजस्थान में जनजातीय आन्दोलन

राजस्थान में जनजातीय आन्दोलन राजस्थान में भील, मीणा, मेर, गरासिया आदि जनजातियाँ प्राचीन काल से ही निवास करती आई हैं। राजस्थान के डूंगरपुर व बांसवाड़ा क्षेत्र में भील जनजाति का बाहुल्य है। मेवाड़ राज्य की रक्षा में यहाँ के भीलों ने सदैव महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसलिए मेवाड़ राज्य के राजचिह्न में राजपूत के साथ एक

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राजस्थान में किसान आन्दोलन

राजस्थान में किसान आन्दोलन राजस्थान में किसान आन्दोलन जागीरदारों, सामन्तों आदि के द्वारा आर्थिक कर वसूली व उनके द्वारा किये गये अत्याचारों के विरूद्ध शुरू हुए। जागीरदार अपनी विलासिताओं को पूर्ण करने के लिए किसानों पर लाग-बाग कर (समय-समय पर बिना इच्छा के दिए जाने वाले उपहार) तथा बेगार कर (वह कार्य जिसके बदले व्यक्ति

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राजस्थान में प्रजामण्डल आंदोलन

प्रजामण्डल आंदोलन प्रजामण्डल आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य नागरिकों के अधिकारों के लिए संघर्ष करना व रियासतों में उत्तरदायी शासन की स्थापना करना था।   1938 ई. में राष्ट्रीय कांग्रेस के हरिपुरा (गुजरात) अधिवेशन की अध्यक्षता सुभाष चन्द्र बोस के द्वारा की गई तथा इस अधिवेशन में राष्ट्रीय कांग्रेस के मंच से सुभाष चन्द्र बोस द्वारा

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राजनीतिक संस्थाओं की भूमिका / role of political institutions

राजनीतिक संस्थाओं की भूमिका (role of political institutions) सर्वहितकारिणी सभा     1907 ई. में स्वामी गोपालदास ने पं. कन्हैयालाल तथा पं. श्रीराम मास्टर के सहयोग से चुरू में सर्वहितकारिणी सभा की स्थापना की। यह संस्था अपने राजनैतिक कार्यों के कारण चुरू की कांग्रेस कहलायी, जिसका उद्देश्य राजनैतिक कार्य, समाज सुधार कार्य आदि करना था

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राजस्थान की राजनैतिक जागरूकता में समाचार-पत्रों की भूमिका

समाचार-पत्रों की भूमिका यूरोपीय देशों में सबसे पहले पुर्तगाली भारत आये थे। भारत में प्रिंटिंग प्रेस की शुरूआत 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा की गई थी। गोवा के पुर्तगाली पादरियों ने 1557 ई. में देश की प्रथम पुस्तक प्रकाशित की। इसके बाद ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने 1684 ई. में बम्बई में अपना पहला प्रिंटिंग प्रेस

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राजस्थान में राजनीतिक जागरूकता

राजनीतिक जागरूकता   राजस्थान की भूमिका 1857 के विद्रोह में अन्य राज्यों की अपेक्षा इतनी ज्यादा सक्रिय नहीं रही, लेकिन फिर भी अंग्रेजों ने राजपूताना की रियासतों के शासकों के माध्यम से यह पूरा प्रयास किया कि यहाँ किसी भी प्रकार की राष्ट्रवादी भावना नहीं पनप सके, परन्तु राष्ट्रीय सोच में बदलाव के साथ ही

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राजस्थान में 1857 की क्रांति

राजस्थान में 1857 की क्रांति 1757 ई. की प्लासी की लड़ाई और 1857 की क्रांति के बीच ब्रिटिश शासन ने भारत में अपने 100 वर्ष पूरे कर लिये थे। इन 100 वर्षों के दौरान बिटिश सत्ता को कई बार भारतीयों से चुनौतियाँ मिली, जिसमें अनेक असैनिक और सैनिक उपद्रव व स्थानीय बगावतें शामिल थी। इस

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जालौर के चौहान

जालौर के चौहान कीर्तिपाल चौहान   जालौर का प्राचीन नाम ‘जाबालिपुर’ था। जाबालिपुर पर प्रारम्भ में प्रतिहारों ने शासन किया। प्रतिहार कन्नौज चले गए तो बाद में यहाँ सौनगरा चौहान वंश की स्थापना 1181 ई. में कीर्तिपाल चौहान ने की। मुहणौत नैणसी [(जोधपुर के शासक जसवंत सिंह का दीवान था जिसने दो ग्रंथ 1. मारवाड़

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रणथम्भौर के चौहान

रणथम्भौर के चौहान गोविन्द राज चौहान   गोविंदराज पृथ्वीराज चौहान तृतीय के पुत्र थे, जिन्होंने कुतुबुद्दीन ऐबक की सहायता से रणथम्भौर में 1194 ई. में चौहान वंश की स्थापना की, इसी कारण गोविन्द राज को रणथम्भौर के चौहान वंश का संस्थापक / मूल पुरुष / आदि पुरुष कहते है।   वाल्हणदेव   इसने दिल्ली सल्तन

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