AIDS – Acquired immune deficiency syndrome
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Toggleएड्स AIDS पूरा नाम – उपार्जित प्रतिरक्षण ह्नास सिंड्रोम / AIDS – Acquired immune deficiency syndrome एड्स सर्वप्रथम रोग नियंत्रण केंद्र अन्टलांटा, जॉर्जिया में सन् 1981 में खोजा गया, जो व्यक्ति को बीमार बने रहने के लिए छोड़ जाता है | सामान्य स्वस्थ व्यक्ति रोगों का सामना अच्छी प्रतिरक्षी प्रणाली के कारण कर पाता है | परन्तु एड्स का रोगी प्रतिरक्षा प्रणाली में कमी के कारण जल्द रोगों का शिकार बन जाता है | और किसी भी रोग के विरुद्ध लड़ नहीं पाता है | एक बार रोगग्रस्त होने पर प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं का लगातार कम होते जाना, अंतिम दौर में रोगी बनकर या कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को मृत्यु का ग्रास बना देता है |
Causes of Aids / एड्स का कारण
इस भयानक रोग का कारक एक RNA रिट्रोवायरस (Retrovirus) है जो मानव प्रतिरक्षा कमी virus या (Human Immuno Deficiency virus) कहलाता है | ये virus लेन्टीवायरसेज आवरणयुक्त वायरस समूह परिवार से संबंधित है | जो RNA जीनोम रखता है | यही जीनोम रोगग्रस्त व्यक्ति में रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज द्वारा नकल किया जाता है | मानव में aids के कारण दो एंटीजनिक प्रकार, HIV – 1 और HIV – 2 है, जिनमें से HIV – 1 महत्वपूर्ण है जबकि HIV – 2 के कारण होने वाले रोग लक्षण ज्ञात नहीं किए जा सके है | HIV – 1 में RNA का केन्द्रीय कोर और दोहरी झिल्ली के आवरण से ढकारिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज पाया जाता है |
Origin and transmission of Aids / एड्स का जन्म एवं संक्रमण
HIV का मूल जन्म मध्य अफ्रीका से हुआ और प्रारम्भ में यह मानवों में बंदरों ने फैलाया | यहीं से यह पूरे विश्व में फैला | सभी संक्रमणों में HIV, मुख्यत: लैंगिक सम्पर्क द्वारा शारीरिक द्रव्यों का आपसी बदलाव और रक्त उत्पादों की अदला – बदली से ही फैलता है | वायरस का संक्रमण रक्त, सीमन या स्तन दूध तक सीमित है | लैंगिक रूप से सक्रिय समलैंगिक और विषय लैंगिक व्यक्ति, अंत:नाड़ी नशा लेने वाले व्यक्तियों में रोगग्रस्त होने का सर्वाधिक खतरा होता है | वायरस का शरीर में प्रवेश होने के बाद इन्क्यूबेशन समय 10 वर्ष होता है |
Symptoms of AIDS / एड्स के लक्षण
aids के लक्षण विशेष नहीं होते, परन्तु साधारण बीमारियों जैसे दमा, सर्दी, जुकाम या आमाशय फ्लू की भाँति ही होते है | aids के लक्षण स्थिर, बार – बार होने वाले और बहुत तीव्र होते है | प्रारम्भिक दशा में लगातार थकान, ठंड लगना और ज्वर होना, वजन कम होना, पेचिश, लिम्फ ग्रन्थियों में सूजन और त्वचा में दोष आदि लषण पाए जाते है | अंतिम दशा में जब प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित हो चुकी होती है, शरीर में विभिन्न प्रकार के तीव्र संक्रमण उत्पन्न हो जाते है | ये सभी रोग अवसर – संक्रमण द्वारा होते है | जो निरोगी व्यक्ति में नहीं पाए जाते है |
मानव प्रतिरक्षा कमी वायरस HIV, प्रतिरक्षा प्रणाली को नष्ट कर देता है | जिससे व्यक्ति केंसर, फफूंद, बैक्टीरियल, वायरल और प्रोटोजोन्स के संक्रमणों से होने वाले रोगों से स्वयं को बचा नहीं पाता है | इसके परिणामस्वरूप फेफड़े, मस्तिष्क, यकृत और आँत नष्ट होने लगती है | और अंतिम दशा में व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है |
Stages of Aids / एड्स की अवस्था
एड्स की प्रमुख तीन दशाएँ या अवस्थाएँ है :
(a) प्रारम्भिक या एक्यूट (Acute) : यह अवस्था HIV के प्रथम सम्पर्क से जानी जाती है | और कूछ दिनों से लेकर हफ्तों तक चलती है | इसका प्रमुख लक्षण फ्लू है | और शरीर वायरस के विरुद्ध प्रतिरक्षी उत्पन्न करता है |
(b) मध्य या क्रोनिक (Middle or Chronic) : इस अवस्था में संक्रमण के बाद व्यक्ति में कोई लक्षण स्पष्ट नहीं होते है | यह अवस्था कुछ वर्षों तक चलती है | प्रतिरक्षा प्रणाली में कुछ रोगयुक्त परिवर्तन आने लगते है |
(c) अंतिम संकटकाल (Last crisis / final stage) : यह कुछ माह से कुछ वर्षों तक रहती है | इस अवस्था से aids के सभी लक्षण उभरते है और व्यक्ति विभिन्न रोगों से ग्रसित हो जाता है | इसी अवस्था में T – कोशिकाएँ लगातार कम होने लगती है |
Treatment of Aids / एड्स का इलाज
इन वर्षों में एड्स के के संक्रमण से बचाव के लिए विभिन्न दवाएँ खोजी गई है | फिर भी Aids के लिए कोई भी दवा या औषधि कारगर साबित नहीं हो सकी है |
एड्स रोगियों के उपचार में कुछ हद तक वायरल – विरुद्ध दवाएं सफलता पा रही है | उदाहरण के लिए AZT या एजिड़ो – डियोक्सीडाइमिडीन, सूरामिन (Suramin), डाइडीयोक्सीआइनोसीन और डाइडियोक्सीसाइटोसीन आदि न्यूक्लियोसाइड समानान्तर दवाएं है |