समाचार-पत्रों की भूमिका
यूरोपीय देशों में सबसे पहले पुर्तगाली भारत आये थे। भारत में प्रिंटिंग प्रेस की शुरूआत 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा की गई थी। गोवा के पुर्तगाली पादरियों ने 1557 ई. में देश की प्रथम पुस्तक प्रकाशित की। इसके बाद ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने 1684 ई. में बम्बई में अपना पहला प्रिंटिंग प्रेस स्थापित किया।
लगभग 100 वर्षों तक कम्पनी ने अपने अधिकार वाले क्षेत्रों में कोई समाचार-पत्र नहीं छापने दिया, क्योंकि कम्पनी के कर्मचारी यह नहीं चाहते थे कि उनके अनैतिक, अवांछनीय तथा निजी व्यापार से जुड़े कारनामों की जानकारी ब्रिटेन तक पहुँचे।
इसलिए भारत में पहला समाचार पत्र निकालने का प्रयास कम्पनी सरकार के एक असंतुष्ट कर्मचारी विलियम बोल्ट्स ने किया। विलियम बोल्ट्स ने कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स की नीतियों के विरूद्ध 1766 ई. में समाचार पत्र निकाला, लेकिन उन्हें शीघ्र ही इंग्लैण्ड भेज दिया गया।
जेम्स ऑगस्टस हिक्की द्वारा 1780 ई. में प्रकाशित ‘बंगाल गजट’ (The Bengal Gazette) नामक समाचार-पत्र को भारत का प्रथम अखबार माना जाता है। भारतीय समाचार-पत्रों का जन्मदाता हिक्की को ही माना जाता है। इंडिया गजट नामक समाचार पत्र नवम्बर, 1780 ई. में प्रकाशित दूसरा भारतीय समाचार-पत्र था।
किसी भारतीय द्वारा अंग्रेजी में प्रकाशित भारत का पहला साप्ताहिक समाचार पत्र ‘बंगाल गजट’ था, जो गंगाधर भट्टाचार्य द्वारा 1816 ई. में निकाला गया। प्रथम हिन्दी समाचार पत्र 1826 ई. में ‘उदण्ड मार्तण्ड’ नाम से जुगल किशोर द्वारा कानपुर से प्रकाशित किया।
राजस्थान में समाचार पत्रों का विकास मजहरुल सरुर-1849 ई. में राजस्थान में पहला समाचार पत्र भरतपुर से ‘मजहरुल सरुर’ के नाम से प्रकाशित हुआ। यह द्वि- भाषी समाचार पत्र था, जो उर्दू व हिन्दी में छपता था।
ध्यातव्य रहे-मजहरुल सरुर को राजपूताने का सर्वप्रथम समाचार पत्र माना जाता है। इसकी कोई प्रति उपलब्ध नहीं है।
राजपूताना अखबार-1856 ई. में जयपुर से हैडमास्टर कन्हैयालाल के सम्पादन में एक द्वि-भाषी (उर्दू व हिन्दी समाचार ‘पत्र’ रोजतुल तालीम’ अथवा ‘राजपूताना अखबार’ प्रकाशित हुआ। इसका उद्देश्य राजपूताने की प्रमुख रियासतों के समाचारों को प्रकाशित करना था। इन रियासतों में जोधपुर, बीकानेर व जैसलमेर के नाम भी थे। इस अखबार से ही पश्चिमी राजस्थान में पत्रकारिता का प्रवेश माना जाता है।
ध्यातव्य रहे-1864 ई. में ईसाई मिशनरियों ने राजस्थान के ब्यावर में ‘लिथो प्रेस’ स्थापित किया, जिसमें मिशनरियों व स्कूलों के लिए पाठ्यपुस्तक व ईसाई धर्म के प्रचार से संबंधित पुस्तकें छपवाई जाती थी।
मारवाड़ गजट- पश्चिमी राजस्थान में प्रकाशित होने वाला पहला समाचार पत्र मारवाड़ गजट था, जो 1866 ई. में जोधपुर से प्रकाशित हुआ। उर्दू और हिन्दी भाषा में प्रकाशित इस समाचार पत्र के प्रथम सम्पादक बाबू हीरालाल और दूसरे सम्पादक बाबू डोरीलाल उर्फ कृष्णानंद थे। इस समाचार पत्र में मुख्यतः सरकारी आज्ञायें, विज्ञप्तियाँ और इस्तेहार प्रकाशित होते थे।
इसके अलावा मारवाड़ गजट में कांग्रेस की गतिविधियों पर टिप्पणियाँ, रियासतों के हाकिमों की बदली, सामाजिक कुरीतियाँ, राजनीतिक लेख इत्यादि प्रकाशित होते थे।
मरुधर मित्र – 1866 ई. में मुहब-ए-मारवाड़ नामक समाचार पत्र का जोधपुर से प्रकाशन किया गया। इस समाचार पत्र का हिन्दी संस्करण मरुधर मित्र के नाम से प्रकाशित होता था।
सज्जन कीर्ति सुधारक – 1869 ई. में मेवाड़ के महाराणा शम्भूसिंह के शासनकाल में उदयपुर से उदयपुर गजट नामक समाचार पत्र निकला। लेकिन 27 नवम्बर, 1869 ई. को अवध अखबार में सूचना निकली कि उदयपुर गजट देवनागरी हिन्दी के अक्षरों में निकाला गया है, जिस कारण यह समाचार पत्र सफल नहीं होगा।
यदि यह उर्दू में छपता तो संभवतः लोकप्रिय हो जाता। 1879 ई. में मेवाड़ के महाराणा सज्जनसिंह ने उदयपुर गजट का नाम बदलकर अपने नाम से ‘सज्जन कीर्ति सुधारक’ कर दिया। यह पत्र मेवाड़ राज्य का सरकारी गजट था। केवल प्रशासनिक समाचारों को प्रकाशित करने वाला यह समाचार पत्र प्रजा को राजकीय नियम व शासकीय परिवर्तनों की जानकारी देता था।
जयपुर गजट-1878 ई. से जयपुर राज्य से जयपुर गजट नामक समाचार पत्र निकालना आरम्भ हुआ।
विद्यार्थी सम्मिलित हरीशचन्द्र चन्द्रिका मोहन चन्द्रिका-इसका प्रकाशन 1881 ई. में राजसमंद के नाथद्वारा से पंडित मोहनलाल विष्णुलाल के सम्पादन में हुआ। इसमें स्वतंत्रता तंत्र-तंतु नामक शीर्षक से एक बड़ा प्रखर सम्पादन हुआ।
देशी हितैषी – मुंशी मुन्नालाल शर्मा द्वारा 1882 ई. में अजमेर से देश हितैषी समाचार पत्र निकाला गया।
राजपूताना गजट– मौलवी मुराद अली बीमार द्वारा 1885 ई. में अजमेर से उर्दू (8 पृष्ठ) व हिंदी (4 पृष्ठ) भाषा में राजपूताना गजट नामक समाचार पत्र प्रकाशित किया गया था। इस पत्र का उद्देश्य रियासती अत्याचारों के मुक्त भाव को प्रकाशित करना था।
राजपूताना हेराल्ड – लोक चेतना जागृत करने वाला पहला समाचार पत्र ‘राजपूताना हेराल्ड’ 1885 ई. में अजमेर से अंग्रेजी भाषा में हनुमानसिंह द्वारा प्रकाशित किया गया था। राजस्थान के ए.जी.जी. कर्नल पोलेट के कार्यों की आलोचना इसी समाचार पत्र से की जाती थी। ’30 मार्च, 1885 ई. के अंक में कर्नल पोलेट तथा कुछ जागीरदारों के अत्याचारों और रिश्वत के प्रकरण छापे गये।
राजस्थान टाइम्स – बक्शी लक्ष्मणदास द्वारा 1885 ई. में अजमेर से अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित ‘राजस्थान टाइम्स’ समाचार पत्र शासन की कमजोरियों को उजागर करता था। इस समाचार पत्र द्वारा जयपुर एजेंसी की आलोचना करने पर इसके सम्पादक बख्शी लक्ष्मणदास को डेढ़ वर्ष का कारावास दिया गया।
राजस्थान समाचार – यह 16 पृष्ठ का साप्ताहिक समाचार पत्र था, जो अजमेर से 1889 ई. में मुंशी समर्थदान द्वारा निकाला गया था। हिंदी का प्रचार तथा लोगों में समाचार पत्र पढ़ने की रूचि बढ़ाने के उद्देश्य से यह पत्र निकाला गया। यह प्रथम हिंदी दैनिक समाचार पत्र था। इसमें आर्य समाज से संबंधित खबरें व रजवाड़ों के मामले प्रकाशित होते थे।
प्रताप – कानुपर से 1910 ई. में गणेश शंकर विद्यार्थी द्वारा हिंदी में प्रताप पत्र निकाला गया। इसी समाचार पत्र द्वारा बिजौलिया किसान आंदोलन को राष्ट्रीय मुद्दा बनाया गया।
राजस्थान केसरी – राजनीतिक साप्ताहिक समाचार पत्र राजस्थान केसरी बिजौलिया किसान आंदोलन के चलते विजयसिंह पथिक द्वारा वर्धा से 1919 ई. में प्रकाशित किया गया था। राजस्थान केसरी देशी राज्यों का प्रथम मुख्य पत्र था। इसके संपादक जमनालाल बजाज, श्रीरामनारायण चौधरी व ईश्वरदान आसिया आदि थे।
राजस्थान संदेश – राजस्थान केसरी के बंद होने पर विजयसिंह पथिक ने राजस्थान संदेश नामक समाचार पत्र निकाला। राजस्थान संदेश में विभिन्न रियासतों के जन-आंदोलनों की जानकारी लोगों तक पहुँचाई जाती थी, जिससे लोगों में एक-दूसरे के प्रति जनसमर्थन बढ़ा। राजस्थान संदेश का ध्येय वाक्य-‘इच्छा हो या कि अनिच्छा हो, हो प्रेम कि इससे द्वेष तुम्हें है जीना तो सुनना होगा नूतन युग का संदेश तुम्हें।’
नवीन राजस्थान – यह समाचार पत्र 1922 ई. में अजमेर से श्री विजय सिंह पथिक द्वारा प्रकाशित किया गया, जो भीलों व कृषकों पर होने वाले अत्याचारों की जानकारी देता था।
तरूण राजस्थान – 1923 ई. में नवीन राजस्थान का नाम बदलकर तरूण राजस्थान कर दिया गया। तरूण राजस्थान ने बूंदी, बेगूं और भील आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके संस्थापक- विजय सिंह पथिक, रामनारायण चौधरी, जयनारायण व्यास, सोहनलाल गुप्ता आदि थे। 1929 ई. में इस अखबार ने सिरोही में रावण राज्य नाम से लेख छापा, जिससे बड़ा बवाल खड़ा हो गया था।
राजस्थान – हाड़ौती क्षेत्र की जनता में राजनैतिक चेतना जागृत करने के लिए राजस्थान नामक समाचार पत्र 1923 ई. में ब्यावर से ऋषिदत्त मेहता के सम्पादन में प्रकाशित किया गया, जो बाद में अजमेर व बूंदी से भी निकाला गया। राजस्थान निर्माण के पश्चात् यह पत्र बंद हो गया। इसमें जयपुर, जोधपुर, मेवाड़ और बीकानेर रियासतों में संचालित जन-आंदोलनों के बारे में प्रचुर सामग्री छपती थी।
आर्य मार्तण्ड – यह साप्ताहिक समाचार पत्र 1923 ई. में आर्य समाज द्वारा अजमेर से पंडित रामसहाय शर्मा के सम्पादन में प्रकाशित हुआ। इस समाचार पत्र ने आर्य समाज द्वारा सामाजिक कुरीतियों के विरूद्ध आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विशेषकर इसमें राजपूताना में विधवा विवाह के लिए जनजागृति अभियान चलाया गया। आर्य मार्तण्ड में युवा विधवाओं के वैवाहिक विज्ञापन निःशुल्क छापे जाते थे।
त्यागभूमि – हरिभाऊ उपाध्याय द्वारा 1927 ई. में विजयादशमी के दिन त्यागभूमि नामक समाचार पत्र अजमेर से प्रकाशित किया गया। त्यागभूमि का प्रत्येक अंक 64 पृष्ठों का होता था। इसमें साहित्य एवं राजनीति संबंधित सामग्री प्रकाशित होती थी।
आगीबाण – यह समाचार पत्र 1932 ई. में श्री जयनारायण व्यास द्वारा ब्यावर से प्रकाशित किया गया। आगीबाण राजस्थानी भाषा का प्रथम राजनीतिक समाचार पत्र था। मारवाड़ी जनता में जनजागृति लाने में इस समाचार पत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इसका उद्देश्य जागीरदारी और सामंती प्रथा का कच्चा चिट्ठा खोलकर जनता को आंदोलन के लिए तैयार करना था ।
आगीबाण का ध्येय वाक्य- ‘भूल्या भटक्या फिरे लोगढ़ा, हित जणहित सूं बण अणजाण, वा ने मारग सूजावण आयौ झंडो लेकर आगीवाण’ ।
नवजीवन – यह समाचार पत्र 1938 ई. में अजमेर से प्रकाशित हुआ। इस समाचार पत्र ने राजस्थान के विभिन्न भागों में राजाओं और जागीरदारों के खिलाफ जन-आंदोलनों का समर्थन किया तथा राष्ट्रीय विचारधारा का सृजनात्मक साहित्य प्रकाशित किया।
नवज्योति – यह साप्ताहिक समाचार पत्र 2 अक्टूबर, 1936 ई. में अजमेर से श्री रामनारायण चौधरी के सम्पादन में शुरू हुआ। 1948 ई. के बाद यह समाचार पत्र दैनिक हो गया।
लोकवाणी – श्री जमनालाल बजाज की स्मृति में पं. देवीशंकर तिवाड़ी के संपादन में जयपुर से लोकवाणी साप्ताहिक समाचार पत्र 1943 ई. में प्रकाशित किया गया।
अन्य समाचार पत्र – अजमेर से 1861 ई. में ‘जगलाभ चिंतक’ तथा 1863 ई. में ‘जगहितकारक’, 1884 ई. में जयपुर से मासिक ‘समाचार मातैड’ व फतेहपुर से ‘कायस्थ व्यवहार’, 1885 ई. में अजमेर से हिन्दी में ‘राजस्थान पत्रिका’, 1890 ई. में जयपुर से ‘भारत मातौड़’, 1890 ई. में बूँदी से ‘सर्वहित’, 1901 ई. में ‘समालोचक’ एवं 1905 ई. में ‘भारत सर्वस्व’ (सम्पादक माधव प्रसाद शास्त्री) |
1911 ई. में भरतपुर से ‘भरतपुर गजट’ एवं जोधपुर से ‘दधिमति’, 1914 ई. में धौलपुर से ‘धौलपुर गजट’, 1915 ई. में आबू रोड़ से मासिक ‘हिन्दी साहित्य ग्रन्थावली’ |
भरतपुर से ‘नीमंदवाला’, 1916 ई. में अजमेर से ‘श्री वैष्णव’, 1918 ई. में अजमेर से त्रि-भाषी ‘मेरवाड़ा गजट’, 1920 ई. में झालरापाटन से ‘सौरभ’, 1929 ई. में रामनारायण चौधरी द्वारा अंग्रेजी साप्ताहिक ‘यंग राजस्थान’, 1933 ई. में जयपुर से लाडली नारायण द्वारा ‘प्रभात’ |
अजमेर से दुर्गाप्रसाद के सम्पादन में साप्ताहिक अहिंसा प्रचारक व ताराचंद ओझा के सम्पादन में मासिक ‘राजस्थान सारश्वत’, प्रियतम कामदार द्वारा ‘जयपुर समाचार’, श्री जयनारायण व्यास द्वारा ‘अखंड भारत’ का प्रकाशन हुआ ।
ध्यातव्य रहे- राजस्थान में सबसे पहले और सर्वाधिक समाचार पत्र अजमेर से प्रकाशित हुए।
राजपूताना में 1920 ई. के पश्चात् जो पत्र आरंभ हुए, वे स्वातंत्र्य भाव से ओत-प्रोत थे। इनका उद्देश्य सामाजिक, धार्मिक तथा राजनीतिक जागृति था। राजपूताना के राजनीतिक जनजागरण एवं जनान्दोलन की भूमिका में पत्रकारों की प्रमुख भूमिका थी। जननेता पत्रकारिता से सम्बद्ध रहे। विजयसिंह पथिक, रामनारायण चौधरी, हरिभाऊ
उपाध्याय, जयनारायण व्यास, ऋषिदत्त मेहता, प्रेमनारायण माथुर, हीरालाल शास्त्री, सिद्धराज ढड्ढा, मास्टर आदित्येन्द्र, अभिन्न हरि, शोभालाल गुप्त, युगल किशोर चतुर्वेदी, गौकुल लाल असावा, रमेश चन्द्र व्यास, सुमनेश जोशी, दुर्गा प्रसाद चौधरी, अचलेश्वर प्रसाद शर्मा आदि ने पत्रकारिता के माध्यम से जन आंदोलनों को बल दिया।
ध्यातव्य रहे-राजस्थान में पत्रकारिता का भीष्म पितामह पंडित झाबरमल शर्मा को माना जाता है।
राजस्थान के प्रमुख समाचार पत्र एक नजर में
क्र. सं. | समाचार पत्र | स्थापना वर्ष | स्थान | संस्थापक |
1. | मजहरुल सरूर | 1849 | भरतपुर | भरतपुर राज्य के संरक्षण में |
2. | राजपूताना अखबार | 1856 | जयपुर | कन्हैयालाल |
3. | मारवाड़ गजट | 1866 | जोधपुर | महाराजा तख्तसिंह के काल में |
4. | सज्जन कीर्ति सुधाकर | 1879 | मेवाड़ | महाराणा सज्जनसिंह |
5. | देश हितैषी | 1882 | अजमेर | मुंशी मुन्नालाल शर्मा |
6. | राजपूताना गजट | 1885 | अजमेर | मौलवी मुराद अली |
7. | राजपूताना हेराल्ड | 1885 | अजमेर | हनुमान सिंह |
8. | राजस्थान टाइम्स | 1885 | अजमेर | बक्शी लक्ष्मणदास |
9. | राजस्थान पत्रिका | 1885 | अजमेर | बक्शी लक्ष्मणदास |
10. | राजस्थान समाचार | 1889 | अजमेर | मुंशी समर्थदान चारण |
11. | ज्ञानोदय | 1905 | कलकत्ता | पं. झाबरमल शर्मा |
12. | मारवाड़ी बन्धु | 1905 | कलकत्ता | पं. झाबरमल शर्मा |
13. | भारत साप्ताहिक | 1909 | बम्बई | पं. झाबरमल शर्मा |
14. | प्रताप | 1910 | कानपुर | गणेश शंकर विद्यार्थी |
15. | कलकत्ता समाचार | 1914 | कलकत्ता | पं. झाबरमल शर्मा |
16. | राजस्थान केसरी | 1919 | वर्धा | विजय सिंह पथिक |
17. | नवीन राजस्थान | 1922 | अजमेर | विजय सिंह पथिक एकं राजस्थान सेवा संघ |
18. | तरुण राजस्थान | 1923 | अजमेर | विजय सिंह पथिक |
19. | राजस्थान | 1923 | ब्यावर | ऋषिदत्त मेहता |
20. | आर्य मार्तण्ड | 1923 | अजमेर | पं. रामसहाय शर्मा |
21. | हिन्दू समाचार | 1925 | दिल्ली | पं. झाबरमल शर्मा |
22. | त्यागभूमि | 1927 | अजमेर | हरिभाऊ उपाध्याय |
23. | सेवक | 1929 – 30 | – | गौरीशंकर उपाध्याय |
24. | सर्वोदय वाहक | 1930 | बाँसवाडा | चिमनलाल मालौल |
25. | आगीबाण | 1932 | ब्यावर | जयनारायण व्यास |
26. | प्रभात | 1932 | – | सिद्धराज ढड्ढा व सत्यदेव विद्यालंकार |
27. | दीपक | 1935 | अबोहर | स्वामी केशवानंद |
28. | नवज्योति | 1936 | अजमेर | श्री रामनारायण चौधरी |
29. | नवजीवन | 1938 | अजमेर | नारायण सिंह एवं कनक मधुकर |
30. | संग्राम | 1939 | बम्बई | भूपेन्द्र त्रिवेदी |
31. | जयभूमि | 1940 | जयपुर | गुलाब चंद काला |
32. | राजस्थान टाइम्स | 1941 | जयपुर | प. वासुदेव शर्मा |
33. | जयपुर समाचार | 1942 | जयपुर | श्यामलाल शर्मा |
34. | स्वराज्य | 1942 | दौसा | रामकरण जोशी |
35. | लोकवाणी | 1943 | जयपुर | पं. देवीशंकर तिवाड़ी |