Vitamin / विटामिन

विटामिन नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक यौगिक होते है | ये स्वतंत्र दशा में नहीं पाए जाते बल्कि अन्य भोज्य पदार्थों के साथ पाए जाते है | ये तापसुग्राही होते है | अर्थात् भोजन को गर्म करने पर शीघ्र नष्ट हो जाते है |

विटाामिन हमारे शरीर के लिए अत्यन्त कम मात्रा में लेकिन नियमित रूप से आवश्यक होती है। इन से हमे ऊर्जा प्राप्त नही होती है। लेकिन इनकी कमी से रोग हो जाते है। जिन्हें अपूर्णता रोग (Deficiency disease) भी कहते है |

विटामिन जन्तु के शरीर के वृद्धि तत्व (Growth Factors) माने जाते है |

ईज्कमान (Eizkman, 1897) ने बेरी – बेरी (beri – beri) रोग के विषय में बताया कि यह पॉलिश वाले चावल अधिक खाने से होता है |

विटामिन की खोज होपकिंस (1912 ई.) ने की थी। लेकिन इन्हे विटामिन नाम सी. फंक ने दिया था। ये हमारे शरीर की उपापचयी क्रियाओं को नियमित बनाये रखते है। विटामिन (Vitamin) दो शब्दो से मिलकर बना है। विटल (Vital) – जीवन (life) एवं ऐमीन (amine) – आवश्यक (essential) से बना है।

सी. फंक ने चावल से विटामिन B1 को

  • विटामिन एंजाइम के सहकारक (Co – factor) होते है |
  • विटामिन सामान्य शारीरिक वृद्धि तथा रोगों से रक्षा के लिए आवश्यक होते है |
  • विटामिन D और विटामिन K मनुष्य के शरीर में बनता है |
  • विटामिन को रक्षात्मक खाद्य (Protective food) कहलाते है |
  • ये उपापचयी नियंत्रक (metabolic Regulators) कहलाते है |

विलेयता के आधार पर विटामिन दो प्रकार के होते है –

जल में घुलनशील विटामिन

विटामिन B और विटामिन C दोनों जल में घुलनशील होते है |

वसा में घुलनशील विटामिन

विटामिन – A, D, E, K वसा में घुलनशील होते है |

विटामिन – A (रेटिनॉल)

इसे एंटीजीरोफ्थैल्मिक या बीटा कैरोटिन विटामिन भी कहा जाता है |

स्रोत (Sources) – पौधों से प्राप्त पीले या नारंगी वर्णक कैरोटिन (carotene) से इसका संश्लेषण यकृत में होता है | यह लाल गाजर, आम, अमरुद, पपीता, पालक, शकरकंद, दूध की मलाई, मक्खन, अंडे के पीतक, मछली का तेल आदि में मिलता है |

नोट - इमने से  मछली के यकृत के तेल में सर्वाधिक मात्रा में विटामिन A पाया जाता है |  
कार्य (vitamin A function)

यह विटामिन दृष्टि – वर्णक (Visual – pigments) के संश्लेषण में सहायक होता है | शरीर की एपिथीलियम (epithelium) कोशिकाओं की वृद्धि तथा विभाजन में भी यह आवश्यक होता है | मुख्यतः आहारनाल तथा मूत्र जनन वाहिनियों की एपिथिलियम में |

ध्यान रहे –


  • विटामिन A को संक्रामकरोधी विटामिन भी कहते है |
  • यह टीकाकरण अभियान में दिया जाता है |
  • यह खसरे (Measles) से बचाव करता है |
  • यह उपकला उत्तक को स्वास्थ्य बनाये रखता है |
  • यह विटामिन रोडोप्सिन के संश्लेषण में सहायक है |
पीले फलों में बीटाकैरोटिन पाया जाता है जिसे हमारा यकृत विटामिन A में बदल देता है | 

    विटामिन A की कमी से होने वाले रोग –


    रतौंधी रोग / निशान्धता (Night Blindness) :-

    इस रोग में रात में या अंधेरे में दिखाई नहीं देता है | नेत्र की रेटिना (retina) में पाए जाने वाली शलाका कोशिकाओं (Rod cells) में विटामिन A प्रोटीन से मिलकर रोडोप्सिन (rhodopsin) नामक दृष्टि वर्णक (visual purple) बनाता है | प्रकाश पड़ने पर रोडोप्सिन कैरोटिन तथा प्रोटीन में विभक्त हो जाता है |

    जीरोफ्थेल्मियाँ / आँखों का शुष्कपन (Xerophthalmia / Dryness of eyes) :-

    नेत्र की कॉर्निया (cornea) तथा कन्जन्क्टाइवा (Conjunctiva) के शल्कीभवन (keratinization) होने के कारण आँखे सूखने लगती है | तथा सूज जाती है |

    मंदित वृद्धि (Retarded growth) :-

    विटामिन A की कमी से यकृत एवं वृक्क का अपक्षय होता है | फलस्वरूप शरीर की वृद्धि मंद पड़ जाती है | तथा वजन कम होने लगता है |

    नपुंसकता (Impotency) :-

    विटामिन A की कमी से जनन ग्रन्थियों में निष्क्रियता आ जाती है | फलस्वरूप जनन क्षमता (sexual potency) क्षीण हो जाती है |

    वृक्क संक्रमण (Renal infection) :-

    वृक्क में पायी जाने वाली वृक्क नलिकाओं में कैल्सिफिकेशन (calcification) होने से गुर्दे की पथरी बनने लगती है |

    अन्य रोग

    कॉर्निया का कोमल होना (Keratomalacia)

    कॉर्निया का शुष्कपन (कॉर्नियल जीरोसिस)

    Vitamin B (Complex)

    यह नाइट्रोजन युक्त विटामिन है | जिन्हें आरम्भ में विटामिन B कहा गया था | किन्तु बाद में अन्य कई विटामिनों (लगभग 10) का और अध्ययन करने के बाद इन्हें सामूहिक रूप से विटामिन (vitamin) B Complex कहा गया | यह सह – एंजाइम (co – enzyme) के रूप में उपापचय में भाग लेते है तथा अधिकतर यकृत सत्ता (Liver extract) में पाए जाते है | विटामिन B Complex में निम्न विटामिन होते है –

    vitamin – B1

    रासायनिक नाम – थाइमीन (Thiamine)

    इसको रवों के रूप में जेन्सन (Jensen, 1949) ने तैयार किया था | यह विटामिन B complex का प्रमुख विटामिन है | तथा सर्वप्रथम संश्लेषित विटामिन है |

    स्रोत (Source) :- विटामिन B1 हरी सब्जियों, फलियों (pods), अनाज के छिलकों, अंडे, माँस, यीस्ट (yeast) तथा यकृत (Liver) में प्रचुरता में मिलता है |

    कार्य तथा प्रभाव (Function and effects)


    विटामिन B1 कार्बोहाइड्रेट तथा अमीनों अम्लों के उपापचय में सह – एंजाइम (Co – enzyme) का कार्य करता है | जिससे ऊर्जा प्राप्त होती है | इस विटामिन की कमी से निम्नलिखित प्रभाव होते है :-

    (i) बेरी – बेरी (beri – beri) :- इस विटामिन (vitamin B1) की कमी से रुधिर एवं ऊतकों में पाइरुविक अम्ल (pyruvic acid) एकत्र हो जाता है | जिससे हृदय पेशियाँ दुर्बल हो जाती है | कब्ज (constipation) हो जाता है, शरीर की स्फूर्ति क्षीण हो जाती है | तथा वजन कम हो जाता है |

    (ii) अंगघात (Paralysis) :- इस vitamin की कमी तंत्रिका तंत्र एवं पेशियों को प्रभावित कर लकवा या अंगघात की स्थिति भी कर सकती है |

    (iii) पॉलीन्यूरॉइटिस (Polyneuritis) :- यह रोग vitamin B1 की कमी से पक्षियों में होता है |

    विटामिन B2 या विटामिन G / राइबोफ्लेविन (Riboflavin)

    यह कई विटामिनों में सह – एंजाइम है |

    मुख्य स्रोत / (10 Best Source of vitamin B2)

    अंडा, दूध, यकृत, वृक्क, गेंहू, दाल, यीस्ट, हरी सब्जियाँ, हरी पत्तियाँ |

    कार्य एवं प्रभाव (Function and effects)


    यह कोशिका श्वसन में सह – एंजाइम FAD तथा FMN के संश्लेषण में कार्य करता है | अत: वृद्धि स्वास्थ्य वर्धक होता है | इस विटामिन की कमी से निम्नलिखित प्रभाव (रोग) होते है :-

    (i) कीलोसिस (Cheilosis) : होठों का फटना व सूजन आ जाना तथा मस्तिष्क में थकावट होना एवं स्मृति क्षीणता होना आदि लक्षण बनते है |

    (ii) ग्लोसाइटिस (Glossitis) : जीभ में सूजन आ जाती है, पाचन शक्ति क्षीण हो जाती है |

    (iii) सीबोरिक डर्मेटाइटिस (Seborrheic dermatitis) : त्वचा पर चकते व दाने पड़ जाते है | त्वचा फटने लगती है | तथा आँखों में सूजन आ जाती है |

    विटामिन B3 या पेंटोथेनिक अम्ल (vitamin B3 or Pantothenic acid)

    स्रोत (Sources) :- यह विटामिन टमाटर, मूंगफली, यीस्ट, दूध, माँस, यकृत, गुर्दा, अंडा आदि में मिलता है |

    कार्य एवं प्रभाव (function and effects)


    विटामिन B3 उपापचयी क्रियाओं में भाग लेने वाले सह – एंजाइम A (Co – enzyme A) का मुख्य भाग बनाता है | इसकी कमी से निम्नलिखित प्रभाव (रोग) होते है |

    (i) त्वचा रोग (Dermatitis)

    (ii) रुधिर की कमी (Anaemia)

    विटामिन B5 या निकोटिनिक अम्ल / नियासिन (vitamin B5 or Nicotinic acid / Niacin)

    यह कोशिकाओं में सह – एंजाइम द्वारा होने वाली ऑक्सीकारण – अपचयन (oxidation – reduction) क्रियाओं में पूर्ववर्ती के रूप में कार्य करता है | इसे नियासिन (Niacin) या विटामिन PP (vitamin PP) भी कहते है | यह उपापचय में भाग लेने वाले सह – एंजाइम NAD का मुख्य भाग है |

    स्रोत (Sources) :- विटामिन B5 माँस, यकृत, यीस्ट, अनाज, दाल, व मछलियों में मिलता है |

    कार्य और प्रभाव (function and effects)


    यह कार्बोहाइड्रेट तथा अमीनो अम्लों के ऑक्सीकरण में बहुत सहायक होता है | इसकी कमी से निम्न प्रभाव होते है –

    (i) पेलाग्रा रोग (Pellagra) :- जीभ पर तथा त्वचा पर पपड़ियाँ पड़ जाती है, मुख के भीतर की श्लेष्मा झिल्ली तथा नासिका में घाव हो जाते है | जीन व्यक्तियों का प्रमुख भोजन ज्वार है उनमें पेलाग्रा अधिक प्रचलित है | क्योंकि ज्वार में उपस्थित ल्यूसीन के कारण ट्रिप्टोफॉन का नियासीन में परिवर्तन नहीं हो पाता | इस रोग को 4D रोग भी कहते है | 4D – Diarrhea (दस्त), Dermatitis (त्वचा शुष्क), Dementia (यादास्त में कमी), Death (मृत्यु) |

    विटामिन B6 या पायरीडॉक्सिन (vitamin B6 Pyridoxine)

    स्रोत (Source) :- यह विटामिन शुष्क फल, दूध, सब्जियों, अनाज, माँस, यीस्ट आदि में पाया जाता है |

    कार्य एवं प्रभाव (function or effects)

    यह अमीनो अम्लों तथा प्रोटीन के उपापचय में सह – एंजाइम का कार्य करता है | तथा त्वचा और मस्तिष्क के लिए आवश्यक होता है | विटामिन B6 की कमी से शरीर में निम्नलिखित रोग हो जाते है –

    (i) रुधिर की कमी (Anaemia) |

    (ii) वजन में कमी (Loss of weight) |

    (iii) चर्मरोग (Dermatitis) |

    विटामिन B7 या विटामिन H या बायोटिन

    स्रोत (Source) :- यह विटामिन हरी पत्तियों, यकृत, सोयाबीन, अंडे, गुर्दे तथा यीस्ट में पाया जाता है |

    कार्य एवं प्रभाव (Function or effects)


    विटामिन H वसा संश्लेषण एवं ऊर्जा – उत्पादन में सहायक है | इसकी कमी से मनुष्य में निम्नलिखित प्रभाव (रोग) देखे जाते है –

    त्वचा रोग, बालों का झड़ना पेशियों की दुर्बलता, तंत्रिकाओं पर प्रभाव | नोट विटामिन H की कमी से चूहों में स्पेक्टेकल नेत्र (Spectacle eye) नामक रोग हो जाता है |

    विटामिन B9 / टैरोइल ग्लूटेमिक अम्ल / फोलिक अम्ल (vitamin B9 / Folic acid)

    स्रोत (Source) :- यह विटामिन हरी पत्तियों, यकृत, सोयाबीन, अंडे, गुर्दे तथा यीस्ट में पाया जाता है |

    कार्य एवं प्रभाव (Function or effects)


    फोलिक अम्ल न्यूक्लिक अम्लों के उपापचय में भाग लेता है ये शारीरिक वृद्धि तथा रुधिर उत्पादन में महत्त्वपूर्ण कार्य करता है |

    इस विटामिन की कमी से अरक्तता (anemia) नामक रोग हो जाता है | गर्भवती महिलाओं में विटामिन B9 की कमी होने पर डॉ. उन्हें फोलिक acid की गोली देता है |

    विटामिन B12 या सायनोकोबालैमिन

    स्रोत (Best Source) :- यह कच्चा यकृत, माँस, मछली, दूध व अंडा में मिलता है | आंत्र जीवाणु इसे बनाते है |

    कार्य एवं प्रभाव (Function or effects) :

    यह विटामिन लाल रुधिराणुओं तथा न्यूक्लिओ – प्रोटीन्स के निर्माण में सह – विटामिन का कार्य करता है | वृद्धि के लिए आवश्यक होता है, जिसे पर्निशस अरक्तता (Pernicious anemia) कहते है |

    B complex के कुछ अन्य विटामिन

    विटामिन B – complex में कुछ अन्य विटामिन हाल ही में अध्ययन किये गये है |

    (a) विटामिन B17 (vitamin B17) : यह तरबूज और अंकुरित जौ से प्राप्त होता है | इसमें कैंसर विरोधी गुण होते है |

    (b) इनोसिटॉल (Inositol) : यह हैक्सा – हाइड्रोक्सिसाइक्लो हैक्सेन है | यह वसा उपापचय में सहायक होता है | यह मीट, लीवर, नीम्बू, अनाज, बैक्टीरिया में मिलता है | इसकी कमी से चूहों में वसीय यकृत, एलोपिसिया, बालों का झड़ना हो जाता है |

    (c) कोलीन (Choline) : इसके मुख्य स्रोत अंडा, लीवर तथा गुर्दा है | यह वसा उपापचय में सहायक है |

    (d) विटामिन B15 (vitamin B15) : यह पैन्जोमिक अम्ल है | यह हृदय के कार्य में सहायक होता है | तथा असामयिक आयु के प्रभाव को रोकता है |

    (e) पी. ए. बी. ए. (P A B A) : यह पैरा एमीनो बैंजोइक अम्ल (para – amino – banzoic – acid) है | शरीर की वृद्धि के लिए यह आवश्यक होता है | तथा बालों को सफेद होने से रोकता है |

    विटामिन C या ऐस्कार्बिक अम्ल (vitamin C और ascorbic acid)

    इस विटामिन के विषय मनुष्य को बहुत पहले से ही ज्ञान हो चूका था |

    स्रोत : टमाटर, नीम्बू, मौसम्मी, संतरा, हरी, सब्जियाँ एवं रसीले फलों में पाया जाता हैं |

    कार्य एवं प्रभाव : कोशिका श्वसन में क्रेब्स चक्र के समय यह सह – एंजाइम का कार्य करता है | यह विटामिन उपापचय द्वारा लाल रुधिराणुओं के निर्माण में सहायक होता है | तथा अन्तरा -कोशिकीय मैट्रिक्स बनाने में सहायक होता है | दाँतों के डेंटाइन, अस्थि के मैट्रिक्स आदि सभी कोलेजन युक्त पदार्थों के निर्माण में आवश्यक होता है |

    विटामिन C मूत्र में पाया जाता है यह विटामिन हमारे शरीर में स्टोर नही होता है | तथा मूत्र से बाहर निकल जाता है |

    विटामिन C शरीर में होने वाले घावों को भरने में सहायक है | इसलिए पहले घाव होने पर घाव पर मूत्र विसर्जित किया जाता था |

    यह विटामिन (vitamin) शरीर की वृद्धि में विशेष महत्व रखता है | तथा प्रतिरक्षा करने में सहायक होता है | इसकी कमी से निम्न प्रभाव होता है |

    स्कर्वी (Scurvy) : इस रोग में मसूड़े सूज जाते है | लाल हो जाते है | तथा मसूड़ों से रुधिर स्राव होने लगता है | अस्थियों व दाँतों की वृद्धि रुक जाती है | रुधिर केशिकाओं की भित्ति दुर्बल होकर फट जाती है | जिससे रुधिर स्राव होने लगता है | घावों के भरने में कमी आ जाती है | साथ ही प्रतिरक्षा क्षमता कम हो जाती है |

    अस्थियाँ लचीली नहीं रहती, कड़ी हो जाती है | जिससे हड्डी के टूट जाने पर पुनः जुड़ना बहुत कठिन हो जाता है | शराब पीने वाले व्यक्तियों में विटामिन C की कमी हो जाती है |

    विटामिन D (vitamin D)

    विटामिन D को एंटीरिकेटिक (antirachitic) अथवा कैल्सिफेरॉल (calciferol) भी कहते है | इसका निर्माण सूर्य के प्रकाश में त्वचा की कोशिकाओं में पायी जाने वाली आर्गेस्टेरॉल (argesterol) द्वारा किया जाता है |

    स्रोत (Source) : विटामिन D अंडे, मछली का तेल, लीवर, गुर्दा, मक्खन तथा दूध से प्राप्त होते है | सूर्य के प्रकाश की पराबैंगनी किरणों में क्योंकि यह विटामिन (vitamin) बनता है अत: विटामिन D को धूप का विटामिन भी कहते है |

    कार्य एवं प्रभाव :

    विटामिन D आहार नाल में कैल्सियम तथा फॉस्फोरस के अवशोषण एवं अस्थि निर्माण के लिए आवश्यक है | विटामिन D की कमी से शरीर पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते है |

    (i) सूखा रोग (Rickets) : बच्चों की अस्थियाँ कोमल व लचीली तथा टेढ़ी हो जाती है |

    (ii) ऑस्टियोमैलेशिया (Osteomalacia) : किशोर स्रियों में विटामिन D की कमी हो जाने पर पसलियाँ तथा श्रोणि मेखला कोमल हो जाती है | तथा जबड़ों की अस्थियाँ विकृत हो जाती है |

    vitamin E

    इसे फर्टिलिटी विटामिन, सुन्दरता का विटामिन अथवा टोकोफेरॉल भी कहते है |

    स्रोत : यह विटामिन हरी सब्जियों, वनस्पति तेलों जैसे सोयाबीन एवं बिनौला, अंडा तथा गेंहूँ में प्रचूर मात्रा में मिलता है |

    कार्य एवं प्रभाव

    मुर्गी, चूहो तथा खरगोश आदि में इस विटामिन की कमी से जनन क्षमता कम होती हैं | इनके बच्चे जन्म से पूर्व ही मर जाते है | यह विटामिन कार्बोहाइड्रेट तथा वसा उपापचय में सहायक है | इसकी कमी से निम्नलिखित प्रभाव पड़ते है |

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