परमाणु एवं अणु / Atom And Molecule #01
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Toggleइस अध्याय में हम परमाणु Atom परमाणु का सिद्धांत, अव परमाणुक कण / परमाणु के मुलभुत कण (इलेक्ट्रोन, प्रोटोनव न्यूट्रॉन), आयन, परमाणु की संरचना, परमाणु क्रमांक, परमाणु द्रव्यमान संख्या, परमाणु द्रव्यमान, आयनिक यौगिकों के सूत्रा लिखना, अणु भार, मोल संकल्पना आदि का अध्ययन करेंगे |
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सबसे पहले भारतीय र्दाशनिक महर्षि कणाद ने बताया की पदार्थ की पदार्थ का सबसे छोटा कण जिसे और अधिकभागों में विभाजित नही किया जा सकता है। परम अणु कहलाता है। जिसे बाद में परमाणु का नाम दिया गया।
सन् 1808 में अंग्रेज वैज्ञानिक जाॅन डाल्टन ने बताया कि पदार्थ का सबसे सूक्ष्म अविभाजित कण Atom होता है। Atom को हिन्दी में परमाणु कहते है। Atom शब्द ग्रीक भाषा के शब्द Atomio से लिया गया है। जिसका अर्थ होता है- ‘‘अविभाजित’’ | अर्थात् परमाणु पदार्थ का सबसे सूक्ष्म अविभाजित कण है जिसमें तत्व / पदार्थ के सभी गुण पाए जाते है |
परमाणु मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता है | अपवाद के तौर पर अक्रिय गैसों के परमाणु स्वतंत्र अवस्था में पाए जाते है | जैसे – हीलियम, निओन, आर्गन, क्रिप्टोन, जीनोन, रेडोन | के परमाणु स्वतंत्र अवस्था में पाए जाते है | अर्थात् इनके परमाणु एकल परमाणुकता दर्शाते है |
परमाणु रासायनिक अभिक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेता है |
डाॅल्टन का परमाणु सिद्धांत (Atomic Theory of Dalton)
डाॅल्टन ने अपने परमाणु के सिद्धांत में निम्न लिखित तथ्यों को शामिल किया –
1. परमाणु पदार्थ का सबसे सूक्ष्म अविभाजित कण होता है।
2. सभी पदार्थ परमाणुओं से मिलकर निर्मित होते है।
3. परमाणु को रासायनिक अभिक्रिया में न तो सृजित किया जा सकता है और न ही विनाश किया जा सकता है।
4. एक तत्व के सभी परमाणुओं के गुणधर्म समान होते है। लेकिन अलग-अलग तत्त्वों के परमाणुओं के गुणधर्म अलग-अलग होते है।
5. परमाणु में तत्व के समस्त गुण पाये जाते है।
6. दो या दो से अध्कि परमाणुओं के मिलने से यौगिक का निर्माण होता है।
डाॅल्टन के परमाणु सिद्धांत में सुधार
7. इलेक्ट्रोन, प्रोटोन व न्यूट्राॅन की खोज होने पर पाया गया कि परमाणु एक विभाजित है।
8. दो या दो से अध्कि परमाणुओं के मिलने से अणु का निर्माण होता है।
परमाणु के मूलभूत कण / अव परमाणुक कण
परमाणु में मुख्यतः तीन प्रकार के मूलभूत कण / अवपरमाणुक कण पाये जाते है।
1. इलेक्ट्राॅन (Electron) –
इलेक्ट्रॉन की खोज जे. जे. थॉमसन ने की थी और इसका नामकरण स्टोनी ने किया था | इलेक्ट्राॅन (electron) को पहले कैथोड रे के नाम से जाना जाता था | इलेक्ट्राॅन (electron) ऋणावेशित होता है। जिस पर आवेश 1.6 x 10-19 कूलाम या -4.8 x 10-10 esu होता है।
इलेक्ट्रॉन पर आवेश का मान आर. ए. मिलिकन ने तेल – बूंद प्रयोग से ज्ञात किया था इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1 x 10-31 kg या 9.1 x 10-28 ग्राम होता है।
इलेक्ट्राॅन परमाणु के नाभिक के चारो ओर पाये जाने वाले कक्ष/कोश/ऊर्जा स्तर में उपस्थित कक्षक में पाये जाते है। एक कक्षक में अधिकतम दो इलेक्ट्राॅन ही रहते है। (पाऊली के अपवर्जन नियम के अनुसार) | जिनका चक्रण एक दूसरे के विपरीत होता है |
2. प्रोटाॅन (Proton)
प्रोटाॅन (Proton) की खोज गोल्डस्टीन ने सन् 1886 में की थी। प्रोटाॅन (Proton) का नामकरण रदरफोर्ड ने किया था |
प्रोटाॅन (Proton) धनावेशित कण होते है। इन्हें पहले ‘‘कनाल रे’’ कहते थे। इनका द्रव्यमान (mass) Value 1.6726216 x 10-27 kg या 1.6726216 x 10-24 ग्राम होता है तथा इन पर आवेश -1.6 x 10-19 कूलाम या +4.8 x 10-10 esu होता है। ये परमाणु के नाभिक में पाये जाते है।
3. न्यूट्राॅन (Neutron)
न्यूट्राॅन (Neutron) की खोज सन् 1932 में जैम्स चैडविक नामक वैज्ञानिक ने बेरिलियम पर अल्फ़ा कणों की बौछार (अल्फा प्रकीर्णन प्रयोग) करवा कर की थी |
ये निरावेशित कण (उदासीन कण Charge Free) होते है। इनका द्रव्यमान 1.6749270 x 10-27 kg होता है। ये प्रोटाॅन के साथ परमाणु के नाभिक में पाये जाते है। परमाणु के नाभिक की खोज रदरफोर्ड ने (अल्फा प्रकीर्णन प्रयोग) सोने की पन्नी पर अल्फा कणों की बौछार करवाकर की थी।
नोट : – उपरोक्त तीनों मूलभूत कण है ये सभी परमाणुओं में पाए जाते है लेकिन हाइड्रोजन में न्यूट्रॉन नही पाया जाता है |
नोटः- परमाणु में इलैक्ट्राॅन व प्रोटाॅन की संख्या समान होती है।
आयन :- जब किसी उदासीन परमाणु के बाह्यतम कोश में इलेक्ट्राॅन की संख्या कम कर दी जाये या बढ़ा दी जाती है तो वह परमाणु आयन में बदल जाता है।
आयन दो प्रकार के होते है।
धनायन :- जब किसी परमाणु के बाह्यतम कोश से एक या एक से अधिक इलैक्ट्राॅन बाहर निकाल दिये जाते है तो वह परमाणु ध्नायन में बदल जाता है।
ऋणायन :- जब किसी परमाणु के बाह्ययत कोश में एक या एक से अधिक इलैक्ट्राॅन बढा दिये जाते है तो वह परमाणु ऋणायन में बदल जाता है।
परमाणु में पाए जाने वाले अन्य कण जिन्हें प्रयोगशाला में प्रयोग के दौरान उत्पन्न किया गया है –
(1) पॉजिट्रॉन / एंटी इलेक्ट्रान – खोजकर्त्ता – एंडरसन
प्रकृति – धनावेशित
इसका द्व्य्मान व आवेश इलेक्ट्रान के समान होता है |
(2) एंटी प्रोटोन :- खोजकर्त्ता – सेगरे
यह एक ऋणावेशित कण है | इसका द्रव्यमान व आवेश प्रोटोन के समान होता है |
(3) मेसोन – खोजकर्त्ता – युकावा
यह धनावेशित, ऋणावेशित, उदासीन तीनों प्रकृति दर्शाता है | इसका द्रव्यमान इलेक्ट्रान के द्रव्यमान के 200 गुणा होता है |
(4) न्यूट्रिनो एवं एंटी न्युट्रीनो – खोजकर्त्ता – पॉलिंग
ये कण उदासीन होते है तथा द्रव्यमान नगण्य होता है |
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