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(Magnetic Properties of Materials)
सन् 1846 में फैराडे ने अपने प्रयोगों के आधार पर बताया कि संसार में प्रायः सभी पदार्थों में चुम्बकत्व के कुछ गुण पाये जाते हैं। उन्होंने अनेक पदार्थों को चुम्बकीय क्षेत्र में रखकर उनके चुम्बकीय व्यवहार का अध्ययन किया और इस आधार पर पदार्थों को निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया-
(1) प्रति चुम्बकीय पदार्थ
(2) अनुचुम्बकीय पदार्थ
(3) लौहचुम्बकीय पदार्थ
(1) प्रतिचुम्बकीय पदार्थ (Diamagnetic Substances ) :-
जो पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की विपरीत दिशा में मामूली रूप से चुम्बकित हो जाते हैं तथा किसी शक्तिशाली चुम्बक के सिरों के पास लाये जाने पर कुछ प्रतिकर्षित होते हैं, प्रतिचुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। इन पदार्थों का यह गुण प्रतिचुम्बकत्व (diamagnetism) कहलाता है।
प्रतिचुम्बकत्व की व्याख्या (Explanation of Diamagnetism)-प्रतिचुम्बकत्व का गुण प्रायः उन पदार्थों में पाया जाता है जिनके परमाणुओं अथवा अणुओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या सम होती है तथा दो-दो इलेक्ट्रॉन मिलकर युग्म (Pair) बना लेते हैं। प्रत्येक युग्म में एक इलेक्ट्रॉन का चक्रण दूसरे इलेक्ट्रॉन के चक्रण से विपरीत दिशा में होता है। अतः युग्म के इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे के चुम्बकीय आघूर्ण को पूर्णतः निरस्त कर देते हैं। इस प्रकार प्रतिचुम्बकीय पदार्थ के परमाणु का नेट चुम्बकीय आघूर्ण शून्य होता है।
जब प्रतिचुम्बकीय पदार्थ किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो क्षेत्र- पदार्थ के परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों की गतियों को परिवर्तित कर देता है। प्रत्येक युग्म का एक इलेक्ट्रॉन धीमा हो जाता है जबकि दूसरा त्वरित हो जाता है। अतः अब युग्म के इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे के चुम्बकीय आघूर्ण को निरस्त नहीं करते, इस प्रकार परमाणु में चुम्बकीय आघूर्ण प्रेरित हो जाता है जिसकी दिशा बाहरी क्षेत्र की दिशा के विपरीत होती है। अतः पदार्थ बाह्य क्षेत्र की विपरीत दिशा में चुम्बकित हो जाता है। यदि पदार्थ का ताप बदला जाये तो उसके प्रतिचुम्बकत्व के गुण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
उदाहरण: जस्ता (Zn), ताँबा (Cu), चाँदी (Ag), सोना (Au), बिस्मथ (Bi), फॉस्फोरस (P), एण्टिमनी (Sb), जल (H, O), नमक (NaCl), हाइड्रोजन (H), नाइट्रोजन (N2), पारा (Hg) आदि ।
(2) अनुचुम्बकीय पदार्थ (Paramagnetic Substances):-
जो पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की ही दिशा में मामूली रूप से चुम्बकित हो जाते हैं तथा किसी शक्तिशाली चुम्बक के सिरों के पास लाये जाने पर उसकी ओर आकर्षित होते हैं, अनुचुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं तथा इन पदार्थों का यह गुण अनुचुम्बकत्व (Paramagnetism) कहलाता है।
अनुचुम्बकत्व की व्याख्या (Explanation of Paramagnetism)
– अनुचुम्बकत्व का गुण उन पदार्थों पाया जाता है जिनके परमाणुओं अथवा अणुओं में कुछ ऐसे आधिक्य (Excess ) इलेक्ट्रॉन होते हैं जिनका चक्रण एक ही दिशा में होता है। अतः अनुचुम्बकीय पदार्थ के परमाणु में स्थायी चुम्बकीय आघूर्ण होता है तथा वह एक नन्हे दण्ड चुम्बक के समान व्यवहार करता है जिसे परमाण्वीय चुम्बक कहते हैं, परन्तु फिर भी अनुचुम्बकीय पदार्थ किसी बाहरी चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में कोई चुम्बकीय पदार्थ नहीं दिखाते। इसका कारण यह है कि इसके परमाण्वीय चुम्बक अनियमित रूप से अभिविन्यस्त (randomly oriented) रहते हैं | जिससे कि पूरे पदार्थ का परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण शून्य ही रहता है।
जब अनुचुम्बकीय पदार्थ को किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखते हैं तो प्रत्येक परमाण्वीय चुम्बक पर बल-आघूर्ण लगता है जो चुम्बक को घुमाकर क्षेत्र की दिशा में करने का प्रयत्न करता है। अतः पदार्थ के परमाणु क्षेत्र की दिशा में संरेखित (aligned) ग्रहण कर लेता है, अर्थात् क्षेत्र की दिशा में चुम्बकित हो जाता है।
पदार्थ के परमाणुओं में ऊष्मीय विक्षोभ (thermal agitation) भी होता है। यदि पदार्थ कोई गैस है तो इसके परमाणु अनियमित गति करते रहते हैं और यदि ठोस है तो परमाणु कम्पन करते रहते हैं। यह विक्षोभ परमाणुओं के चुम्बकीय संरेखण को अव्यवस्थित करता है। अतः साधारणतः अनुचुम्बकीय पदार्थों में चुम्बकन बहुत कम हो पाता है। बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र बढ़ाने पर तथा ताप घटाने पर चुम्बकन बढ़ जाता है।
उदाहरण – ऐलुमिनियम (Al), जस्ता (Zn), ताँबा (Cu), मँगनीज (Mn), सोडियम (Na), प्लेटिनम (Pt), सोना (Au), नमक (NaCl). जल (H, O), कॉपर क्लोराइड (CuCl,), ऑक्सीजन (O) तथा लोहे व ऑक्सीजन के लवण आदि।
(3) लौहचुम्बकीय पदार्थ (Ferromagnetic Substances)
– वे पदार्थ जो किसी चुम्बक के सिरों के पास लाये जाने पर तीव्रता से आकर्षित होते हैं तथा किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर क्षेत्र की दिशा में प्रबल रूप से चुम्बकित हो जाते हैं, लौह-चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। इन पदार्थों के गुणों को लौह-चुम्बकत्व (Ferromagnetism) कहते हैं।
लौह-चुम्बकत्व की व्याख्या (Explanation of Ferromagnetism)
– लौह चुम्बकत्व तथा अनुचुम्बकत्व में केवल तीव्रता में भिन्नता होती है। लौह चुम्बकीय पदार्थ वास्तव में ऐसे अनुचुम्बकीय पदार्थ हैं जिनका बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकन बहुत तेजी से हो जाता है। अनुचुम्बकीय पदार्थों की भांति लौह चुम्बकीय पदार्थों का भी प्रत्येक परमाणु एक चुम्बक होता है जिसमें कुछ स्थायी चुम्बकीय आघूर्ण होता है, परन्तु लौह चुम्बकीय पदार्थों के परमाणुओं में कुछ ऐसी जटिल अन्योन्य क्रियायें होती हैं जिनके कारण पदार्थ के अन्दर परमाणुओं के असंख्य, अतिसूक्ष्म आकार के प्रभावी क्षेत्र बन जाते हैं, जिन्हें ‘डोमेन’ (Domains) कहते हैं। प्रत्येक डोमेन में 1017 से 1024 तक परमाणु होते हैं जिनकी चुम्बकीय अक्ष एक ही दिशा में संरेखित ( aligned) होती हैं (परन्तु पड़ोसी डोमेन के परमाणुओं से भिन्न दिशा में)। इस प्रकार प्रत्येक डोमेन, बिना किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के ही चुम्बकीय संतृप्ति (magnetic saturation) की अवस्था (स्थिति) में रहता है, अर्थात् एक तीव्र चुम्बक होता है, परन्तु पदार्थ की सामान्य अवस्था में विभिन्न डोमेन अनियमित ढंग इस प्रकार बिखरे रहते हैं कि उनका किसी भी दिशा में परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण शून्य ही रहता है। (यही कारण है कि लोहे का प्रत्येक टुकड़ा चुम्बक नहीं होता । )
उदाहरण-निकल (Ni), लोहा (Fe), कोबाल्ट (Co) तथा इनकी मिश्र धातु (alloys), जैसे कोबाल्ट-स्टील, कोबाल्ट-क्रोम स्टील, टंग्स्टन- स्टील इत्यादि सभी लौह-चुम्बकीय पदार्थ हैं।
पाठ्यक्रम
छड़ चुम्बक, चुम्बकत्व एवं गाउस का नियम, चुम्बकीकरण एवं चुम्बकीय तीव्रता, पदार्थों के चुम्बकीय गुण |
भूमिका ( Introduction )
- अभ्यास प्रश्न
- पदार्थों के चुम्बकीय गुण / Magnetic Properties of Materials
- चुम्बकीकरण एवं चुम्बकीय तीव्रता
- भू – चुम्बकत्व
- गाउस का नियम
- छड़ चुम्बक
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