राजनीतिक संस्थाओं की भूमिका (role of political institutions)

सर्वहितकारिणी सभा

 
 
1907 ई. में स्वामी गोपालदास ने पं. कन्हैयालाल तथा पं. श्रीराम मास्टर के सहयोग से चुरू में सर्वहितकारिणी सभा की स्थापना की। यह संस्था अपने राजनैतिक कार्यों के कारण चुरू की कांग्रेस कहलायी, जिसका उद्देश्य राजनैतिक कार्य, समाज सुधार कार्य आदि करना था । यह सभा आर्य समाज की विचारधारा से प्रभावित थी। सर्वहितकारिणी सभा ने चुरू में नारी शिक्षा के लिए ‘सर्वहितकारिणी पुत्री पाठशाला’, हरिजनों की शिक्षा के लिए ‘कबीर पाठशाला’ की स्थापना की। बीकानेर राज्य सरकार ने इस सभा की राष्ट्रीय गतिविधियों के कारण इसके प्रति दमनकारी नीति अपनाई ।
 

वीर भारत सभा

 
इस सभा की स्थापना 1910 ई. में केसरी सिंह बारहठ ने गोपालसिंह खरवा के साथ मिलकर की। यह संगठन राष्ट्रीय क्रांतिकारी संगठन अभिनव भारत की प्रांतीय शाखा के रूप में कार्य करता था। इसका उद्देश्य क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रचार-प्रसार था।
 

हिन्दी साहित्य समिति

 
इसकी स्थापना 1912 ई. में महंत जगन्नाथ द्वारा भरतपुर में की गई। इस समिति ने 1927 ई. में भरतपुर में अखिल भारतीय हिन्दी सम्मेलन का आयोजन करवाया, जिसकी अध्यक्षता पं. गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने की। इस सम्मेलन में रविन्द्रनाथ टैगोर व जमनालाल बजाज ने भी भाग लिया।
 

विद्या प्रचारिणी सभा

 
1914 ई. में हरिभाई किंकर ने बिजौलिया (चित्तौड़गढ़) में विद्या प्रचारिणी सभा की स्थापना की। इस सभा का उद्देश्य राष्ट्रभक्त नागरिक तैयार करना था। 1915 ई. में विजयसिंह पथिक ने इसका संचालन संभाला।
 

प्रताप सभा

 
1915 ई. में महाराणा प्रताप की स्मृति में उदयपुर में प्रताप सभा की स्थापना की गई। इस सभा के संचालक बलवंतसिंह मेहता थे। इस सभा का उद्देश्य लोगों में स्वाभिमान व स्वाधीनता प्रेम की भावना पैदा करना था। प्रताप सभा ने हल्दीघाटी के मेले का आयोजन व प्रताप जयंती मनाने की शुरूआती की।
 

प्रजा प्रतिनिधि सभा

 
इस सभा की स्थापना 1918 ई. में कोटा में पं. नयनूराम शर्मा द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य कोटा के नागरिकों की शिकायतों को महकमा खास के सम्मुख रखना था।
 

राजस्थान सेवा संघ

 
राजस्थान में राजनैतिक चेतना जागृत करने का प्रमुख श्रेय राजस्थान सेवा संघ को जाता है। राजस्थान सेवा संघ बनाने की कल्पना विजयसिंह पथिक के मन में आई थी। राजस्थान सेवा संघ का मुख्य उद्देश्य जागीरदारों तथा उनकी प्रजा में परस्पर मैत्री संबंध स्थापित करना था। (role of political institutions)
 
‘राजस्थान सेवा संघ’ की स्थापना 1919 ई. में वर्धा (महाराष्ट्र) में अर्जुन लाल सेठी, ठाकुर केसरी सिंह बारहठ, विजय सिंह पथिक, हरिभाई किंकर तथा रामनारायण चौधरी द्वारा महात्मा गाँधी के परामर्श से स्थापित की गई। इस संघ के अध्यक्ष श्री विजयसिंह पथिक व मंत्री श्री रामनारायण चौधरी को बनाया गया। ‘राजस्थान सेवा संघ’ (वर्धा) द्वारा साप्ताहिक अखबार ‘राजस्थान केसरी’ का प्रकाशन किया गया। इस अखबार के संपादक विजयसिंह पथिक व प्रकाशक एवं सहायक संपादक श्री रामनारायण चौधरी को बनाया गया। (role of political institutions)
 
राजस्थान में ‘राजस्थान सेवा संघ’ की स्थापना 1920 ई. में अजमेर में की गई। ‘राजस्थान सेवा संघ’ के अजमेर आने के बाद सर्वप्रथम इसका कार्य बिजौलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व करना था। यहाँ ‘राजस्थान केसरी’ का संपादन कार्य श्री सत्यदेव विद्यालंकार के द्वारा किया गया। ‘राजस्थान सेवा संघ’ के द्वारा दूसरा साप्ताहिक समाचार-पत्र ‘नवीन राजस्थान’ रामनारायण चौधरी के संपादन में प्रकाशित हुआ। मेवाड़ सरकार की दमनकारी नीति के कारण ‘नवीन राजस्थान’ का प्रकाशन बंद कर दिया गया। बाद में ‘नवीन राजस्थान’ के स्थान पर ‘तरुण राजस्थान’ साप्ताहिक समाचार-पत्र अजमेर से सोहनलाल गुप्ता के संपादन में प्रकाशित किया गया। 1924 ई. में रामनारायण चौधरी और सोहनलाल गुप्ता को आपत्तिजनक सामग्री प्रकाशित करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। यद्यपि रामनारायण चौधरी को तो छोड़ दिया गया किंतु सोहनलाल गुप्ता को कठोर कारावास की सजा दी गई। 1926-27 ई. में विजयसिंह पथिक और रामनारायण चौधरी के बीच मतभेद अधिक बढ़ गये और ‘राजस्थान सेवा संघ’ निर्जीव सा हो गया। तत्पश्चात जमनालाल बजाज द्वारा इस संस्था को पुनर्जीवित किया गया। (role of political institutions)
 
ध्यातव्य रहे- रामनारायण चौधरी और साधु सीताराम दास ने ऊपरमाल में ‘डंको नामक’ हस्तलिखित समाचार-पत्र निकाला।

सद्विद्या प्रचारिणी सभा

 
सद्विद्या प्रचारिणी सभा 1920 ई. में बीकानेर में स्थापित की, जिसने बीकानेर में जनजाग्रति तथा अन्याय के खिलाफ संघर्ष और लोगों में सामाजिक राजनैतिक चेतना जाग्रत की। धर्मविजय, सत्यविजय दो नाटक इसके बहुत प्रसिद्ध रहे ।
 

मारवाड़ हितकारिणी सभा

 
मारवाड़ के लोगों में सामाजिक व आर्थिक जागृति लाने हेतु 1915 ई. में ‘मरूधर मित्र हितकारिणी सभा’ नामक प्रथम राजनैतिक संगठन की स्थापना की गई, लेकिन यह संगठन अधिक प्रभावी नहीं हो सका, क्योंकि इसकी गतिविधियाँ मुख्य रूप से जोधपुर शहर तक ही सीमित रही। उसके बाद चाँदमल सुराणा ने 1918 ई. में मारवाड़ हितकारिणी सभा की स्थापना की लेकिन यह संस्था भी अधिक सक्रिय नहीं हो सकी। 1920 ई. में स्थापित मारवाड़ सेवा संघ के भी निष्क्रिय हो जाने के बाद 1923 ई. में पुनः पुरानी संस्था ‘मारवाड़| हितकारिणी सभा’ का पुनर्गठन किया गया, जिसका अध्यक्ष चाँदमल सुराणा व मंत्री किशनलाल बापना को बनाया गया। इसी संस्था के नेतृत्व में मादा पशुओं के निर्यात के विरुद्ध 1923 ई. में आंदोलन चलाया। 1929 ई. में इस संस्था के नेतृत्व में मारवाड़ किसान आंदोलन भी चलाया गया। इस सभा ने ‘पोपाबाई की पोल’ और ‘मारवाड़ की अवस्था’ नामक दो पुस्तिकाएँ प्रकाशित की। 5 मार्च, 1932 ई.. को मारवाड़ सरकार ने मारवाड़ हितकारिणी सभा को गैर कानूनी संगठन घोषित कर दिया।(role of political institutions)
 

मारवाड़ सेवा संघ

 
1920 ई. में ‘राजस्थान सेवा संघ’ की एक इकाई के रूप ‘मारवाड़ सेवा संघ’ का गठन जयनारायण व्यास के नेतृत्व में किया गया (डॉ. बृजकिशोर शर्मा के अनुसार 1921 ई.) । इसका उद्देश्य मारवाड़ की जनता में राजनीतिक जागृति पैदा करना तथा राज्याधिकारियों की मनमानी व अन्यायपूर्ण गतिविधियों का विरोध करना था। इसके अध्यक्ष दुर्गाशंकर, प्रयागराज भंडारी, जयनारायण कानमल, भंवरलाल सर्राफ, गिरधारी लाल आदि थे।
 

राजपूताना मध्य भारत सभा

 
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देशी रियासतों में हस्तक्षेप न करने की नीति अपना रही थी। देशी रियासतों के कुछ कर्मठ कार्यकर्ताओं ने 1918 ई. में कांग्रेस के दिल्ली अधिवेशन के समय आपसी बातचीत करके अपनी अलग से एक संस्था स्थापित करने का निश्चय किया, तो वहीं पथिक जी, अर्जुनलाल सेठी, जयपुर के स्वामी नरसिंह, सीकर के जमनालाल बजाज, जबलपुर के सेठ गोविंददास, ग्वालियर के गणेश शंकर विद्यार्थी (जो उन दिनों कानपुर से ‘प्रताप’ नामक अखबार निकालते थे), अजमेर के चाँदकरण शारदा और केसरी सिंह बारहठ आदि ने मिलकर एक संस्था की स्थापना की, जिसका नाम ‘राजपूताना मध्य भारत सभा’ था ।(role of political institutions)
 
ध्यातव्य रहे- इसका प्रथम अधिवेशन 29 दिसंबर, 1919 ई. को दिल्ली के चाँदनी चौक में स्थित मारवाड़ी पुस्तकालय में जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।
 
इस सभा का मुख्य उद्देश्य राजपूताना के देशी राज्यों में राजनैतिक चेतना उत्पन्न करना, रियासतों में उत्तरदायी सरकार की स्थापना करना और रियासतों के लोगों को कांग्रेस का सदस्य बनाना था। अधिवेशन में जमनालाल बजाज को अध्यक्ष, गणेश शंकर ‘विद्यार्थी’ को उपाध्यक्ष बनाया गया। राजपूताना मध्यभारत सभा का मुख्य कार्यालय कानपुर में रखा गया।(role of political institutions)
 
दिसंबर, 1919 ई. में कांग्रेस का अधिवेशन अमृतसर में हुआ था, वहीं पर राजपूताना मध्यभारत सभा का दूसरा अधिवेशन हुआ।  मार्च, 1920 ई. में तीसरा अधिवेशन अजमेर में जमनालाल बजाज के नेतृत्व में हुआ। दिसम्बर, 1920 में इसका वार्षिक अधिवेशन नागपुर में किया गया। इसी समय नागपुर में कांग्रेस का अधिवेशन भी चल रहा था। इस अवसर पर सभा ने एक प्रदर्शनी लगाई जिसके द्वारा कांग्रेस के सदस्यों को इस क्षेत्र के किसानों की दयनीय स्थिति, अस्पतालों का अभाव, आवागमन के साधनों की कमी, शिक्षा के प्रति राज्यों की लापरवाही से जनसामान्य के कठिन जीवन को दर्शाया गया।
 
इस सभा का मुख्य उद्देश्य रियासतों की जनता को राष्ट्रीय कांग्रेस की गतिविधियों से परिचित करवाकर उनमें राजनैतिक चेतना का विकास करना था। सन् 1921 ई. में कांग्रेस ने असहयोग व विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार का आंदोलन प्रारंभ किया तब राजस्थान के अजमेर में अर्जुनलाल सेठी, चाँदकरण शारदा, गौरी शंकर भार्गव आदि ने विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार का आंदोलन चलाया। जमनालाल बजाज द्वारा अंग्रेजों द्वारा दिए गए ‘रायबहादुर के खिताब’ को त्याग दिया गया। इस आंदोलन से अंग्रेजी सरकार घबरा गई और उसने इंग्लैण्ड के राजकुमार को 1921 ई. में भारत भेजा। उसके आने का स्वागत पूरे देश में हड़ताल करके व उसका बहिष्कार करके किया गया। अजमेर में भी कांग्रेस ने एक बड़ी शानदार हड़ताल का आयोजन किया।(role of political institutions)
 
नरेन्द्र मण्डल (द चैंबर ऑफ प्रिंसेज ) 1921 में ब्रिटिश ताज के अधीन भारतीय देशी रियासतों का एक संघ बनाया गया, जो एक सलाहकारी एवं परामर्श देने वाली संस्था थी। जिसका नाम ‘द चैंबर ऑफ प्रिंसेज’ रखा गया। अलवर नरेश जयसिंह के हिन्दी के हिमायती होने के कारण इसे ‘नरेन्द्र मण्डल’ नाम दिया गया। इसकी स्थापना 8 फरवरी, 1921 ई. को दिल्ली में हुई। वायसराय लॉर्ड रीडिंग इसके अध्यक्ष एवं बीकानेर महाराज गंगासिंह प्रथम चांसलर नियुक्त हुए। (role of political institutions)
 
इसका उद्देश्य देशी राज्यों की समस्याओं के संबंध में सरकार को अवगत कराना था, किन्तु इसका रियासतों के आन्तरिक मामलों से कोई संबंध नहीं था और न ही यह रियासतों के अधिकारों या उनके कार्य करने की स्वतंत्रता पर वाद-विवाद कर सकता था। इसमें सभी राज्यों का शामिल होना भी अनिवार्य नहीं था अतः इसमें हैदराबाद और मैसूर शामिल नहीं हुए। (role of political institutions)
 

अमर सेवा समिति

 
इस समिति का गठन खेतड़ी ठिकाने के चिड़ावा कस्बे में मास्टर प्यारेलाल गुप्ता द्वारा 1922 ई. में किया गया। इस समिति के प्रमुख उद्देश्य समाज सेवा, सामाजिक बुराईयों का विरोध और राष्ट्रीय भावना का प्रसार था।
 

अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद्

 
देशी राज्यों की जनता को एकसूत्र में बाँधने की दृष्टि से एक केंद्रीय संगठन की आवश्यकता अनुभव की गई। भारतीय शासकों के संगठन ‘द चैंबर ऑफ प्रिंसेज’ में शासक अपने सम्मान, प्रतिष्ठा व अधिकारों के प्रश्न पर विचार विमर्श कर ‘बटलर समिति’ नियुक्त करवाने में सफल हो गए थे। इस समिति को शासकों के अधिकारों और राज्यों की आर्थिक सुविधाओं के संबंध में अपनी रिपोर्ट देनी थी। इसी समय ‘साइमन कमीशन’ की नियुक्ति हुई, जिसे भारत में भावी संवैधानिक प्रगति पर अपनी रिर्पोट देनी थी। मार्च, 1920 ई. में ‘राजपूताना मध्य भारत सभा’ ने अपने अजमेर अधिवेशन में देशी राज्यों की एक परिषद् बनाने का निश्चय किया। 27 दिसंबर, 1920 ई. को इस सभा के तत्वाधान में नागपुर में एक सभा का आयोजन किया गया। इस सभा के अंतर्गत कहा गया कि “अलग-अलग देशी राज्यों के संगठनों की बात को कांग्रेस महत्व नहीं दे रही है लेकिन यदि सभी देशी राज्यों का एक संगठन होगा तो कांग्रेस को उसकी आवाज सुननी ही पड़ेगी।”
 
1922 ई. में देशी राज्यों के कुछ प्रतिनिधि पूना में मिले तथा देशी राज्यों की एक केन्द्रीय संस्था की स्थापना पर विचार किया। फिर 4 वर्ष तक इस दिशा में कोई कार्य नहीं हो सका। 1926 में देशी राज्यों के प्रतिनिधियों ने एक अस्थायी समिति बनाई जिसमें केन्द्रीय संगठन की स्थापना संबंधी विविध विषयों पर विचार किया गया।
 
अप्रैल, 1927 ई. में देशी राज्यों के कार्यकर्ताओं की एक बैठक पूना में हुई जिसमें मई, 1927 ई. में ‘अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद्’ का पहला अधिवेशन गुजरात में बुलाना तय किया गया, लेकिन गुजरात में आई भयंकर बाढ़ के कारण इसका प्रथम अधिवेशन 17-18 दिसंबर, 1927 ई. को बंबई में हुआ। इसमें विभिन्न राज्यों के 70 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस संस्था का मुख्यालय बंबई में रखना तय किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य देशी राज्यों में शासकों के तत्वावधान में उत्तरदायी शासन की स्थापना करना था। इस संस्था की कार्यकारिणी में राजस्थान के निम्नलिखित सदस्य
 
थे-कन्हैयालाल कलंत्री (जोधपुर), रामदेव पोद्दार व बालकिशन पोद्दार (बीकानेर), त्रिलोक चंद माथुर (करौली), विजयसिंह पथिक को उपाध्यक्ष और रामनारायण चौधरी को राजस्थान और मध्यभारत के लिए प्रांतीय सचिव बनाया गया।
 
इस अधिवेशन के दस दिन बाद ही मद्रास में दक्षिण भारतीय राज्यों के प्रतिनिधियों की एक अलग ‘ऑल इंडिया स्टेट्स सब्जेक्ट कॉन्फ्रेंस’ स्थापित की गई। अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् की स्थापना के बाद रियासतों की स्थिति में मामूली परिवर्तन आया। 1928 ई. के काँग्रेस अधिवेशन में एक प्रस्ताव पास करके भारतीय राज्यों के शासकों से उत्तरदायी शासन के लिए राज्यों की जनता द्वारा किए जा रहे शांतिपूर्ण संघर्ष के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट की । कांग्रेस द्वारा पारित प्रस्तावों तथा बटलर समिति के उपेक्षापूर्ण रूप के कारण देशी राज्य लोक परिषद् ने 1929 में अपने दूसरे अधिवेशन में देशी रियासतों की बाह्य व आंतरिक समस्याओं को हल करने में अंग्रेजों को मुख्य बाधा बताया। 1929 के अधिवेशन में पृथक न्यायपालिका, शासकों के निजी खर्चे को प्रशासनिक खर्चे से स्वतंत्र अलग रखने तथा प्रतिनिधि संस्थाओं की स्थापना पर अधिक बल दिया गया। परिषद् ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि देशी रियासतों के प्रतिनिधि संस्थाओं की स्थापना के लिए संघर्ष अंग्रेजों के विरूद्ध संघर्ष का ही एक भाग है।
 
जुलाई, 1936 ई. में कांग्रेस के कराची अधिवेशन के बाद | उसकी नीति में परिवर्तन आया। देशी राज्य लोक परिषद के कराची अधिवेशन 1936 ई. की अध्यक्षता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. पट्टाभि सीतारमैया ने की तत्पश्चात् उन्हीं की अध्यक्षता में देशी रियासतों के कार्यकर्ताओं का एक सम्मेलन 1938 ई. में नवसारी में हुआ।
 
इस सम्मेलन में कांग्रेस से अनुरोध किया गया कि वह उनकी समस्याओं पर नए सिरे से विचार करे। इसके फलस्वरूप, 1938 ई. में कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन में भारतीय राज्यों को भारत का अभिन्न अंग घोषित किया गया। इस प्रकार देशी राज्य लोक परिषद् व कांग्रेस के बीच समन्वय स्थापित हुआ। अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् का अंतिम अधिवेशन राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन के साथ 1948 ई. में पट्टाभि सीतारमैया की अध्यक्षता में जयपुर में हुआ तथा इस अधिवेशन में इस परिषद् का विलय राष्ट्रीय कांग्रेस में कर दिया गया।
 

राजस्थान में देशी राज्य लोक परिषद्

 
राजस्थान के राजनैतिक इतिहास में अजमेर का सदैव ही महत्व रहा है। 1927 ई. में देशी राज्य लोक परिषद् के प्रथम अधिवेशन के बाद राजस्थान के कार्यकर्ता अत्यधिक उत्साह से वापस लौटे। वे अब इस संस्था की क्षेत्रीय परिषद् का गठन करना चाहते थे ताकि राजस्थान के सभी राज्यों की गतिविधियों में समन्वय रखा जा सके। 1931 ई. में रामनारायण चौधरी ने अजमेर में इस संस्था का प्रथम प्रांतीय अधिवेशन बुलाया।
 
जयनारायण व्यास ने इसी प्रकार का सम्मेलन जोधपुर में करने का प्रयास किया किंतु जोधपुर दरबार की दमनात्मक नीति के कारण इस सम्मेलन का आयोजन ब्यावर नगर में किया गया, परंतु राजस्थान के नेताओं के दृष्टिकोण में मतैक्य न होने के कारण यह प्रयास भी विफल रहा। अतः राजस्थान के विभिन्न राज्यों के नेताओं ने अपने- अपने राज्यों में अपने-अपने साधनों एवं तरीकों से आंदोलन चलाने का निश्चय किया। वस्तुतः ‘अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद्’ की स्थानीय इकाईयाँ जैसे- ‘प्रजामंडल’ या ‘प्रजा परिषद्’ अथवा ‘लोक परिषद्’ इन राज्यों में पहले से ही कार्य कर रही थी।
 

मारवाड़ राज्य लोक परिषद

 
1927 ई. में ‘अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद्’ के मुंबई अधिवेशन में भाग लेकर व्यास जी जोधपुर लौटे। 1929 में जयनारायण व्यास ने ‘अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद्’ की राज्य इकाई के रूप में ‘मारवाड़ राज्य लोक परिषद्’ की स्थापना की। जयनारायण व्यास जी ने 11-12 अक्टूबर, 1929 ई. को ‘मारवाड़ राज्य लोक परिषद्’ का प्रथम अधिवेशन जोधपुर में बुलाने का निर्णय लिया परंतु मारवाड़ सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी। जिसके विरोध में जयनारायण व्यास ने ‘तरुण राजस्थान’ नामक पत्र व ‘पोपा बाई की ‘पोल’ व ‘मारवाड़ की अवस्था’ नामक दो पुस्तकों के माध्यम से प्रशासन की आलोचना की। जोधपुर में पाबंदी होने के कारण 24-25 नवम्बर, * 1931 ई. को चाँदकरण शारदा की अध्यक्षता अजमेर के निकट मारवाड़ राज्य लोक परिषद् का अधिवेशन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में कस्तूरबा गाँधी व काका कालेकर आदि उपस्थित थे।

मारवाड़ यूथ लीग

 
मारवाड़ हितकारिणी सभा के प्रभाव को कम करने के लिए मारवाड़ राज्य ने जयनारायण व्यास, आनंदराज सुराणा और भंवरलाल सर्राफ को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया गया, लेकिन गाँधी-इरविन समझौते के बाद 9 मार्च, 1931 ई. को उन्हें रिहा कर दिया गया। जेल से छूटने के बाद इन्होंने 10 मई, 1931 ई. में जोधपुर में जयनारायण व्यास के निवास पर मारवाड़ यूथ लीग की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य नागरिक अधिकारों की स्थापना की मांग तथा राज्य की दमन नीति का विरोध करना था । मारवाड़ यूथ लीग ने स्वायत्त शासन, नागरिक शासन, शिक्षा एवं चिकित्सा सुविधा आदि के मुद्दे उठाकर जनजागृति फैलाने का कार्य किया। 5 मार्च, 1932 ई. को मारवाड़ सरकार ने मारवाड़ यूथ लीग को गैर कानूनी संगठन घोषित कर दिया।
 

राजस्थान हिन्दी विद्यापीठ

 
1931 ई. में जनार्दनराय नागर ने उदयपुर में हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना की, जिसका प्रमुख उद्देश्य हिन्दी भाषा के माध्यम से विद्यार्थियों में राष्ट्रीयता की भावना जागृत करना था।
 
नागरी प्रचारिणी सभा
 
इस सभा की स्थापना 1934 ई. में ज्वालाप्रसाद जिज्ञासु, जौहरी लाल हिन्दू व अन्य कार्यकर्त्ताओं ने की, जिसका उद्देश्य मातृभाषा हिन्दी का प्रचार एवं प्रसार था।
 
महिला मंडल
 
1935 ई. में दयाशंकर श्रोत्रिय ने उदयपुर में महिला मंडल की स्थापना की। इस संस्था का उद्देश्य महिलाओं में राजनैतिक चेतना व राष्ट्रीय भावनाओं का विकास करना था। इस मंडल के संचालन में कमला श्रोत्रिय (दयाशंकर श्रोत्रिय की पत्नी) का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस मंडल के द्वारा प्रशिक्षण शिविर आयोजित किये जाते थे, जिसके तहत् ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं में राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न की जाती थी ।
 

मारवाड़ लोक परिषद

 
1938 ई. में सुभाष चन्द्र बोस की प्रेरणा से जयनारायण व्यास, सर्राफ आनंदराज सुराणा आदि ने जोधपुर में मारवाड़ लोक परिषद् की स्थापना की इस परिषद का उद्देश्य महाराजा की छत्रछाया में उत्तरदायी शासन की स्थापना करना था। 1938 ई. के बाद जोधपुर राज्य में राजनैतिक गतिविधियों का संचालन मारवाड़ लोक परिषद के बैनर तले हुआ।
 

मित्र मण्डल

 
बिजौलिया के किसानों में जागृति उत्पन्न करने एवं उनके हितों के संरक्षण के लिए साधु सीताराम दास ने मित्र मण्डल नामक संगठन की स्थापना की। ब्रह्मदेव दाधीच, फतेहकरण चारण, मगनलाल बीलू, भंवरलाल स्वर्णकार, घीसालाल चित्तौड़ा आदि इस संगठन के कार्यकर्त्ता थे, जो जागीरदारों की निरंकुशता तथा अत्याचारों का विरोध करते और किसानों को संगठित करते ।
 

आजाद मोर्चा जयपुर

 
1940 ई. में हीरालाल शास्त्री, जयपुर प्रजामण्डल के अध्यक्ष बने। हीरालाल शास्त्री व जयपुर के प्रधानमंत्री सर मिर्जा इस्माइल के मध्य 1942 ई. में जेंटलमेंस एग्रीमेंट हुआ, जिसके तहत् हीरालाल शास्त्री ने 1942 ई. में हो रहे भारत छोड़ो आंदोलन के तहत् जयपुर में आंदोलन प्रारम्भ करने का विचार त्याग दिया अत: जयपुर राज्य में भारत छोड़ो आंदोलन करने या न करने को लेकर जयपुर प्रजामण्डल के कुछ कार्यकर्ता अलग हो गये। जयपुर प्रजामंडल का एक वर्ग जिसमें बाबा हरिश्चंद्र, रामकरण जोशी, हंस डी. राय, दौलतमल भंडारी, गुलाब चंद कासलीवाल आदि शामिल थे, शास्त्री जी से सहमत नहीं था। इस गुट ने 14-15 सितम्बर, 1942 ई. को बाबा हरिश्चन्द्र के नेतृत्व में जयपुर में ‘आजाद मोर्चा’ का गठन किया तथा शास्त्री जी के द्वारा अपनाई गई, समझौतावादी नीति के विरुद्ध आंदोलन शुरू कर दिया। आजाद मोर्चा ने 1942 ई. में आंदोलन चलाकर गाँधीजी का करो या मरो का नारा आम-जन तक पहुँचाया। 1945 ई. में पं. जवाहर लाल नेहरू की प्रेरणा से आजाद मोर्चा का पुनः जयपुर प्रजामण्डल में विलय हो गया।

अभ्यास प्रश्न

 
1. स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान निम्न में से कौन सी महिला जेल नहीं गई?
 
(a) अंजना देवी
 
(b) नारायणी देवी
 
(c) रत्ना शास्त्री
 
(d) काली बाई
 
Answer – (d)
 
2. श्रीमती रमा देवी राजस्थान के किस किसान आंदोलन से सम्बद्ध रही ?
 
(a) बेगूं
 
(b) बिजौलिया
 
(c) बरड़ 
 
(d) बीकानेर
 
Answer –   (b)
 
3. अपूर्वी चंदेला और ओम प्रकाश मिथरवाल का संबंध है ?
 
(a) निशानेबाजी
 
(b) तीरंदाजी
 
(c) बॉक्सिंग
 
(d) नौकायन
 
Answer –  (a)
4. ‘रूठी रानी’ के नाम से कौन प्रसिद्ध है?
(a) उमादे
 
(b) रूपादे
 
(c) हंसा बाई
 
(d) जोधा बाई
 
Answer – (a)
5. उदयपुर की गौरवी……………. के क्षेत्र की रिकॉर्ड हॉल्डर है ?
(a) गायन
 
(b) तैराकी
 
(c) शूटिंग
 
(d) स्टेज एक्टिंग
 
Answer – (b)
6. मेवाड़ प्रजामण्डल आंदोलन से संबंधित महिला कौन है ?
(a) लक्ष्मी वर्मा
 
(b) कृष्णा कुमारी
 
(c) नारायणी देवी वर्मा 
 
(d) चन्द्रावती
 
Answer –  (c)
 
7. कांग्रेस ने किस अधिवेशन में देशी राज्यों में स्वतंत्रता संघर्ष प्रारम्भ करना स्वीकार किया –
(a) सूरत अधिवेश 1907
 
(b) लखनऊ अधिवेशन 1916
 
(c) लाहौर अधिवेशन 1929
 
(d) हरिपुरा अधिवेशन 1938
 
Answer – (d)
 
8. निम्न में से किसके द्वारा ‘वीर भारत सभा’ का गठन किया था?
(a) केसरी सिंह बारहठ
 
(b) रामनारायण चौधरी 
 
(c) माणिक्यलाल वर्मा
 
(d) प्रतापसिंह बारठ
 
Answer – (a)
 
9. ‘मत्स्य संघ’ का ‘वृहत राजस्थान’ में कब विलय किया गया था?
(a) 18 अप्रैल, 1948
 
(b) 30 मार्च, 1949
 
(c) 15 मई, 1949
 
(d) 18 मार्च, 1948
 
Answer –  (c)
 
10. निम्नलिखित में से कौन ‘बीकानेर षड्यंत्र मुकदमा’ से सम्बद्ध नहीं था?
(a) स्वामी गोपालदास
 
(b) सत्यनारायण सर्राफ
 
(c) बद्री प्रसाद
 
(d) रघुवर दयाल गोयल
 
Answer – (d)
 11. निम्नलिखित में से कौनसा एक मंदिर गुर्जर प्रतिहार शैली का माना जाता है ?
(a) सोमेश्वर मंदिर (किराडू)
 
(b) समाद्धिश्वर मंदिर (चित्तौड़ दुर्ग )
 
(c) चौमुखा जैन मंदिर (रणकपुर)
 
(d) जगत शिरोमणि मंदिर (आमेर)
 
Answer – (a)
12. निम्नलिखित में से कौनसा समाचार-पत्र 1920 में विजयसिंह पथिक ने वर्धा से प्रकाशित किया था-
(a) राजस्थान केसरी
 
(b) नवीन राजस्थान
 
(c) नवजीवन
 
(d) तरूण राजस्थान
 
Answer –  (a)
 
13. निम्न में से कौन महन्त प्यारेलाल हत्याकाण्ड से संबंध नहीं था-
(a) ठाकुर केसरीसिंह बारहठ
 
(b) रामकरण
 
(c) सोमदत्त लहरी
 
(d) मोहनलाल जालोरी
 
Answer –  (d)
14. राजस्थान राज्य के किस अन्तर्राष्ट्रीय निशानेबाज को 2016 का अर्जुन पुरस्कार दिया गया ?
(a) करणसिंह
 
(b) कर्नल राज्यवर्धन सिंह
 
(c) अपूर्वी चन्देला
 
(d) परमजीत सिंह
 
Answer –  (c)
15. सन् 1947 ई. में वीरबाला कालीबाई किस घटना में शहीद हुई थी –
(a) रास्तापाल काण्ड में
 
(b) पुनवाड़ा काण्ड में
 
(c) डाबरा काण्ड में
 
(d) काब्जा काण्ड में
 
Answer – (a) 
16. कालीबाई भील निवासी थी-
 
(a) खैरवाड़ा
 
(b) कल्याणपुर
 
(c) बिच्छीवाड़ा
 
(d) रास्तापाल
 
Answer –  (d) 
17. नारायणी देवी वर्मा किस वर्ष ‘राज्य सभा’ की सदस्य बन गई थी ?
(a) 1952
 
(b) 1960
 
(c) 1970
 
(d) 1980
 
Answer –  (c)
18. पन्नाधाय ने जिसके जीवन को बचाया, वह था-
(a) सांगा
 
(b) रतनसिंह
 
(c) प्रताप
 
(d) उदयसिंह
 
Answer – (d)
19. राजस्थान के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गिरफ्तार होने वाली राजस्थान की पहली महिला थी-
(a) नगेन्द्र बाला
 
(b) अन्जनादेवी चौधरी
 
(c) रत्न शास्त्री
 
(d) रमादेवी पाण्डे
 
Answer –  (b)
20. निम्न में से कौनसा कथन नारायणी देवी वर्मा के संदर्भ में गलत है ?
(a) वह 1970 से 1976 तक राज्यसभा की सदस्या रही।
 
(b) उसने 1944 में भीलवाड़ा में महिला आश्रम की स्थापना की।
 
(c) वह 1957 से 1962 तक लोकसभ की सदस्या रही |
 
(d) उन्हें 1942 के आंदोलन में भाग लेने के लिए जेल जाना पड़ा
 
Answer – (c)
21. राष्ट्रमंडल खेलों (2010) में कृष्णा पूनियां ने किस क्रीडा में कीर्तिमान स्थापित किया ?
(a) टेनिस
 
(b) बैडमिन्टन
 
(c) चक्राफेंक
 
(d) दौड़
 
Answer –  (c)
22. कौन-सी भील महिला राजस्थान की स्वतन्त्रता सेनानी थी ?
(a) कालीबाई
 
(b) नगेन्द्र बाला
 
(c) मनोरमा पण्डित
 
(d) दुर्गावती देवी
 
Answer –  (a)
23. राजस्थान सेवा संघ ने राजनीतिक जागरण के लिए अजमेर से किस साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन आरम्भ किया था ?
(a) नवीन राजस्थान 
 
(b) यंग राजस्थान
 
(c) राजस्थान केसरी
 
(d) त्यागभूमि
 
Answer – (a)
24. ‘मारवाड़ हितकारिणी सभा’ का गठन किसने किया था ?
(a) माणिक्यलाल वर्मा 
 
(b) विजयसिंह पथिक
 
(c) चांदमल सुराणा
 
(d) अभयमल जैन
 
Answer – (c)
25. राजस्थान की प्रथम महिला विधायक थीं –
 
(a) सुमित्रा सिंह
 
(b) यशोदा देवी
 
(c) कमला बेनीवाल
 
(d) नगेन्द्र बाला
 
Answer – (b)
26. निम्नलिखित में से शेखावाटी की किस महिला ने किसान आंदोलन का नेतृत्व किया-
(a) काली देवी
 
(b) किशोरी देवी
 
(d) कस्तूरी देवी
 
(c) कल्याणी देवी
 
Answer – (b)
27. कालीबाई जिसने डूंगरपुर पुलिस के हाथों अपने अध्यापक को बचाने में अपनी जिन्दगी दे दी, वह कहाँ की रहने वाली थी-
(a) सागवाड़ा
 
(b) डूंगरपुर
 
(c) रास्तापाल
 
(d) सीमलवाड़ा
 
Answer -(c)
28. उदयसिंह के साथ चित्तौड छोड़ने के पश्चात पन्ना को किस स्थान पर आश्रय प्राप्त हो सका-
(a) देलवाड़ा
 
(b) डूंगरपुर
 
(c) कुंभलगढ़
 
(d) देवलिया
 
Answer – (c)
29. रूपाधाय का संबंध जोधपुर के किस महाराजा से है –
(a) अजीत सिंह
 
(b) जसवंत सिंह
 
(c) उदय सिंह
 
(d) मानसिंह
 
Answer – (b)
30. शेखावाटी में ग्राम कटराथल में अप्रैल 1934 ई. में किसके नेतृत्व में हजारों जाट महिलाओं ने किसान आंदोलन में भाग लिया
(a) नारायणी देवी
 
(b) किशोरी देवी
 
(c) दुर्गावती देवी
 
(d) अमृता देवी
 
Answer – (b)
31. 1919 ई. ‘राजस्थान सेवा संघ’ की स्थापना कहाँ हुई –
(a) वर्धा में
 
(b) अजमेर में
 
(c) जोधपुर में
 
(d) ब्यावर में
 
Answer – (a)
32. ‘राजपूताना मध्य भारत सभा’ नामक राजनीतिक संस्था की स्थापना कहाँ हुई –
(a) दिल्ली में
 
(b) जयपुर में
 
(c) इंदौर में
 
(d) जोधपुर मे
 
Answer – (a)
33. राजस्थान में स्वतंत्रता आंदोलन के समय कौनसा शहर पत्रकारिता का प्रमुख केन्द्र था –
(a) जयपुर
 
(b) जोधपुर
 
(c) अजमेर
 
(d) उदयपुर
 
Answer – (c)
34. ‘नवीन राजस्थान’ के प्रकाशक थे-
(a) विजयसिंह पथिक
 
(b) केसरीसिंह बारहठ
 
(c) माणिक्यलाल वर्मा
 
(d) हरिभाउ उपाध्याय
 
Answer – (a)
35. राजस्थान के लौह पुरुष माने जाते है- (role of political institutions)
(a) मोहनलाल सुखाड़िया
 
(b) माणिक्यलाल वर्मा
 
(c) दामोदरलाल व्यास
 
(d) जयनारायण व्यास
36. “राजस्थान जाट क्षेत्रीय सभा” बनाई गयी –
(role of political institutions)
(a) 1923 में
 
(b) 1931 में
 
(c) 1946 में
 
(d) 1947 में
 
Answer – (b)
37. “अखिल भारतीय राज्य लोक परिषद् ” का प्रथम अधिवेशन हुआ-
(role of political institutions)
(a) बंबई में (b) कलकत्ता में (c) जयपुर में (d) दिल्ली में
 
Answer -(a)
38. ‘तरुण राजस्थान’ समाचार-पत्र के व्यवस्थापक थे –
(role of political institutions)
(a) जयनारायण व्यास
 
(c) मणिलाल कोठारी
 
(b) अर्जुनलाल सेठी
 
(d) सागरमल
 
Answer – (a)
 
39. ‘ मरूधर मित्र हितकारिणी सभा ‘ को ‘मारवाड़ हितकारिणी सभा’ के रूप में परिवर्तित करने का श्रेय किसे दिया जाता हैं ?
(role of political institutions)
 
(a) रामनारायण चौधरी
 
(b) चाँदमल सुराणा
 
(c) जयनारायण व्यास
 
(d) साधु सीताराम दास
 
Answer – (c)
40. निम्न में से कौन राजस्थान में ‘ अभिनव भारत ‘ नामक क्रांतिकारी संगठन का कार्यकर्ता नहीं था ?
(role of political institutions)
(a) अर्जुनलाल सेठी
 
(b) मोतीलाल तेजावत
 
(c) केसरीसिंह बारहठ
 
(d) गोपालसिंह खरवा
 
Answer – (b)
41. ‘राजस्थान हरिजन सेवा संघ’ की स्थापना कब हुई ?
(role of political institutions)
(a) 1934
 
(b) 1938
 
(c) 1940
 
(d) 1942
 
Answer – (a)
42. भारत की स्वतंत्रता से लगभग 40 वर्ष पूर्व वर्द्धमान विद्यालय जयपुर के प्रशस्तकार एवं इसकी स्थापना के उद्देश्य थे ?
(role of political institutions)
(a) दामोदरदास राठी एवं लड़कियों को शिक्षित करना।
 
(b) अर्जुन लाल सेठी एवं क्रांतिकारी नौजवान तैयार करना।
 
(c) विजयसिंह पथिक एवं साक्षरता में विस्तार करना।
 
(d) जोरावर सिंह एवं विद्यार्थियों को अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाना।
 
Answer -(b)
43. 1922 ई. में मास्टर प्यारेलाल गुप्ता ने खेतड़ी ठिकाने के चिड़ावा कस्बे में किस समिति की स्थापना की ?
(role of political institutions)
(a) अमर सेवा समिति
 
(b) ज्ञान ज्योति सेवा समिति
 
(c) आजाद हिन्द समिति
 
(d) आजाद मोर्चा समिति
 
Answer – (a)
 44. निम्न में से कौनसा युग्म सही नहीं है-
(role of political institutions)
(role of political institutions)
समाचार पत्र  –    संस्थापक
 
(a) जन्मभूमि  –  अमृतलाल सेठ
 
(b) हिन्दुस्तान समाचार – माणक चौपड़ा
 
(c) यूनाइटेड प्रेस ऑफ इंडिया – माणक चौपड़ा
 
(d) राजस्थान टाइम्स –  जयनारायण व्यास
 
Answer – (d)
(role of political institutions)
(role of political institutions)
(role of political institutions)
45. जोधपुर में जन्में प्रसिद्ध राष्ट्रवादी कवि जिन्होंने 1945 में दैनिक रियासती नामक समाचार पत्र प्रारम्भ किया ?
(role of political institutions)
(role of political institutions)
(a) सुमनेश जोशी
 
(b) मदन मोहन माथुर
 
(c) जयंत पाटिल
 
(d) केशव चन्द्रसेन
 
Answer -(a)
46. ‘सर्वोदय की बुनियादी’ पुस्तक के रचयिता हैं ?
(role of political institutions)
(a) केसरी सिंह बारहठ
 
(b) गोकुलभाई भट्ट
 
(c) हरिभाऊ उपाध्याय
 
(d) जमनालाल बजाज
47. ‘मेवाड़ का वर्तमान शासन’ पुस्तक के रचयिता हैं?
(role of political institutions)
(a) माणिक्यलाल वर्मा
 
(b) जयनारायण व्यास
 
(c) मोतीलाल तेजावत
 
(d) गोकुलभाई भट्ट
 
Answer -(a)
48. 1929 ई. में मोतीलाल तेजावत को गिरफ्तार कर किस जेल में रखा गया ?
(role of political institutions)
(a) सेन्ट्रल जेल, जोधपुर
 
(b) सेन्ट्रल जेल, उदयपुर 
 
(c) सेन्ट्रल जेल, जयपुर
 
(d) इनमें से कोई नहीं
 
Answer –  (b)
49. 1942 ई. में जयनारायण व्यास द्वारा लिखित पुस्तक का नाम है?
(role of political institutions)
(a) पराधीनता : कारण और उपचार
 
(b) उत्तरदायी शासन के लिए आंदोलन और आंदोलन क्यों?
 
(c) जोधपुर की पीड़ा
 
(d) राजस्थान : आर्थिक कठिनाईयाँ 
 
Answer – (c)
50. ऋषिदत्त मेहता का संबंध किस जिले से है ?
(role of political institutions)
(a) कोटा
 
(b) जयपुर
 
(c) बूँदी
 
(d) टोंक
 
Answer –  (c)
(role of political institutions)
(role of political institutions)
(role of political institutions)
(role of political institutions)
(role of political institutions)
51. प्रसिद्ध उद्योगपति, समाजसेवी व क्रान्तिकारी जिन्होंने अपनी सारी पूँजी देशहित में लगा दी-
(role of political institutions)
 (a) सेठ जयनारायण व्यास
 
(b) सेठ दामोदरदास राठी
 
(c) माणिक्यलाल वर्मा
 
(d) सेठ जमनालाल बजाज
 
Answer – (d) 
52. गाँधीजी के चरणों में अपनी सारी सम्पत्ति किसने अर्पित की थी-
(a) बाबा नृसिंहदास
 
(c) सुमनेश वर्मा
 
(b) सेठ दामोदर दास राठी
 
(d) कोई नहीं
 
Answer –  (a)
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