उत्तरी पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश का उपनाम या अन्य नाम-
1. थार का मरुस्थल या थार का रेगिस्तान Thar Desert
1. थार का मरुस्थल या थार के रेगिस्तान-
➧राजस्थान के उत्तरी पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश को थार का मरुस्थल या थार का रेगिस्तान भी कहते है क्योकी राजस्थान का उत्तरी पश्चिमी मरुस्थल थार के मरुस्थल का भाग माना जाता है। रेगिस्तान का शाब्दिक अर्थ होता है बढ़ते रहना |
➧ थार के मरुस्थल में कुल 142 डेजर्ट ब्लॉक हैं जिनमें से 85 केवल राजस्थान में स्थित है. क्षेत्रफल की दृष्टि से थार का मरुस्थल विश्व का 17 वा बड़ा मरुस्थल है उपोषण कटिबंध क्षेत्र में इसका स्थान नवा है |
➧शुष्क मरुस्थल : थार के मरुस्थल इस भाग में 25 सेंटीमीटर से कम वर्षा होती है इसका विस्तार अंतरराष्ट्रीय सीमा के सहारे हैं बालुका स्तूप के आधार पर इसे भी दो भागों में विभाजित किया गया है.
बालुका स्तूप युक्त क्षेत्र तथा बालुका स्तूप मुक्त क्षेत्र बालुका स्तूप मुक्त क्षेत्र में आकल वुड फॉसिल पार्क स्थित है इसके अलावा लाठी सीरीज तथा थार का घड़ा चंदन नलकूप स्थित है.
अर्द्ध शुष्क मरुस्थल: मरुस्थल किस भाग में 25 से 50 सेंटीमीटर के बीच में वर्षा होती है तथा इसे चार भागों में विभाजित किया गया है
लूनी बेसिन नदी निर्मित मैदान है इसमें जालौर बाड़मेर पाली को शामिल करके गोडवार प्रदेश का जाता है जालौर में जसवंतपुरा की पहाड़ियां हैं तथा बाड़मेर में छप्पन की पहाड़ियां इसी भाग में स्थित है नागौर की उच्च भूमि – समुद्र तल से 500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह भूमि बंजर है क्षेत्र में प्रमुख खारी झीलें सांभर डीडवाना नागौर डेगाना तथा कुचामन स्थित है क्षेत्र में अजमेर से नागौर तक फ्लोराइड युक्त पट्टी है जिसे कूबड़ पट्टी कहा जाता है शेखावटी का अंत प्रवाह क्षेत्र क्षेत्र में सीकर चूरू झुंझुनू आते हैं इन्हें बागड़ प्रदेश भी कहा जाता है क्षेत्र में बरखान बालुका स्तूप ओं की अधिकता है या वर्षा ऋतु में अस्थाई तालाब बनते हैं जिन्हें सरोवर कहा जाता है इस क्षेत्र के कच्चे या पके कुए को जोहड़ तथा नाडा कहते हैं घग्घर प्रदेश का निर्माण सिंधु सतलज तथा घग्गर नदियों के द्वारा किया गया एस क्षेत्र में गंगानगर हनुमानगढ़ को शामिल किया जाता है घग्गर के मैदान को हनुमानगढ़ में नाली या पाट का मैदान कहते हैं
थार के मरुस्थल का विस्तार-
➧थार के मरुस्थल का विस्तार भारत और पाकिस्तान में ही है।
➧थार के मरुस्थल का 85 प्रतिशत भाग भारत में है।
➧थार के मरुस्थल का 15 प्रतिशत भाग ही पाकिस्तान में है।
➧थार का मरुस्थल प्राचीन टेथिस सागर का हिस्सा माना जाता है।
चोलिस्तान-
➧पाकिस्तान में थार के मरुस्थल को चोलिस्तान मरुस्थल के नाम से जाना जाता है।
भारत में थार का मरुस्थल-
➧भारत का सबसे बड़ा मरुस्थल थार का मरुस्थल है।
➧भारत में थार के मरुस्थल का विस्तार गुजरात, राजस्थान, हरियाणा तथा पंजाब राज्यों में है।
➧भारत में थार के मरुस्थल का सर्वाधिक (61.11 प्रतिशत) विस्तार राजस्थान में है।
➧भारत में थार के मरुस्थल का सबसे कम विस्तार गुजरात में है।
विशेष-
सहारा मरुस्थल (अफ्रीका)
मंगोलिया मरुस्थल या गोबी मरुस्थल (चीन)
अटाकामा मरुस्थल (चिली-दक्षिण अमेरिका)
सहारा मरुस्थल (अफ्रीका)-
➧सहारा मरुस्थल विश्व का सबसे बड़ा मरुस्थल है।
➧सहारा मरुस्थल अफ्रीका में स्थित है।
मंगोलिया मरुस्थल या गोबी मरुस्थल (चीन)-
➧मंगोलिया मरुस्थल एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा मरुस्थल है।
➧मंगोलिया मरुस्थल को गोबी मरुस्थल भी कहते है।
➧मंगोलिया मरुस्थल चीन में स्थित है।
अटाकामा मरुस्थल (चिली- दक्षिण अमेरिका)-
➧अटाकामा मरुस्थल विश्व का सबसे शुष्क मरुस्थल है।
➧अटाकामा मरुस्थल दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के चिली देश में स्थित है।
राजस्थान में थार का मरुस्थल-
➧राजस्थान का उत्तरी पश्चिमी भाग थार के मरुस्थल का भाग माना जाता है।
➧थार का मरुस्थल विश्व का सबसे नवीनतम मरुस्थल है।
➧थार का मरुस्थल विश्व में सर्वाधिक जैव विविधता वाला मरुस्थल है।
➧थार का मरुस्थल विश्व में सर्वाधिक आबादी वाला मरुस्थल है।
➧थार का मरुस्थल विश्व में सबसे उपजाऊ मरुस्थल है।
➧थार का मरुस्थल ग्रेट अफ्रीकी पेलियोजोइक मरुस्थल (ग्रेट अफ्रीकी पेलियोआर्कटिक मरुस्थल) का पूर्वी भाग माना जाता है।
➧ थार का मरुस्थल टेथिस महासागर का अवशेष माना जाता है |
➧ टेथिस महासागर के अवशेष के रूप मे यहाँ खारे पानी की झीले पायी जाती है |
➧ टेथिस महासागर के प्रमाण के रूप में जैसलमेर जिले में आकल वुड फोसिल पार्क में 18 करोड़ वर्ष पुरानी 25 समुद्री वनस्पति के जीवाश्म प्राप्त होते है |
➧ थार के मरुस्थल में अवसादी चट्टानों के जमाव के कारण यहाँ कोयला, पेट्रोलियम जीवाश्म और प्राकृतिक गैस की सर्वाधिक संभावनाएं पाई जाती है |
राजस्थान में थार के मरुस्थल की लम्बाई-
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल की कुल लम्बाई 640 किलोमीटर है।
राजस्थान में थार के मरुस्थल की चौड़ाई-
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल की कुल चौड़ाई 350 किलोमीटर है।
राजस्थान में थार के मरुस्थल की कुल जनसंख्या-
➧राजस्थान में राजस्थान की कुल जनसंख्या में से 40 प्रतिशत जनसंख्या थार के मरुस्थल में निवास करती है।
राजस्थान में थार के मरुस्थल में बोई जाने वाली फसलें-
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में मोठ तथा बाजरा जैसी फसलें बोई जाती है।
राजस्थान में थार के मरुस्थल की जलवायु-
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में शुष्क जलवायु पायी जाती है।
राजस्थान में थार के मरुस्थल में बहने वाली प्रमुख नदियां-
काकनी नदी
लूनी नदी (राजस्थान में लूनी नदी थार के मरुस्थल की सबसे बड़ी नदी मानी जाती है।)
काटली नदी
राजस्थान में थार के मरुस्थल का विस्तार-
➧राजस्थान के कुल 13 जिलों में थार का मरुस्थल फेला हुआ है। जैसे-
1. जैसलमेर
2. नागौर
3. जोधपुर
4. गंगानगर
5. हनुमानगढ़
6. चूरू
7. बीकानेर
8. सीकर
9. झुन्झुनू
10. बाड़मेर
11. जालोर
12. पाली
13. सिरोही (राजस्थान में थार के मरुस्थल में जुड़ने वाला नवीनतम जिला सिरोही है।)
राजस्थान में थार के मरुस्थल के प्रमुख जल स्त्रोत (राजस्थान के प्रमुख जल स्त्रोत)-
1. आगोर
2. नाड़ी
3. टोबा
4. बेरी
5. टांके
6. खड़ीन
1. आगोर-
➧आगोर राजस्थान का जल स्त्रोत है।
➧आगोर राजस्थान में मुख्यतः जैसलमेर जिले का जल स्त्रोत है।
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में घरों के आंगन में बनाये जाने वाली पानी की टंकी (टांको या कुण्डी) को आगोर कहते है।
2. नाड़ी-
➧नाड़ी राजस्थान का जल स्त्रोत है।
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में छोटी-छोटी खेळों या पोखरों को नाड़ी कहते है।
3. टोबा-
➧टोबा राजस्थान का जल स्त्रोत है।
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में गहरी-गहरी नाळियों या नाड़ी (होद) को टोबा कहते है।
4. बेरी-
➧बेरी राजस्थान का जल स्त्रोत है।
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में छोटे-छोटे कुओं या कुईयों को बेरी कहते है।
5. टांके-
➧टांके राजस्थान का जल स्त्रोत है।
➧टांके राजस्थान में थार के मरुस्थल में पानी की टंकी को कहते है।
6. खड़ीन-
➧खड़ीन राजस्थान का जल स्त्रोत है।
➧राजस्थान के जैसलमेर जिले में तालाबों का अभाव पाया जाता है इसीलिए वर्षा ऋतु में खेतों में पाल बनाकर पानी को रोका जाता है तथा कृषि की जाती है इसी कृषि को खड़ीन कहते है।
राजस्थान में थार के मरुस्थल के प्रकार या बनावट-
➧राजस्थान में थार की चट्टानों का निर्माण जुरासिक काल तथा इयोसीन काल में हुआ था।
➧बनावट के आधार पर राजस्थान में थार के मरुस्थल को तीन भागों में बाटा जा सकता है।
जैसे-
1. हम्मादा मरुस्थल या हम्मदा मरुस्थल
2. इर्ग
3. रेग
1. हम्मादा मरुस्थल या हम्मदा मरुस्थल-
➧राजस्थान में चट्टानी मरुस्थल को हम्मादा मरुस्थल कहते है।
➧राजस्थान में हम्मादा मरुस्थल के लिए पोकरण (जैसलमेर) प्रसिद्ध है।
➧राजस्थान में सर्वाधिक हम्मादा मरुस्थल जोधपुर में पाया जाता है।
2. इर्ग-
➧राजस्थान में सम्पूर्ण मरुस्थल को इर्ग कहते है।
➧इर्ग के लिए राजस्थान के जैसलमेर तथा बाड़मेर जिले प्रसिद्ध है।
➧राजस्थान में सर्वाधिक इर्ग मरुस्थल जोधपुर में पाया जाता है।
3. रेग-
➧राजस्थान में मिश्रित मरुस्थल को रेग कहते है। अर्थात् राजस्थान में इर्ग तथा हम्मादा मरुस्थल के मिश्रित रूप को रेग कहते है।
➧रेग मरुस्थल के लिए राजस्थान के बीकानेर जिले का कोलायत क्षेत्र प्रसिद्ध है।
➧राजस्थान में सर्वाधिक रेग मरुस्थल जोधपुर में पाया जाता है।
विशेष-
इन्सेलबर्ग-
➧वे चट्टाने जो थार के मरुस्थल में वायु अपरदन के कारण बिलकुल लम्बवत (सिद्धि या किपनुमा) आकृति धारण कर लेती है उन चट्टानों को इन्सेलबर्ग कहते है।
➧इन्सेलबर्ग चट्टाने सर्वाधिक बाड़मेर में पायी जाती है।
राजस्थान में थार के मरुस्थल के प्रसिद्ध धोरे या टिले या टिब्बे या स्तूप-
1. धरियन
2. अनुप्रस्थ बालुका स्तूप
3. अनुदेधर्य बालुका स्तूप
4. पैराबोलिक बालुका स्तूप
5. शब्र काफीज बालुका स्तूप
6. बरखान बालुका स्तूप या बरच्छान बालुका स्तूप
7. तारा बालुका स्तूप
8. नेटवर्क बालुका स्तूप
1. धरियन-
➧राजस्थान के जैसलमेर जिले में रेत के गतिशिल तथा स्थानान्तरित मिट्टी के धोरो या बालुका स्तूपों को धरियन कहा जाता है।
➧धरियन बालुका स्तूप थार के मरुस्थल में सबसे ऊंचे बालुका स्तूप माने जाते है।
➧राजस्थान में धरियन बालुका स्तूपों की औसत ऊंचाई 60 मीटर तक होती है।
2. अनुप्रस्थ बालुका स्तूप-
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में वायु (पवन) की दिशाओं के लम्बवत (समकोण या लहरदार) बनने वाले बालुका स्तूपों को अनुप्रस्थ बालुका स्तूप कहते है।
➧राजस्थान में अनुप्रस्थ बालुका स्तूप सर्वाधिक बीकानेर जिले में बनते है।
➧राजस्थान में बीकानेर के अलावा गंगानगर, हनुमानगढ़ तथा शेखावाटी जिलों में भी अनुप्रस्थ बालुका स्तूप बनते है।
3. अनुदेधर्य बालुका स्तूप-
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में वायु (पवन) की दिशा के समान्तर बनने वाले रेत के टीलों को अनुदेधर्य बालुका स्तूप कहते है।
➧अनुदेधर्य बालुका स्तूप राजस्थान में सबसे चौड़े बालुका स्तूप माने जाते है।
➧अनुदेधर्य बालुका स्तूप की औसत चौड़ाई 100 से 200 मीटर तक होती है।
➧अनुदेधर्य बालुका स्तूप राजस्थान में सर्वाधिक जैसलमेर जिले में पाये जाते है।
➧अनुदेधर्य बालुका स्तूप राजस्थान में जैसलमेर के अलावा बाड़मेर, जोधपुर जिलों में भी पाये जाते है।
अनुदेधर्य बालुका स्तूप के उपनाम या अन्य नाम-
पवनानुवर्ती बालुका स्तूप
रेखीय बालुका स्तूप
पवनानुवर्ती बालुका स्तूप-
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में बनने वाले अनुदेधर्य बालुका स्तूप को पवनानुवर्ती बालुका स्तूप भी कहते है।
रेखीय बालुका स्तूप-
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में बनने वाले अनुदेधर्य बालुका स्तूप को रेखीय बालुका स्तूप भी कहते है।
4. पैराबोलिक बालुका स्तूप-
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में सर्वाधिक पैराबोलिक बालुका स्तूप पाये जाते है।
➧पैराबोलिक बालुका स्तूप की आकृति बालों में डालने वाली पिन (हेयर पिन) की तरह होती है।
➧पैराबोलिक बालुका स्तूप राजस्थान में सर्वाधिक बाड़मेर जिले में पाये जाते है।
➧पैराबोलिक बालुका स्तूप राजस्थान में बाड़मेर के अलावा जैसलमेर तथा जोधपुर जिलों में पाये जाते है।
5. शब्र काफीज बालुका स्तूप-
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में छोटी-छोटी झाड़ीयों के तने के पास पाये जाने या बनने वाले बालुका स्तूपों को शब्र काफीज बालुका स्तूप कहते है।
6. बरखान बालुका स्तूप-
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में पाये जाने वाले सर्वाधिक गतिशिल तथा सर्वाधिक हानी पहुचाने वाले बालुका स्तूपों को बरखान कहते है।
➧बरखान बालुका स्तूप की आकृति अर्धचंद्राकार होती है।
➧राजस्थान में बरखान बालुका स्तूप सर्वाधिक शेखावाटी, बीकानेर, गंगानगर, जैसलमेर तथा हनुमानगढ़ जिलों में पाये जाते है।
7. तारा बालुका स्तूप-
➧तारा बालुका स्तूप की आकृति तारा के समान होती है।
➧तारा बालुका स्तूप राजस्थान में जैसलमेर जिले में पाये जाते है।
8. नेटवर्क बालुका स्तूप-
➧राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले से लेकर हरियाणा के हिसार जिले तक पाये जाने वाले बालुका स्तूपों को नेटवर्क बालूका स्तूप कहते है।
राजस्थान में थार के मरुस्थल की झीलें-
1. पलाया
2. खड़ीन
3. रन या टाट
1. पलाया झील –
➧ पश्चिमी रेतीले मैदान में पाई जाने वाली स्थायी झीलों को पलाया झील कहते है |
2. खड़ीन झील –
➧राजस्थान के जैसलमेर जिले में तालाबों का अभाव पाया जाता है इसीलिए जैसलमेर जिले की पालीवाल ब्राह्मण जाती के लोगो द्वारा वर्षा ऋतु के दौरान बनाई जाने वाली कृत्रिम झीलों को खड़ीन कहते है।
➧खड़ीन झीले राजस्थान में सर्वाधिक पोखरण में पायी जाती है।
➧खड़ीन झीलों की आकृति प्यालेनुमा होती है।
विशेष-
सीकर-
➧राजस्थान के सीकर जिले की आकृति भी प्यालेनुमा है।
तिली या मारहो-
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में वायु अपरदन के कारण कुछ खड्ढे बन जाते है इन्ही खड्ढों को तिली या मारहो या वायुगत या निम्नगत भी कहते है।
2. रन या टाट-
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में वर्षा के दौरान जब इन तिलियों (मारहो) में पानी भर जाता है तथा ये तिलियां (मारहो) अस्थायी झीलों के रूप में लवणीय या दलदली क्षेत्र बन जाता है इसी लवणीय या दलदली क्षेत्र को रट या टाट झीले कहते है।
राजस्थान में थार के मरुस्थल की प्रसिद्ध घासों के नाम-
सेवण घास (लिलोण घास)
धामण घास
तरकुसी घास
अंजन घास
करड़ घास
विशेष-
लिलण-
➧वीर तेजाजी की घोड़ी का नाम लिलण है।
सेवण घास (लिलोण घास)-
➧सेवण घास का उपनाम या अन्य नाम लिलोण घास है।
➧सेवण घास को काटने या सुखने के बाद लिलोण घास कहते है।
रेगिस्तान का मार्च-
➧राजस्थान में थार के मरुस्थल में सर्वाधिक वायु अपरदन होता है तथा वायु अपरदन के कारण थार का मरुस्थल धिरे-धिरे आगे बढ़ता है अर्थात् राजस्थान में थार के मरुस्थल का हवा के साथ धिरे-धिरे आगे बढ़ना ही रेगिस्तान का मार्च कहलाता है।
पोकरण (जैसलमेर, राजस्थान)-
➧भारत का पहला परमाणु परिक्षण 18 मई, 1974 को प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के समय राजस्थान के जैसलमेर जिले के पोकरण नामक जगह पर किया गया था।
➧भारत का दूसरा परमाणु परिक्षण 11 मई 1998 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेय के समय किया गया था।
पीवणा सांप-
➧पीवणा सांप राजस्थान का सबसे जहरीला सांप है।
➧पीवणा सांप राजस्थान में सर्वाधिक जैसलमेर जिले के पोकरण नामक जगह पर पाया जाता है।
लाठी सीरीज (लाठी श्रृंखला)-
➧राजस्थान के जैसलमेर जिले के पोकरण नामक जगह से लेकर मोहनगढ़ नामक जगहों के बीच पायी जाने वाली मीठे पानी की भूगर्भीय जल पट्टी को लाठी सीरीज या लाठी श्रृंखला कहते है।
➧लाठी सीरीज में राजस्थान की सबसे पौष्टिक माने जाने वाली घास सेवण घास सर्वाधिक पायी जाती है।
➧लाठी सीरीज या लाठी श्रृंखला ट्रायासिक काल की मानी जाती है।
विशेष-
लाठी सीरीज या लाठी श्रृंखला-
➧लाठी सीरीज या लाठी श्रृंखला राजस्थान में पायी जाते वाली जल पट्टी है।
लाठी नृत्य-
➧लाठी नृत्य राजस्थान में भीलों का नृत्य है।
सम गांव (जैसलमेर, राजस्थान)-
➧राजस्थान के जैलमेर जिले का सम गांव राजस्थान का एकमात्र ऐसा गांव है जो पूर्णतः वनस्पति रहिुत है।
➧राजस्थान में सर्वाधिक आकाशीय बिजली राजस्थान के जैसलमेर जिले के सम गांव में चमकती है।
➧राजस्थान के जैसलमेर जिले के सम गांव में सर्वाधिक आकाशीय बिजली चमकने के कारण सम गांव को राजस्थान का थंडर बोलट या वज्रपातों की नगरी कहते है।
विशेष-
1. भूटान- विश्व में वज्रपातों का देश भूटान को कहते है।
2. मेघालय (भारत)- भारत में वज्रपातों का राज्य मेघालय को कहते है।
3. सम गांव (जैसलमेर, राजस्थान)- राजस्थान में वज्रपातों की नगरी सम गांव को कहते है।
अकल गांव या आकल गांव (जैसलमेर, राजस्थान)-
➧राजस्थान राज्य के जैसलमेर जिले का अकल गांव या आकल गांव राजस्थान का एकमात्र जीवाश्म पार्क है।
➧राजस्थान के जैसलमेर जिले के अकल गांव से 18 करोड़ साल पूराने 25 लकड़ी के पेड़ मिले है।