पुनर्बलन सिद्धांत
पुनर्बलन सिद्धांत :- (सबलीकरण या प्रबलन / क्रमबद्ध सिद्धांत या चालक न्यूनता / यथार्थ सिद्धांत / उद्दीपक-प्रतिक्रिया सिद्धांत / आवश्यकता की कमी पूर्ति का सिद्धांत ) –
जब कोई बालक क्रिया करता है तो क्रिया के दौरान उसमें जो अनुक्रिया में वृद्धि होती है, उसे ही पुनर्बलन कहते हैं। पुनर्बलन के द्वारा बालक के कार्य करने की क्षमता में वृद्धि की जा सकती है। अध्यापक बालक को समय-समय पर पुनर्बलन देता रहता है। पुनर्बलन को अंग्रेजी में Reinforcement कहते हैं |
सकारात्मक पुनर्बलन
नकारात्मक पुनर्बलन
क्लार्क हल ने इस सिद्धांत का प्रतिपादन 1915 में अपनी पुस्तक ‘प्रिंसिपल ऑफ बिहेवियर’ में किया।
– आवश्यकता की पूर्ति करना इस सिद्धांत का प्रमुख तत्व माना जाता है।
– थॉर्नडाइक के अनुसार उद्दीपक को देखकर अनुक्रिया होती है, लेकिन क्लार्क हल के अनुसार अनुक्रिया उद्दीपक के कारण न होकर आवश्यकता के कारण होती है।
– आवश्यकता की पूर्ति के लिए उठाया गया हर एक सफल प्रयास व्यक्ति को पुनर्बलन देता है तथा व्यक्ति क्रमबद्ध तरीके से व्यवहार करता हुआ आगे बढ़ता है तथा आवश्यकता की पूर्ति करके अपने चालक को शांत करता है।
– क्लार्क हल के अनुसार सीखना आवश्यकता की पूर्ति प्रक्रिया के द्वारा होता है।
– स्कीनर के अनुसार अब तक सीखने के जितने भी सिद्धांत प्रस्तुत किये गये है, उनमें यह सर्वश्रेष्ठ सिद्धांत है।
मिलर एवं डॉलार्ड का प्रयोग (Experiment of Miller & Dollard) –
मिलर एवं डॉलार्ड ने छः वर्ष की एक लड़की पर प्रयोग किया जब लड़की भूखी थी तो उसे बताया गया की किताबों की अलमारी में एक किताब के नीचे कैंडी छिपी हुई है। लड़की कैंडी को पाने के लिए किताबों को बाहर निकालना शुरू कर देती है। और लगभग 210 सेकंड के बाद वह सही किताब पा लेती जिसके नीचे कैंडी छुपी है। इसके पश्चात उसे कमरे से बाहर भेज दिया जाता है। और उसी किताब के नीचे एक अन्य कैंडी को छिपा दिया जाता है। इस बार वह लड़की कैंडी को 86 सेकंड में ही ढूंढ लेती है | इस प्रयोग को बार – बार दोहरा ने पर नौवें पुनरावृत्ति पर वह लड़की तुरंत 2 सेकंड में ही उस कैंडी उस पा लेती है। कैंडी को पाना लड़की के लिए चालक (Drive) का प्रदर्शन है और पुस्तकों के नीचे कैंडी को ढूँढना उस चालक को कम करने के लिए की गयी अनुक्रिया (Response) है। अंततः सही पुस्तक मिलने पर उसे अनुक्रिया के लिए पुरस्कार मिला जिसके कारण उसकी आदत बना गई।
क्लार्क एल हल के अनुसार – यदि थार्नडाइक के प्रयोग में भूखी बिल्ली को भोजन दे दिया जाए। तो वह उछल कूद करना बंद कर देती है। तथा उस पर बाह्य उद्दीपक का प्रभाव नहीं पड़ता है। बिल्ली की आवश्यकता भोजन को बिल्ली के लिए चालक है। इसकी पूर्ति होते ही बिल्ली का अधिगम करना बंद हो जाता है। क्लार्क एल हल ने उद्दीपक के बजाय आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि कोई भी जीव अपनी आवश्यकता पूरी करने के लिए जो क्रिया करता है। वह उसे आसानी से सीख लेता है।
पुनर्बलन सिद्धांत का शैक्षिक महत्व (Educational importance of reinforcement theory)
1. यह सिद्धांत बालको में अधिगम के लिए प्रेरणा पर बल देता है।
2. इस सिद्धांत के अनुसार पाठ्यक्रम का निर्माण बालको की आवश्यकता के अनुसार करना चाहिए।
3. बालको की क्रिया तथा आवश्यकता में मध्य सम्बन्ध होना चाहिए।
4. अधिगम बालको की आवश्यकता की पूर्ति करने वाला होना चाहिए।
नोट :- स्किनर ने इसे आदर्श एवं सर्वश्रेष्ठ अधिगम सिद्धांत (Ideal and most elegant theory) कहा है।
- प्राथमिक और
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द्वितीयक प्रबलनहल ने दो प्रकार के प्रबलन बताये हैं जो विभिन्न अवस्थाओं में दृष्टिगोचर होते हैं। भोजन, भूख के चालक को प्रबल बनाता है। यह अवस्था प्राथमिक प्रबलन की है।भूख उस समय तक शांत नहीं होती जब तक की भोजन नहीं खा लिया जाता है। अतः भोजन करने से पहले भूख रूपी चालक एक बार फिर प्रबल बन जाता है जिसे द्वितीयक प्रबलन कहा जाता है।
प्रतिस्थापन सिद्धांत
– प्रतिस्थापन सिद्धांत :- गुथरी
– इस सिद्धांत के अनुसार अधिगम जन्मजात व अर्जित अनुक्रियाओं को एक-दूसरे अथवा प्रतिस्थापित क्षेत्रों की ओर विस्तारित करने की क्रिया है।