अभिवृद्धि और विकास में अंतर 

विकास की विभिन्न अवस्थाओं में बालक होने वाले परिवर्तनों में गति और मात्रा में अंतर पाया जाता है यह परिवर्तन अभिवृत्ति सूचक और विकास सूचक दोनों प्रकार के होते हैं अतः वृद्धि और विकास के अर्थ और उनके अंतर को समझना आवश्यक है –
अभिवृद्धि और विकास के अंतर को अग्र प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है –

1- अभिवृद्धि मात्रात्मक परिवर्तन का प्रतीक है। व्यक्ति के कद, आकार, ऊंचाई आदि में होने वाले परिवर्तनों को अभिवृद्धि कहा जाता है। विकास में मात्रात्मक परिवर्तन के साथ-साथ विकासात्मक परिवर्तन भी सम्मिलित है। व्यक्तित्व के सभी पक्षों में उन्नति के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

2- अभिवृद्धि की प्रक्रिया जीवन पर्यंत चलकर एक निश्चित आयु पर जाकर रुक जाती है। अर्थात शारीरिक परिपक्वता ग्रहण करने के बाद अभिवृत्ति रुक जाती है।

विकास की प्रक्रिया एक सतत प्रक्रिया है जो जन्म से मृत्यु तक निरंतर चलती रहती है शारीरिक परिपक्वता ग्रहण करने के बाद भी यह प्रक्रिया चलती रहती है।

3- अभिवृद्धि की प्रक्रिया के फल स्वरुप मनुष्य में होने वाले परिवर्तनों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है उनको मापा वह तोला भी जा सकता है। विकास कार्य क्षमता-कार्यकुशलता और व्यवहार में होने वाले गुणात्मक परिवर्तनों को व्यक्त करता है। अतः इनको प्रत्यक्ष रूप से मापा नहीं जा सकता लेकिन इनका अनुभव किया जाता है और इनका निरीक्षण किया जा सकता है।

4- अभिवृद्धि की प्रक्रिया विकास की प्रक्रिया का एक अंशमात्र है। अभिवृद्धि शब्द अत्यंत सीमित अर्थ लिए हुए हैं।

विकास शब्द अत्यंत व्यापक है। यह व्यक्ति के संपूर्ण विकास से संबंधित है। अभिवृत्ति विकास प्रक्रिया की एक उपक्रिया  कही जा सकती है।

5- हरलॉक (Hurlock) ने अभिवृद्धि और विकास के विषय में कहा है “विकास अभिवृत्ति तक ही सीमित नहीं है। अभिवृद्धि की अपेक्षा इसमें प्रोडक्ट्स ताकि लक्ष्य की ओर परिवर्तनों का प्रगतिशील क्रम निहित रहता है विकास के फल स्वरुप व्यक्ति में नवीन विशेषताएं और जीवन योग्यताएं प्रकट होती है।”

6- विकास के अंतर्गत मानव के संपूर्ण पक्षों में विकासात्मक परिवर्तन होता है

जबकि अभिवृद्धि में संपूर्ण पक्षों में से केवल शारीरिक पक्षों में  परिवर्तन होता है

7-विकास एक बहुपक्षीय प्रक्रिया है।

जबकि अभिवृद्धि एकल प्रक्रिया है।

8- विकास का संबंध केवल मानव की कार्यक्षमता से है।

जबकि अभिवृत्ति का संबंध शारीरिक बनावट लंबाई-चौड़ाई ,आकार, भार आदि से है।

9-विकास का अर्थ व्यापक होता है।

जबकि अभिवृद्धि का अर्थ संकुचित होता है

10- विकास का सीधा मापन संभव नहीं है यह परिमाणात्मक वह गुणात्मक होता है।

जबकि अभिवृद्धि संख्यात्मक,परिमाणात्मक, मात्रात्मक होता है और इसका मापन आसानी से किया जा सकता है।

11- विकास के अंतर्गत अभिवृद्धि को शामिल किया जा सकता है

जबकि अभिवृत्ति के अंतर्गत विकास सम्मिलित नहीं होता है।

12- विकास का स्वरूप आंतरिक व बाह्य दोनों प्रकार का होता है ।

जबकि अभिवृत्ति का स्वरूप केवल बाहरी होता है।

13- विकास में रचनात्मक व विकासात्मक दोनों परिवर्तन देखने को मिलते हैं

और अभिवृद्धि में केवल रचनात्मक परिवर्तन होते हैं।

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