राजस्थान के भौतिक प्रदेश या भौगोलिक प्रदेश
👉 प्रो. वी.सी. मिश्रा-
✍ राजस्थान के भौतिक प्रदेशों का सर्वप्रथम निर्धारण सन् 1968 में प्रो. वी.सी. मिश्रा ने किया था।
✍ प्रो. वी.सी. मिश्रा ने अपनी स्वयं कि पुस्तक “राजस्थान का भूगोल” में राजस्थान को धरातलीय एवं जलवायु की दृष्टि से 4 भागो में बाटा है। जैसे-
👉 चारों भौतिक/ भौगोलिक प्रदेशों का निर्माण क्रम-
1. अरावली पर्वतमाला
2. दक्षिणी पूर्वी पठार
3. पूर्वी मैदान
4. थार का मरुस्थल
👉 अरावली पर्वतमाला-
✍ राजस्थान के इन चारो भौतिक प्रदेशों में से सर्वप्रथम अरावली पर्वतमाला का निर्माण हुआ था।
👉 थार का मरुस्थल-
✍ राजस्थान के इन चारो भौतिक प्रदेशों में से सबसे अन्त में थार के मरुस्थल का निर्माण हुआ था।
👉 अंगारा लैंड-
✍ राजस्थान तथा भारत में अंगारा लैंड के कोई भी अवशेष नहीं पाये जाते है।
👉 वेगनर सिद्धांत-
✍ वेगनर सिद्धांत को महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत भी कहा जाता है।
✍ जर्मनी के प्रसिद्ध भू-वैज्ञानिक अल्फ्रेड वेगनर ने महाद्वीपो की उत्पती से संबंधित एक सिद्धांत दिया था जिस वेगनर सिद्धांत कहा जाता है।
✍ वेगनर सिद्धांत के अनुसार विश्व के सातो महाद्वीपो की उत्पती बतायी गई थी।
✍ स्थित- भारत
✍ लम्बाई- 692 किलोमीटर
✍ औसत ऊंचाई- 930 मीटर
✍ निर्माण/ उत्पती- अरावली का निर्माण 65 करोड़ वर्ष पहले प्री-केम्ब्रियन (पेलियोजोइक) काल या धारवाड़ काल में हुआ था।
✍ अरावली पर्वतमाला विश्व की सबसे प्राचीनतम पर्वतमाला है।
👉 शाब्दिक अर्थ-
✍ अरावली का शाब्दिक अर्थ- पक्तियों की माला है।
👉 हिमालय पर्वतमाला-
✍ यह विश्व की सबसे ऊंची तथा सबसे नवीनतम पर्वतमाला है।
👉 एण्डीज पर्वतमाला-
✍ स्थित- दक्षिणी अमेरिका
✍ लम्बाई- 7200 किलोमीटर
✍ सबसे ऊंची चोटी- एकांकागुआ
✍ यह विश्व की सबसे लम्बी पर्वतमाला है।
👉 भारत में अरावली पर्वतमाला-
✍ स्थित- 4 राज्यों में
✍ लम्बाई- 692 किलोमीटर है।
✍ शुरुआत-भारत में अरावली की वास्तविक शुरुआत अरब सागर में स्थित लक्ष द्वीप के मिनिकाय द्वीप से होती है। इसीलिए लक्षद्वीप या अरब सागर को अरावली का पिता कहते है।
✍ धरातलीय या जमीनी रूप से भारत में अरावली की शुरुआत गुजरात की खेड़ब्रह्मा नामक जगह से होती है तथा अन्त दिल्ली में रायसीना पहाड़ी पर होता है इस दौरान अरावली भारत के कुल चार राज्यों में से होकर गुजरती है। जैसे-
1. गुजरात
2. राजस्थान
3. हरियाणा
4. दिल्ली
👉 राजस्थान में अरावली पर्वतमाला-
✍ लम्बाई- 550 किलोमीटर (80%)
✍ आकृति- कर्णवत
✍ जलवायु- उपआर्द्र जलवायु
✍ मिट्टी- काली, भूरी लाल व कंकरीली मिट्टी
✍ वर्षा- 50-90 सेमी
✍ क्षेत्रफल- राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 9%
✍ जनसंख्या- राजस्थान की कुल जनसंख्या का लगभग 10%
✍ शुरुआत- सिरोही जिले की माउण्ट आबू नामक जगह से होती है।
✍ अन्त- झुन्झुनू जिले की खेतड़ी जगह के पास बबाई की पहाड़ीयों में होती है।
✍ विस्तार- कुल 13 जिलों में जैसे-
1. उदयपुर
2. चित्तौड़गढ़
3. राजसमंद
4. डूँगरपुर
5. प्रतापगढ़
6. भीलवाड़ा
7. सीकर
8. झुन्झुनू
9. अजमेर
10. सिरोही
11. अलवर
12. पाली
13. जयपुर
✍ भाग- 3 जैसे
1. उत्तरी अरावली-
2. मध्य अरावली-
3. दक्षिणी अरावली-
चोटी का नाम – ऊंचाई – जिला
गुरुशिखर – 1722 m. – सिरोही (अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर)
सेर – 1597 m. – सिरोही
दिलवाड़ा – 1442 m. – सिरोही (इसी पर्वत पर प्रसिद्ध जैन मंदिर स्थित हैं)
जरगा – 1431 m. – उदयपुर
अचलगढ़ – 1380 m. – सिरोही
आबू – 1295 m. – सिरोही
कुम्भलगढ़ – 1224 m. – राजसमंद
जेलिया डूंगर – 1197 m. – उदयपुर
घोनिया डूंगर – 1183 m. – सिरोही
जयराज की पहाड़ी – 1090 m. – सिरोही
रघुनाथगढ़ – 1055 m – सीकर (उतरी अरावली का सर्वोच्च शिखर)
अरावली की सर्वोच्च चोटियां याद रखने के लिए शार्ट ट्रिक्स
“गुरू से दिल लगाकर जरा आशा को बनाये रखो तारा भैरु बाबा”
- गुरू – गुरू शिखर (सिरोही)
- से – सेर (सिरोही)
- दिल – दिलवाड़ा (सिरोही)
- जरा – जरगा (उदयपुर)
- आशा – अचलगढ़ (सिरोही)
- को – कुम्भलगढ़ (राजसमंद)
- र – रघुनाथगढ़ (सीकर)
- खो – खो -नागोरियन (जयपुर)
- तारा – तारागढ़ (अजमेर)
- भैराच – भैराच (अलवर)
- बा – बबाई (झुन्झुनू)
- बा – बैराठ (जयपुर)
महत्त्वपूर्ण बिन्दु –
- अरावली पर्वतमाला की सर्वाधिक ऊँचाई ओर विस्तार द. प. में पाया जाता है |
- अरावली पर्वतमाला का सर्वाधिक विस्तार उदयपुर जिले में ओर सबसे कम विस्तार अजमेर जिले में पाया जाता है |
- अरावली पर्वतमाला की सर्वाधिक ऊँचाई सिरोही जिले में पाई जाती है |
- अरावली पर्वतमाला की औसत ऊँचाई 930 मीटर है |
- मध्य अरावली की सबसे ऊंची चोटी तारागढ़ (अजमेर) 873 मीटर है |
- उत्तरी अरावली की सबसे ऊंची चोटी रघुनाथगढ़ सीकर (1055 मीटर) है |
- अरावली पर्वतमाला के सहारे – सहारे भारतीय महान जल विभाजक रेखा गुजरती है इसलिए अरावली जल विभाजक का काम करती है |
- अरावली के पूर्व से निकलने वाली नदियां बंगाल की खाड़ी में और पश्चिम से निकलने वाली नदियां अरब सागर में गिरती है |
- अरावली पर्वतमाला से राजस्थान में सर्वाधिक नदियों का उद्गम होता है |
- अरावली पर्वतमाला पश्चिमी रेतीले मैदान को पूर्व में बढ़ने से रोकती है |
- वर्तमान में राजस्थान में सर्वाधिक खनिज अरावली पर्वतमाला में पाए जाते है | इसलिए अरावली पर्वतमाला को खनिजों का अजायबघर कहते है |
- अरावली पर्वतमाला बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी पवनों से वर्षा कराने में सहायक है | जबकि कच्छ की खाड़ी से आने वाली मानसूनी पवने अरावली पर्वतमाला के समानांतर सीधी निकल जाती है |
- अरावली पर्वतमाला गौण्डवाना लैण्ड का हिस्सा है |
- अरावली पर्वतमाला के दक्षिणी भागों में भील, मीणा, गरासिया, डामोर, कथोड़ी जैसी जन जातियाँ पायी जाती है | ये लोग पर्वतीय क्षेत्रों में स्थानांतरित कृषि करते है जिसे ‘ वालरा ‘ या चिमाता कहा जाता है |
- नोट – वालरा कृषि – पहाड़ी ढलानों पर की जाती है | और चिमता कृषि – पहाड़ों के ऊपरी भागों में की जाती है |
- मैदानी भागों में की जाने वाली स्थानांतरित कृषि को ‘ दजिया ‘ कहा जाता है |
- अरावली पर्वतीय प्रदेशों में पाए जाने वाले दर्रों को नाल कहते है |