राजस्थान की जलवायु

उत्तर-पश्चिमी भारत में राजस्थान का जलवायु आम तौर पर शुष्क या अर्ध-शुष्क है और वर्ष भर में काफी गर्म तापमान रहता है, साथ ही गर्मी और सर्दियों दोनों में चरम तापमान होते हैं। भारत का यह राज्य राजस्थान उत्तरी अक्षांश एवं पूर्वी देशांतर पर स्थित है। उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाने वाली रेखाएं देशांतर रेखाएं तथा देशांतर रेखाओं के अक्षीय कोण अथवा पृथ्वी के मानचित्र में पश्चिम से पूर्व अथवा भूमध्य रेखा के समानांतर रेखाएं खींची जाती हैं उन्हें अक्षांश रेखाएं कहा जाता है। राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार 23°3 उत्तरी अक्षांश से 30°12 उत्तरी अक्षांश तक है तथा देशांतरीय विस्तार 60°30 पूर्वी देशांतर से 78°19 पूर्वी देशांतर तक है।

कर्क रेखा राजस्थान के दक्षिण अर्थात बांसवाड़ा जिले के मध्य (कुशलगढ़) से होकर गुजरती है इसलिए हर साल 12 जून को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले पर सूर्य सीधा चमकता है। राज्य का सबसे गर्म जिला चुरु जबकि राज्य का सबसे गर्म स्थल जोधपुर जिले में स्थित फलोदी है। इसी प्रकार राज्य में गर्मियों में सबसे ठंडा स्थल सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू है इसलिए माउंट आबू को राजस्थान का शिमला कहा जाता है। पृथ्वी के धरातल से क्षोभ मंडल में जैसे-जैसे ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं तापमान कम होता है तथा प्रति 165 मीटर की ऊंचाई पर तापमान 1 डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है। राजस्थान का गर्मियों में सर्वाधिक दैनिक तापांतर वाला जिला जैसलमेर है जबकि राज्य में गर्मियों में सबसे ज्यादा धूल भरी आंधियां श्रीगंगानगर जिले में चलती है राज्य में विशेषकर पश्चिमी रेगिस्तान में चलने वाली गर्म हवाओं को लू कहा जाता है।

राजस्थान में गर्मियों में स्थानीय चक्रवात के कारण जो धूल भरे बवंडर बनते हैं उन्हें भभुल्या कहा जाता है गर्मियों में राज्य के दक्षिण पश्चिम तथा दक्षिणी भागों में अरब सागर में चक्रवात के कारण तेज हवाओं के साथ चक्रवाती वर्षा भी होती है राजस्थान के पश्चिमी रेगिस्तान में गर्मियों में निम्न वायुदाब की स्थिति उत्पन्न होती है फलस्वरूप महासागरीय उच्च वायुदाब की मानसूनी पवने आकर्षित होती है तथा भारतीय उपमहाद्वीप के ऋतु चक्र को नियमित करने में योगदान देती है। राजस्थान में मानसून की सर्वप्रथम दक्षिण पश्चिम शाखा का प्रवेश करती है अरावली पर्वतमाला के मानसून की समानांतर होने के कारण राजस्थान में कम तथा अनियमित वर्षा होती है।

राज्य का सबसे आर्द्र जिला झालावाड़ है जबकि राज्य का सबसे आर्द्र स्थल सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू है जबकि सबसे शुष्क जिला जैसलमेर है। राज्य का दक्षिण पश्चिम दक्षिण तथा दक्षिणी पूर्वी भाग सामान्यतया आर्द्र कहलाता है। जबकि पूर्वी भाग सामान्यतया उप आर्द्र कहलाता है जबकि पश्चिमी भाग शुष्क प्रदेश में आता है इसके अलावा राजस्थान का उत्तर तथा उत्तर पूर्वी भाग सामान्यतया अर्ध अर्ध शुष्क प्रदेश में आता है।

राजस्थान में ऋतुएं

ग्रीष्मकाल

राज्य में ग्रीष्मकाल ऋतु का समय मध्य मार्च से जून तक है। यहां सबसे अधिक गर्मी मई और जून महीने में पड़ती है इस अवधि में यहां का तापमान विशेषकर पश्चिम भाग का 45 डिग्री सेल्सियस से 51 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इस काल में तापमान में वृद्धि का कारण सूर्य का उत्तरायण होना अर्थात इस समय सूर्य लंबवत स्थिति में चमकता है। वायु दबाव कम एवं तापमान अधिक होना इस ऋतु की प्रमुख विशेषताएं राज्य का वार्षिक तापांतर 14 डिग्री सेल्सियस से 17 डिग्री सेल्सियस के मध्य रहता है दोपहर के समय 36 डिग्री तापक्रम रहता है तथा तीसरे पहर (दोपहर) के बाद का तापक्रम 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।

वर्षा ऋतु

इस प्रकार राजस्थान में वर्षा ऋतु जून से अक्टूबर के प्रथम तक राज्य में दक्षिणी पश्चिमी मानसूनी हवाओं से वर्षा होती है। राज्य की सर्वाधिक वर्षा के मौसम में होती है। दक्षिणी पश्चिमी मानसून हिंद महासागर से उत्पन्न हो कर दो शाखाओं में बंगाल की खाड़ी की शाखा एवं अरब सागर की शाखा के रूप में राज्य में प्रवेश करती है राज्य को इस शाखा से केवल 57.7 सेंटीमीटर वर्षा प्राप्त होती है इसका कारण अरावली श्रृंखला का दक्षिण पश्चिम विशाखा के समानांतर होना है।

शीतकाल

राजस्थान में इस मौसम की अवधि नवंबर से मध्य मार्च तक है जनवरी सबसे ठंडा महीना होता है इस काल में सूर्य की स्थिति उत्तरायण और दक्षिणायन होने लगती है जिसके फलस्वरूप तापमान गिरने लगता है तथा वायु दाब बढ़ने लगता है वर्षा ऋतु में ना के बराबर होती है।

राजस्थान की जलवायु

राजस्थान की जलवायु शुष्क से उपआर्द्र मानसूनी जलवायु है अरावली के पश्चिम में न्यून वर्षा, उच्च दैनिक एवं वार्षिक तापान्तर निम्न आर्द्रता तथा तीव्रहवाओं युक्त जलवायु है। दुसरी और अरावली के पुर्व में अर्द्रशुष्क एवं उपआर्द्र जलवायु है। जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक – अक्षांशीय स्थिती, समुद्रतल से दुरी, समुद्र तल से ऊंचाई, अरावली पर्वत श्रेणियों कि स्थिति एवं दिशा आदि।
राजस्थान की जलवायु कि प्रमुख विशेषताएं –
1. शुष्क एवं आर्द्र जलवायु कि प्रधानता
2. अपर्याप्त एंव अनिश्चित वर्षा
3. वर्षा का अनायस वितरण
4. अधिकांश वर्षा जुन से सितम्बर तक

5. वर्षा की परिर्वतनशीलता एवं न्यूनता के कारण सुखा एवं अकाल कि स्थिती अधिक होना।

राजस्थान कर्क रेखा के उत्तर दिशा में स्थित है। अतः राज्य उपोष्ण कटिबंध में स्थित है। केवल डुंगरपुर और बांसवाड़ा जिले का कुछ हिस्सा उष्ण कटिबंध में स्थित है। अरावली पर्वत श्रेणीयों ने जलवायु कि दृष्टि से राजस्थान को दो भागों में विभक्त कर दिया है। अरावली पर्वत श्रेणीयां मानसुनी हवाओं के चलने कि दिशाओं के अनुरूप होने के कारण मार्ग में बाधक नहीं बन पाती अतः मानसुनी पवनें सीधी निकल जाति है और वर्षा नहीं करा पाती। इस प्रकार पश्चिमी क्षेत्र अरावली का दृष्टि छाया प्रदेश होने के कारण अल्प वर्षा प्राप्त करता है।

जब कर्क रेखा पर सुर्य सीधा चमकता है तो इसकी किरणें बांसवाड़ा पर सीधी व गंगानगर जिले पर तिरछी पड़ती है। राजस्थान का औसतन वार्षिक तापमान 37 डिग्री से 38 डिग्री सेंटीग्रेड है।

राजस्थान को जलवायु की दृष्टि से पांच भागों में बांटा है।

1. शुष्क जलवायु प्रदेश (0-20 सेमी.)

2. अर्द्धशुष्क जलवायु प्रदेश (20-40 सेमी.)

3. उपआर्द्र जलवायु प्रदेश (40-60 सेमी.)

4. आर्द्र जलवायु प्रदेश (60-80 सेमी.)

5. अति आर्द्र जलवायु प्रदेश (80-100 सेमी.)

1. शुष्क प्रदेश क्षेत्र –

जैसलमेर, उत्तरी बाड़मेर, दक्षिणी गंगानगर तथा बीकानेर व जोधपुर का पश्चिमी भाग।

औसत वर्षा – 0-20 सेमी.।

2. अर्द्धशुष्क जलवायु प्रदेश क्षेत्र –

चुरू, गंगानगर, हनुमानगढ़, द. बाड़मेर, जोधपुर व बीकानेर का पूर्वी भाग तथा पाली, जालौर, सीकर,नागौर व झुझुनू का पश्चिमी भाग।

औसत वर्षा – 20-40 सेमी.।

3. उपआर्द्ध जलवायु प्रदेश क्षेत्र –

अलवर, जयपुर, अजमेर, पाली, जालौर, नागौर व झुझुनू का पूर्वी भाग तथा टोंकटों , भीलवाड़ा व सिरोही का उत्तरी-पश्चिमी भाग।

औसत वर्षा – 40-60 सेमी.।

4. आर्द्र जलवायु प्रदेश क्षेत्र –

भरतपुर, धौलपुर, कोटा, बुंदी, सवाईमाधोपुर, उ.पू. उदयपुर, द.पू. टोंकटों तथा चित्तौड़गढ़।

औसत वर्षा – 60-80 सेमी.।

5. अति आर्द्र जलवायु प्रदेश क्षेत्र –

 द.पू. कोटा, बारां, झालावाड़, बांसवाडा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, द.पू. उदयपुर तथा माउण्ट आबू क्षेत्र।

 औसत वर्षा – 60-80 सेमी.।

आर्द्रता – वायु में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता कहते है।

आपेक्षिक आर्द्रता मार्च-अप्रैल में सबसे कम व जुलाई-अगस्त में सर्वाधिक होती है।

 लू – मरूस्थलीय भाग में चलने वाली शुष्क व अति गर्म हवाएं लू कहलाती है।

समुद्र तल से ऊंचाई बढ़ने के साथ तापमान घटता है। इसके घटने की यह सामान्य दर 165 मी. की ऊंचाई पर 1 डिग्री से.ग्रे. है।

राजस्थान के उत्तरी-पश्चिमी भाग से दक्षिणी-पुर्वी की ओर तापमान में कमी दृष्टि गोचर होती है।

राजस्थान को कृषि की दृष्टि से निम्नलिखित दस जलवायु प्रदेशों में बांटा गया है – 

1. शुष्क पश्चिमी मैदानी

2. सिंचित उत्तरी पश्चिमी मैदानी

3. शुष्क आंशिक सिंचित पश्चिमी मैदानी

4. अंन्त प्रवाही

5. लुनी बेसिन

6. पूर्वी मैदानी(भरतपुर, धौलपुर, करौली जिले)

7. अर्द्र शुष्क जलवायु प्रदेश

8. उप आर्द्र जलवायु प्रदेश

9. आर्द्र जलवायु प्रदेश

10. अति आर्द्र जलवायु प्रदेश

ऋतुएं –

राजस्थान में जलवायु का अध्ययन करने पर तीन प्रकार की ऋतुएं पाई जाती हैः –

1. ग्रीष्म ऋतु: (मार्च से मध्य जून तक)

2. वर्षा ऋतु : (मध्य जून से सितम्बर तक)

3. शीत ऋतु : (नवम्बर से फरवरी तक)

ग्रीष्म ऋतु 

राजस्थान में मार्च से मध्य जून तक ग्रीष्म ऋतु होती है। इसमें मई व जून के महीने में सर्वाधिक गर्मी पड़ती है। अधिक गर्मी के वायु मे नमी समाप्त हो जाती है। परिणाम स्वरूप वायु हल्की होकर उपर चली जाती है। अतः राजस्थान में निम्न वायुदाब का क्षेत्र बनता है परिणामस्वरूप उच्च वायुदाब से वायु निम्न वायुदाब की और तेजगति से आती है इससे गर्मियों में आंधियों का प्रवाह बना रहता है।

वर्षा ऋतु 

राजस्थान में मध्य जून से सितम्बर तक वर्षा ऋतु होती है।

राजस्थान में 3 प्रकार के मानसूनों से वर्षा होती है –

1. बंगाल की खाड़ी का मानसून यह मानसून राजस्थान में पूर्वी दिशा से प्रवेश करता है। पूर्वी दिशा से प्रवेश करने के कारण मानसूनी हवाओं को पूरवइयां के नाम से जाना जाता है यह मानसून राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा करवाता है इस मानसून से राजस्थान के उत्तरी, उत्तरी-पूर्वी, दक्षिणी-पूर्वी क्षेत्रों में वर्षा होती है। 

2. अरब सागर का मानसून यह मानसून राजस्थान के दक्षिणी-पश्चिमी दिशा से प्रवेश करता है यह मानसून राजस्थान में अधिक वर्षा नहीं कर पाता क्योंकि यह अरावली पर्वतमाला के समान्तर निकल जाता है। राजस्थान में अरावली पर्वतमाला का विस्तार दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व कि ओर है यदि राज्य में अरावली का विस्तार उत्तरी-पश्चिमी से दक्षिणी-पूर्व कि ओर होता तो राजस्थान में सर्वाधिक क्षेत्र में वर्षा होती। राजस्थान में सर्वप्रथम अरबसागर का मानसून प्रवेश करता है 

3. भूमध्यसागरीय मानसून यह मानसून राजस्थान में पश्चिमी दिशा से प्रवेश करता है। पश्चिमी दिशा से प्रवेश करने के कारण इस मानसून को पश्चिमी विक्षोभों का मानसून के उपनाम से जाना जाता है। इस मानसून से राजस्थान में उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में वर्षा होती है। यह मानसून मुख्यतः सर्दीयों में वर्षा करता है सर्दियों में होने वाली वर्षा को स्थानीय भाषा में मावठ कहते हैं यह वर्षा गेहुं की फसल के लिए सर्वाधिक लाभदायक होती है। इन वर्षा कि बूदों को गोल्डन ड्रोप्स या सोने कि बुंद के उप नाम से जाना जाता है। 

शीत ऋतु 

राजस्थान में नम्बर से फरवरी तक शीत ऋतु होती है। इन चार महीनों में जनवरी माह में सर्वाधिक सर्दी पड़ती है।शीत ऋतु में भूमध्यसागर में उठने वाले चक्रवातों के कारण राजस्थान के उतरी पश्चिमी भाग में वर्षा होती है। जिसे “मावट/मावठ” कहा जाता है। यह वर्षा माघ महीने में होती है। शीतकालीन वर्षा मावट को – गोल्डन ड्रोप (अमृत बूदे) भी कहा जाता है। यह रवि की फसल के लिए लाभदायक है। राज्य में हवाएं प्राय पश्चिम और उतर-पश्चिम की ओर चलती है। 

वर्षा

राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा दक्षिणी-पश्चिमी मानसून हवाओं से होती है तथा दूसरा स्थान बंगाल की खाड़ी का मानसून, तीसरा स्थान अरबसागर के मानसून, अन्तिम स्थान भूमध्यसागर के मानसून का है।

आंधियों के नाम

उत्तर की ओर से आने वाली – उत्तरा, उत्तराद, धरोड, धराऊ

दक्षिण की ओर से आने वाली – लकाऊ

पूर्व की ओर से आने वाली – पूरवईयां, पूरवाई, पूरवा, आगुणी

पश्चिम की ओर से आने वाली – पिछवाई, पच्छऊ, पिछवा, आथूणी।

अन्य

उत्तर-पूर्व के मध्य से – संजेरी

पूर्व-दक्षिण के मध्य से – चीर/चील

दक्षिण-पश्चिम के मध्य से – समंदरी/समुन्द्री

उत्तर-पश्चिम के मध्य से – सूर्या

दैनिक गति /घुर्णन गति 

पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है। यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किमी./घण्टा की चाल से 23 घण्टे 56 मिनट और 4 सेकण्ड में एक चक्र पुरा करती है। इस गति को घुर्णन गति या दैनिक गति कहते हैं इसी के कारण दिन रात होते हैं।

वार्षिक गति /परिक्रमण गति

पृथ्वी को सूर्य कि परिक्रमा करने में 365 दिन 5 घण्टे 48 मिनट 46 सैकण्ड लगते हैं इसे पृथ्वी की वार्षिक गति या परिक्रमण गति कहते हैं। इसमें लगने वाले समय को सौर वर्ष कहा जाता है। पृथ्वी पर ऋतु परिर्वतन, इसकी अक्ष पर झुके होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानि वार्षिक गति के कारण होती है। वार्षिक गति के कारण पृथ्वी पर दिन रात छोटे बड़े होते हैं। पृथ्वी के परिक्रमण काल में 21 मार्च एवम् 23 सितम्बर को सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर सीधी पड़ती हैं फलस्वरूप सम्पूर्ण पृथ्वी पर रात-दिन की अवधि बराबर होती है।

तथ्य

राजस्थान के सबसे गर्म महिने मई – जुन है तथा ठण्डे महिने दिसम्बर – जनवरी है।

राजस्थान का सबसे गर्म व ठण्डा जिला – चुरू

राजस्थान का सर्वाधिक दैनिक तापान्तर पश्चिमी क्षेत्र में रहता है।

राजस्थान का सर्वाधिक दैनिक तापान्तर वाला जिला -जैसलमेर

राजस्थान में वर्षा का औसत 57 सेमी. है जिसका वितरण 10 से 100 सेमी. के बीच होता है।

वर्षा का असमान वितरण अपर्याप्त और अनिश्चित मात्रा ही राजस्थान में हर वर्ष सुखे व अकाल का कारण बनती है।

राजस्थान में वर्षा की मात्रा दक्षिण पूर्व से उत्तर पश्चिम की ओर घटती है।

अरब सागरीय मानसुन हवाओं से राज्य के दक्षिण व दक्षिण पूर्वी जिलों में पर्याप्त वर्षा हो जाती है।

राज्य में होने वाली वर्षा की कुल मात्रा का 34 प्रतिशत जुलाई माह में, 33 प्रतिशत अगस्त माह में होती है।

जिला स्तर पर सर्वाधिक वर्षा – झालावाड़(100 सेमी.)

जिला स्तर पर न्यूनतम वर्षा – जैसलमेर(10 सेमी.)

राजस्थान में वर्षा होने वाले दिनों की औसत संख्या 29 है।

वर्षा के दिनों की सर्वाधिक संख्या – झालावाड़(40 दिन), बांसवाड़ा(38 दिन) 

वर्षा के दिनों की न्यूनतम संख्या – जैसलमेेर(5 दिन) 

राजस्थान का सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान – माउण्ट आबु(120-140 सेमी.)है यहीं पर वर्षा के सर्वाधिक दिन(48 दिन) मिलते हैं। 

वर्षा के दिनों की संख्या उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर बढ़ती है। 

राजस्थान में सबसे कम आर्द्रता – अप्रैल माह में 

राजस्थान मे सबसे अधिक आर्द्रता – अगस्त माह में 

राजस्थान में सबसे सम तापमान – अक्टुबर माह में रहता है।

सबसे कम वर्षा वाला स्थान – सम(जैसलमेर) 5 सेमी.

राजस्थान को 50 सेमी. रेखा दो भागों में बांटती है। 50 सेमी. वर्षा रेखा की उत्तर-पश्चिम में कम होती है। जबकि दक्षिण पूर्व में वर्षा अधिक होती है।

यह 50 सेमी. मानक रेखा अरावली पर्वत माला को माना जाता है।

राजस्थान में सर्वाधिक आर्द्रता वाला जिला झालावाड़ तथा न्यूनतम जिला जैसलमेर है।

राजस्थान में सर्वाधिक आर्द्रता वाला स्थान माउण्ट आबू तथा कम आर्द्रता फलौदी(जोधपुर) है।

राजस्थान में सर्वाधिक ओलावृष्टि वाला महिना मार्च अप्रैल है तथा सर्वाधिक ओलावृष्टि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में होती है तथा सर्वाधिक ओलावृष्टि वाला जिला जयपुर है।

राजस्थान में हवाऐं पाय पश्चिम व दक्षिण पश्चिम की ओर चलती है।

हवाओं की सर्वाधिक गति – जून माह हवाओं की मंद गति – नवम्बर माह ग्रीष्म ऋतु में पश्चिम क्षेत्र क्षेत्र का वायुदाब पूर्वी क्षेत्र से कम होता है।

ग्रीष्म ऋतु में पश्चिम की तरफ से गर्म हवाऐं चलती है जिन्हें लू कहते है। इस लू के कारण यहां निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है। इस निम्न वायुदाब की पूर्ति हेतु दूसरे क्षेत्र से (उच्च वायुदाब वाले क्षेत्रों से) तेजी से हवा उठकर आती है जो अपने साथ धुल व मिट्टी उठाकर ले आती है इसे ही आंधी कहते हैं।

आंधियों की सर्वाधिक संख्या – श्रीगंगानगर(27 दिन) आंधियों की न्यूनतम संख्या – झालावाड़ (3 दिन)

राजस्थान के उत्तरी भागों में धुल भरी आधियां जुन माह में और दक्षिणी भागों में मई माह में आती है।

राजस्थान में पश्चिम की अपेक्षा पूर्व में तुफान(आंधी + वर्षा) अधिक आते है।

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण

👉 डॉ. ब्लादिमीर कोपेन के अनुसार राजस्थान की जलवायु का वर्गीकरण (राजस्थान की जलवायु)-

👉 डाॅ. ब्लादिमीर कोपेन-
✍ डाॅ. ब्लादिमीर कोपेन जर्मनी के प्रसिद्ध भूगोल वेता है।
✍ डाॅ. ब्लादिमीर कोपेन ने सन् 1918 में वनस्पति के आधार पर राजस्थान की जलवायु को चार भागों में बाटा है।
✍ इस वर्गीकरण के लिए डाॅ. ब्लादिमीर कोपेन ने राजस्थान की वर्षा तथा तापमान को महत्व दिया है।
✍ डाॅ. ब्लादिमीर कोपेन ने राजस्थान की जलवायु को चार सांकेतिक शब्दों में वर्णीत किया है जैसे-

1. Bwhw जलवायु प्रदेश
2. Bshw जलवायु प्रदेश
3. Cwg जलवायु प्रदेश
4. Aw जलवायु प्रदेश

1. Bwhw जलवायु प्रदेश-
✍ Bwhw का पूरा नाम- शुष्क मरुस्थलीय जलवायु प्रदेश
✍ Bwhw जलवायु प्रदेश में राजस्थान के श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, बीकानेर तथा उत्तरी-पश्चिमी जोधपुर का हिस्सा आता है।
✍ Bwhw जलवायु प्रदेश का राजस्थान में प्रतिनिधित्व वाला जिला बीकानेर है।
✍ Bwhw जलवायु प्रदेश की विशेष दिशा या विस्तार उत्तरी राजस्थान में है।
✍ Bwhw जलवायु प्रदेश में वार्षिक वर्षा का औसत 10 से 20 सेंटीमीटर है।
✍ Bwhw जलवायु प्रदेश का औसत तापमान 35℃ रहता है।

2. Bshw जलवायु प्रदेश-
✍ Bshw का पूरा नाम- अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश
✍ Bshw जलवायु प्रदेश में राजस्थान के नागौर, बाड़मेर, जालोर, सिरोही, पाली, जोधपुर, झुन्झुनू, चूरू तथा सीकर जिले शामिल है।
✍ Bshw जलवायु प्रदेश का राजस्थान में प्रतिनिधित्व वाला जिला नागौर है।
✍ Bshw जलवायु प्रदेश की विशेष दिशा या विस्तार पश्चिमी राजस्थान में है।
✍ Bshw जलवायु प्रदेश में वार्षिक वर्षा का औसत 20 से 40 सेंटीमीटर है।
✍ Bshw जलवायु प्रदेश का औसत तापमान 32 से 33℃ रहता है।
✍ डाॅ. ब्लादिमीर कोपेन के राजस्थान की जलवायु के वर्गीकरण के अनुसार राजस्थान का सर्वाधिक क्षेत्र या हिस्सा Bshw जलवायु प्रदेश में आता है।

3. Cwg जलवायु प्रदेश-
✍ Cwg का पूरा नाम- उप आद्र जलवायु प्रदेश
✍ Cwg जलवायु प्रदेश में राजस्थान के टोंक तथा दक्षिणी-पूर्वी अरावली के समस्त जिले शामिल है।
✍ Cwg जलवायु प्रदेश का राजस्थान में प्रतिनिधित्व वाला जिला टोंक है।
✍ Cwg जलवायु प्रदेश की विशेष दिशा या विस्तार मध्य राजस्थान में है।
✍ Cwg जलवायु प्रदेश में वार्षिक वर्षा का औसत 60 से 80 सेंटीमीटर है।
✍ Cwg जलवायु प्रदेश का औसत तापमान 25 से 30 रहता है।
✍ डाॅ. ब्लादिमीर कोपेन के अनुसार राजस्थान में सर्वाधिक बिहड़ वाला क्षेत्र Cwg जलवायु प्रदेश है।

4. Aw जलवायु प्रदेश-
✍ Aw का पूरा नाम- अति आद्र जलवायु प्रदेश
✍ Aw जलवायु प्रदेश में राजस्थान के डूंगरपुर, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ तथा उदयपुर का हिस्सा शामिल है।
✍ Aw जलवायु प्रदेश का राजस्थान में प्रतिनिधित्व वाला जिला बांसवाड़ा है।
✍ Aw जलवायु प्रदेश की विशेष दिशा या विस्तार दक्षिणी राजस्थान में है।
✍ Aw जलवायु प्रदेश में वार्षिक वर्षा का औसत 80 से 100 सेंटीमीटर है।
✍ Aw जलवायु प्रदेश का औसत तापमान 10 से 15 रहता है।
✍ डाॅ. ब्लादिमीर कोपेन के अनुसार राजस्थान का सबसे कम हिस्सा या क्षेत्र Aw जलवायु प्रदेश में आता है।

 

 

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