अधिगम के सिद्धांत
अधिगम के सिद्धांतों को दो भागों में बांटा गया है-
- अधिगम के सहचार्य सिद्धांत
- अधिगम के क्षेत्र सिद्धांत- (कोहलर का सूझ सिद्धांत)
2. अधिगम के क्षेत्र सिद्धांत- अधिगम का क्षेत्र सिद्धांत है जिसमें अधिगम करने वाला संपूर्ण परिस्थिति का प्रत्यक्षीकरण करता है तथा उसके प्रति प्रतिक्रिया करता है इसके अंतर्गत कोहलर का सूझ का सिद्धांत आता है।
थार्नडाइक का प्रयास एवं त्रुटि सिद्धांत
इसे निम्न नामों से भी जाना जाता है-
- थार्नडाइक का संबंध वाद(Thorndyke’s connection theory)
- थार्नडाइक का संबंध सिद्धांत( Thorndike bond theory)
- उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत( Thorndyke’s stimulus response theory)
- प्रयास एवं त्रुटि सिद्धांत ( Trial and error theory)
थार्नडाइक मानना है कि कोई विशेष उद्दीपन किसी अनुक्रिया द्वारा इस प्रकार संबंधित हो जाता है कि भविष्य में उस उद्दीपन की उपस्थिति में वही अनुक्रिया घटित होती है, उद्दीपन और अनुक्रिया के संबंध के कारण इस वाद को संबंध वाद का सिद्धांत भी कहा जाता है। थार्नडाइक के अनुसार सीखना संबंध स्थापित करना है।
थार्नडाइक का प्रयोग-
थार्नडाइक ने अपने सिद्धांत की पुष्टि के लिए बिल्ली पर प्रयोग किया इसमें उसने बिल्ली को एक ऐसे बॉक्स में बंद किया जिसके दरवाजे पर एक लीवर लगा हुआ था और उसके दबते ही बॉक्स खुलता था और बिल्ली बाहर आकर अपना भोजन प्राप्त कर सकती थी। भोजन इस प्रकार रखा गया कि बिल्ली अंदर से उसे देख सकती थी। बिल्ली इस बात को नहीं जानती थी कि इसमें कोई लीवर लगा है जिसे खोलने से बाहर आकर भोजन कर सकती है। यह भोजन बिल्ली के लिए उद्दीपक था। वह बाहर आने के लिए अनेक अनुक्रिया करती रहती थी। कई प्रयासों के पश्चात एक बार अचानक उसका पैर लीवर पर पड़ा और दरवाजा खुल गया और उसने बाहर आकर भोजन किया। इस क्रिया को उसने अनेक बार दोहराया और बाद में यह पाया कि उसके द्वारा की जाने वाली निरर्थक कम हुई और वह एक बार में ही सही लीवर दबाकर दरवाजा खोल देती और भोजन कर लेती थी।
- अधिगम का आधार उद्दीपन अनुक्रिया में संबंध होना है।
- अधिगम की प्रक्रिया में कोई न कोई प्रेरणा अवश्य होती है।
- अधिगम के लिए किए गए प्रयासों के साथ अनावश्यक क्रियाएँ कम हो जाती हैं।
- किसी भी उद्दीपन-अनुक्रिया में जितना अधिक संबंध स्थापित होगा अधिगम उतना ही
- शीघ्रता से होगा।
थार्नडाईक के अधिगम के नियम –
अधिगम के मुख्य नियम-
प्रयास एवं त्रुटि सिद्धांत के अनुप्रयोग-
- छोटे बच्चों में आदतें दृष्टिकोण और रुचि के विकास में यह सिद्धांत उपयोगी है।
- मंदबुद्धि बालकों का अधिगम प्रयास एवं त्रुटि द्वारा किया जा सकता है।
- गणितीय नृत्य संगीत एवं टाइपिंग आदि में इस सिद्धांत का उपयोग किया जा सकता है।
प्रयास एवं त्रुटि सिद्धांत की आलोचना-
- यह सिद्धांत रटने की प्रवृत्ति को बल देता है।
- यह सिद्धांत केवल छोटे बच्चों के लिए अधिक उपयोगी है यह तर्क शक्ति युक्त बड़े बालकों के लिए नहीं।
- यह सिद्धांत आनावश्यक प्रयत्नों को बल देता है जिसकी कई परिस्थितियों में अधिक आवश्यकता नहीं होती है।