संवेग (Emotion)

 

 

  • संवेग को अंग्रेजी भाषा में Emotion कहा जाता है जो ग्रीक शब्द Emovere से बना है जिसका अर्थ होता है To Move / To Drive / गति करना / कोई हलचल |

 

 

 

  • R.S. वुडवर्थ के अनुसार :- संवेग व्यक्ति की उत्तेजित अवस्था होती है | 

 

 

 

  • ब्रिजेज के अनुसार :- शिशु में जन्म के समय कोई नही पाए जाते | उसमें केवल बैचेनी, उत्तेजना व कष्ट की प्रवृति पाई जाती है | शिशु में सर्वप्रथम भय, घृणा और क्रोध संवेग प्रदर्शित होने लगते है और 2 वर्ष की आयु तक उसमें सभी संवेगों की अभिवृत्ति होने लग जाती है | 
  • रॉस के अनुसार :- संवेग चेतना की वह अवस्था होती है जिसमे रागात्मक तीव्रता पाई जाती है |
  • वेलेंटाइन के अनुसार :- संवेग किसी के प्रति लगाव का विशेष भाव है |
  • नोट शैशवावस्था में संवेगों की तीव्रता अत्यधिक होती है |
  • बाल्यावस्था में संवेग एक प्रकार से क्षणिक होते है किशोरावस्था में संवेग स्थिर होने लगते है क्रोध, प्रेम, सहयोग का भाव अधिक होता है | 

 

 

संवेग की विशेषताएँ 

 

  • ये जन्मजात या आंतरिक होते है |
  • इनकी अभिव्यक्ति, अभिव्यक्त होती है इनकी प्रवृति के समय वेग तीव्रतम होती है लेकिन धीरे – धीरे ये कम होने लगते है |
  • ये सार्वभौमिक है अर्थात् सभी जन्तुओं में पाए जाते है |
  • इनकी उत्पत्ति के समय वैचारिक शक्ति का ह्यस होता है 
  • इनकी उत्पत्ति के समय स्पष्ट बाह्य और आंतरिक शारीरिक परिवर्तन  दिखाई देते है |
  • इन्हें नष्ट नहीं किया जा सकता, लेकिन इनका दमन किया जा सकता है |
  • नोट :-  सबसे अच्छा व्यक्तित्व संवेगात्मक स्थिरता वाला होता है शिक्षक होने के नाते छात्रों में संवेगों में दमनात्मक प्रवृति को रोककर उन्हें संवेग पर नियंत्रण करना सीखना चाहिए |

 

 

शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास 

 

1. संवेगात्मक अस्थिरता :-  शैशवावस्था में संवेग अस्थिर होते है | जैसे – एक वर्ष का शिशु जो भूख लगने के कारण रो रहा है और इसी दौरान इसे कोई खिलौना दे दिया जाये, तो यह रोना छोड़कर खिलौने से खेलने लग जायेगा | इसे ही संवेगात्मक अस्थिरता कहते है | 

 

2. अभिव्यक्ति में तीव्रता :- शिशु में संवेगों की अभिव्यक्ति तीव्रतम वेग से होती है लेकिन जैसे – जैसे वो बड़ा होता है इसमें कमी आने लगती है | जैसे – 6 माह का शिशु भूख लगने पर तेजी से रोता है लेकिन 5 वर्ष का शिशु ऐसा नही करता है | 

 

3. अनुकरण द्वारा अभिव्यक्ति :- शिशु अपने संवेगों की अभिव्यक्ति करना अपने अभिभावकों या बड़े भाई – बहन को देखकर करता है | 

 

4. अभिव्यक्ति में क्रमशः परिवर्तन :-  शिशुअपने संवेगों की अभिव्यक्ति में लगातार परिवर्तन करता है | जैसे आरम्भ में खुश होने पर वह मुस्कुराता है | फिर वह ध्वनि निकलने लगता है और फिर तेजी से हँसने लगता है | 

 

  • नोट : कामुकता संवेग की दर सर्वाधिक शैशवावस्था में होती है | साथ ही यह सभी संवेगों से अधिक होता है | 
  • सिग्मण्डफ्रायड के अनुसार – ” इस संवेग के कारण ही शिशु में अंगुठा चूसने, स्तनपान करने, माता से लिपटने, जननागों पर हाथ रखना आदि लक्षण दिखाई देते है | 

 

 

बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास 

 

 

  • बाल्यावस्था में संवेगात्मक स्थिरता दिखाई देने लगती है सर्वप्रथम 6 – 7 वर्ष की आयु में भय और क्रोध संवेगों में स्थिरता दिखने लगती है | 
  • बाल्यावस्था  से ही बालक दूसरों का सम्मान करना आरम्भ करता है |
  • बाल्यावस्था  में बालक संवेगों को छिपाने लग जाता है |
  • बालक अपने उन संवेगों का दमन भी करने लगता है जिन्हें उसके सहपाठी या शिक्षक अच्छा नही समझते है अत: शिक्षक का यह दायित्व है कि वह इस प्रवृत्ति को रोककर उसे संवेगों पर नियंत्रण करना सीखाये | 
  • बाल्यावस्था  प्रतिद्वन्दात्मक समाजीकरण की अवस्था है अत: विभिन्न दलों के मध्य और अपने से भाग्यशाली वालों के प्रति कुछ नकारात्मक संवेग विकसित होने लगते है | जैसे – क्रोध, घृणा, द्वैष भावना, भय आदि अत: इनका विकास रोकने के लिए विद्यालयों में कुछ कार्यक्रम आयोजित किये जाते है जैसे – बालसभा, प्रार्थना सभा, शैक्षिक भ्रमण, ग्रेडिंग सिस्टम, समान वेशभूषा आदि | 

 

 

 

किशोरावस्था में संवेगात्मक विकास 

 

 

  • कॉल व ब्रुसने के अनुसार :- ”  किशोरावस्था के आगमन का मुख्य चिह्न संवेगात्मक विकास में तीव्र परिवर्तन है” | 
  • जिस परिस्थिति में बाल्यावस्था में ख़ुशी संवेग विकसित होता था अब उसी परिस्थिति में किशोरावस्था में क्रोध संवेग उत्पन्न होता है अर्थात् उसके संवेगात्मक अभिव्यक्ति में तीव्र परिवर्तन आने लगता है |
  • जिस किशोर में शारीरिक अभिवृद्धि और विकास अच्छा होता है और जिसमें शारीरिक अभिवृद्धि और विकास अच्छा नही होता, उनमे संवेगात्मक अस्थिरता पाई जाती है | 
  • किशोरावस्था में दया, प्रेम, क्रोध, सहानुभूति संवेगों पर नियन्त्रण नही रह पता है |
  • किशोरावस्था में विषम लैंगिक और समलैंगिक दोनों प्रकार की कामुकता पाई जाती है |
  • किशोर यदि स्वयं को अपने परिवर्तित परिवेश के अनुसार समायोजित नही कर पता तो वह बाल अपराधी बन सकता है, घर से पलायन, आत्महत्या या अन्य कोई कार्य कर सकता है अत: इसके साथ मित्रता पूर्वक व्यवहार करना चाहिए | 

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: सावधान ! Content is protected !!