राजस्थान का एकीकरण
भारत की स्वतंत्रता अवश्यंभावी थी, लेकिन आजादी के बाद भारत का स्वरूप कैसा होगा? इस बात पर विचार करना था। जैसा कि हम जानते हैं कि भारत को दो भागों में बांटा गया था- ब्रिटिश भारत और देशी रियासतें । यह निश्चित था कि आजादी के ब्रिटिश प्रांत स्वतः ही भारत का हिस्सा होंगे, मगर देशी रियासतों का भविष्य अनिश्चित था, तो वहीं देशी रियासतों में इस बात को लेकर सदैव ही शंका रही कि कहीं संघ में उनका विलय न कर लिया जाये।
भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. को रियासतों के द्वारा पूर्णरूप से अस्वीकार कर दिया गया था, क्योंकि इस अधिनियम में जो संघीय ढाँचा प्रस्तावित किया गया था वह देशी रियासतों को अपने स्वतंत्र अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा दिख रहा था, तो वहीं देशी रियासतों के शासकों के इस नजरिये को राष्ट्रवादियों के द्वारा बड़ी ही गंभीरता से लिया गया था और उन्हें अंदेशा हो गया था कि भविष्य की लोकतांत्रिक व्यवस्था इन देशी रियासतों के शासकों के कारण अवरूद्ध हो सकती है और 1938 ई. का कांग्रेस का हरिपुरा अधिवेशन इस आशंका का उदाहरण था।
1939 ई. के अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिसर अधिवेशन में पं. जवाहरलाल नेहरू की पहल पर राज्यों की जनसंख्या व राजस्व की न्यूनतम सीमाएँ निश्चित की गयी और भारत के 565 राज्यों को 14 भागों में बांट दिया गया, तो वहीं इन राज्यों के राजनीतिक अस्तित्व को दूसरी भीषण चुनौती 1942 ई. के क्रिप्स मिशन से मिली, जिसने यह संकेत दिया कि राज्यों की सत्ता मिलाकर किसी बड़ी इकाई का निर्माण करना श्रेष्ठ होगा ।
ध्यातव्य रहे- 3 नवम्बर, 1946 ई. को अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद की राजस्थान प्रांतीय शाखा की हुई बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें यह माँग रखी गयी, चूँकि राजस्थान का कोई भी राज्य आधुनिक प्रगति से राज्य की सुविधा उपलब्ध कराने की स्थिति में नहीं था, इसलिए राजस्थान के सभी राज्यों तथा अजमेर-मेरवाड़ा प्रांत को मिलाकर एक इकाई बना दिया जाना चाहिये।
कैबिनेट मिशन (मई, 1946 ई.) ने भारतीय संविधान सम्बन्धी योजना में स्पष्ट कर दिया कि भारत के स्वतंत्र होते ही, देशी राज्यों ने विभिन्न संधियों द्वारा ब्रिटिश सरकार को जो अधिकार सौंपे थे, वे उन्हें वापस लौटा दिए जाएंगे। 1946 में कैबिनेट मिशन योजना के प्रस्ताव तहत् ही भारतीय संविधान सभा का गठन किया गया और 9 दिसम्बर, 1946 ई. को भारतीय संविधान निर्मात्री सभा ने अपना कार्य शुरू किया।
1946 में संविधान निर्मात्री सभा में राजस्थान से मनोनीत सदस्य
क्र.सं. | नाम | रियासत |
1. | श्री वी,टी. कृष्णामाचारी | जयपुर |
2. | श्री हीरालाल शास्त्री | जयपुर |
3. | श्री सरदार सिंह | खेतड़ी |
4. | श्री राय बहादुर | भरतपुर |
5. | श्री बलवंत सिंह मेहता | उदयपुर |
6. | श्री माणिक्यलाल वर्मा | उदयपुर |
7. | श्री जयनारायण व्यास | जोधपुर |
8. | श्री मुकुटबिहारी भार्गव | अजमेर – मेरवाड़ा |
9. | श्री जसवंत सिंह | बीकानेर |
10. | श्री गोकुल लाल असावा | शाहपुरा (भीलवाड़ा) |
11. | श्री दलेल सिंह | कोटा |
12. | श्री रामचन्द्र उपाध्याय | अलवर |
5 जुलाई, 1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता में रियासती विभाग स्थापित किया गया। वी.पी. मेनन को रियासती विभाग का सचिव बनाया गया। रियासती सचिवालय ने घोषणा की कि स्वतंत्र भारत में वे ही राज्य अपना पृथक् अस्तित्व रख सकेंगे, जिनकी जनसंख्या न्यूनतम 10 लाख और वार्षिक आय एक करोड़ रूपये या इससे अधिक होगी।
इस मापदण्ड के अनुसार राजस्थान में केवल जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर और मेवाड़ ही ऐसे राज्य थे, जो अपना पृथक् अस्तित्व रख सकते थे। भारत सरकार की घोषणा कि छोटे-छोटे राज्यों को आपस में मिलकर बड़ी इकाईयाँ बना लेनी चाहिए। या पड़ोस के बड़े राज्यों या प्रान्तों में मिल जाना चाहिए, के सम्बन्ध में कोटा, मेवाड़, जयपुर और डूंगरपुर के शासकों ने छोटे-छोटे राज्यों को मिलाकर बड़ी इकाई बनाने के प्रयत्न किये।
कोटा महाराव भीमसिंह द्वितीय कोटा, बूंदी और झालावाड़ राज्यों को मिलाकर एक संयुक्त हाड़ौती संघ बनाने का इच्छुक था, तो वहीं पारस्परिक अविश्वास एवं अपना पृथक् अस्तित्व बनाये रखने की महत्वाकांक्षा के कारण यह योजना सफल नहीं हो सकी। मेवाड़ महाराणा भूपालसिंह ने छोटे-छोटे राज्यों को मिलाकर एक बड़ी इकाई राजस्थान यूनियन बनाने के उद्देश्य से 25-26 जून, 1946 ई. को उदयपुर में राजाओं को एक सम्मेलन बुलाया तथा इस सम्मेलन में 22 राजाओं ।
(राजपूताना, मालवा और गुजरात) ने भाग लिया और उन्होंने महाराणा की योजना पर विचार करने का आश्वासन दिया, तो वहीं महाराणा ने राजस्थान यूनियन के लिए के.एम. मुंशी को अपना संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया।
महाराणा ने 23 मई, 1947 को उदयपुर में दूसरा सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें जोधपुर, जयपुर और बीकानेर को छोड़कर राजस्थान के शेष राज्यों ने महाराणा के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और प्रस्तावित संविधान के निर्माण के लिए एक समिति गठित की गई, परन्तु शासकों के पारस्परिक अविश्वास के कारण राजस्थान यूनियन की योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी।
मेवाड़ द्वारा राजस्थान यूनियन बनाने के प्रयासों की असफलता के बाद जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय ने राज्यों का एक संघ बनाने का प्रयास किया, तो वहीं दीवान बी.टी. कृष्णामाचारी के सुझावानुसार राजस्थान के राजाओं और उनके प्रतिनिधियों का एक सम्मेलन बुलाया गया, परन्तु इस सम्मेलन में भी शासक किसी ठोस निर्णय पर नहीं पहुँच सके।
डूंगरपुर के महारावल लक्ष्मणसिंह वृहत्तर डूंगरपुर का निर्माण करना चाहता था, तो वहीं उसने डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़ और कुशलगढ़ को मिलाकर वागड़ संघ का निर्माण करने का प्रयास किया, मगर उसे भी अपने प्रयासों में सफलता नहीं मिली।
राजस्थान के एकीकरण का श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता है। राजस्थान का एकीकरण सात चरणों में पूरा हुआ। यह प्रक्रिया 18 मार्च, 1948 ई. से शुरू हुई जो 1 नवंबर, 1956 ई. में पूरी हुई। राजस्थान के एकीकरण में कुल 8 वर्ष 7 माह 14 दिन का समय लगा।
उस समय राजस्थान में 19 रियासतें, 3 ठिकाने (नीमराणा- अलवर (कछवाहा वंश का शासन), कुशलगढ़-बाँसवाड़ा (राठौड़ वंश का शासन), लावा-टोंक (नरूका वंश का शासन)) व एक केंद्र शासित प्रदेश अजमेर-मेरवाड़ा था।
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय राजस्थान की रियासतें व ठिकानें एवं तत्कालीन नरेश
क्र.सं. | रियासत | तत्कालीन नरेश |
1. | अलवर | महाराजा तेजसिंह |
2. | भरतपुर | महाराजा बृजेन्द्र सिंह |
3. | धौलपुर | महाराजा उदयभान सिंह |
4. | करौली | महाराजा गणेशपाल देव |
5. | कोटा | महाराव भीमसिंह |
6. | बूंदी | महाराव बहादुरसिंह |
7. | झालावाड़ | झाला हरिशचंद्र बहादुर |
8. | बाँसवाड़ा | महारावल चंद्रवीर सिंह |
9. | डूंगरपुर | महारावल लक्ष्मणसिंह |
10. | प्रतापगढ़ | महारावल रामसिंह |
11. | शाहपुरा | राजा सुदर्शन देव |
12. | किशनगढ़ | महराजा सुमेर देव |
13. | टोंक | नवाब शहादत अली खाँ, फारुख अली खाँ |
14. | उदयपुर | महाराजा भूपाल सिंह |
15. | जयपुर | महाराजा मानसिंह द्वितीय |
16. | जोधपुर | महाराजा हनुवंत सिंह |
17. | जैसलमेर | महारावल जवाहर सिंह |
18. | बीकानेर | महाराजा शार्दुल सिंह |
19. | सिरोही | महाराव तेजसिंह |
20. | नीमराणा ठिकाणा | महाराव राजेन्द्र सिंह |
21. | लावा ठिकाणा | ठाकुर बंसप्रदीप सिंह |
22. | कुशलगढ़ ठिकाणा | राव हरेन्द्र कुमार सिंह |
Very Most : आजादी से पूर्व राजपूताना में रियासतों की संख्या 22 थी तथा आजादी के समय राजस्थान में कुल रियासतें ।
19 हो गई। पूर्व में दाँता, ईडर व विजयनगर तीन रियासतें । राजस्थान में थी, जो बाद में आजादी के समय बम्बई प्रांत में मिला दी गई। उस समय राजपूताना के दक्षिण-पश्चिम में पड़ौसी बम्बई प्रान्त था। बाद में बम्बई प्रान्त को भाषा के आधार पर दो प्रान्तों गुजराती भाषा के प्रान्त को गुजरात व मराठी भाषा के प्रान्त को महाराष्ट्र बना दिया गया। वर्तमान में ये तीनों रियासतें गुजरात प्रान्त में है।
राजस्थान की रियासतों में सबसे पुरानी रियासत ‘मेवाड़’ जबकि सबसे नवीन (एकमात्र रियासत जिसका निर्माण 1838 ई. में ब्रिटिश गवर्नर लॉर्ड आर्कलैण्ड द्वारा किया गया, उस समय यहाँ के शासक ‘झाला मदनसिंह थे।’) ‘झालावाड़’ रियासत थी, क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी ‘मारवाड़’ (जोधपुर) व जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ी ‘जयपुर’ रियासत थी जबकि क्षेत्रफल व जनसंख्या की दृष्टि से सबसे छोटी ‘शाहपुरा’ रियासत थी।
ध्यातव्य रहे-शाहपुरा के शासक सुदर्शनदेव ने 14 अगस्त, 1947 को (आजादी से एक दिन पूर्व) शाहपुरा में उत्तरदायी | शासन स्थापित कर गोकुल लाल असावा को शाहपुरा का प्रधानमंत्री बना दिया।
राजस्थान में एकमात्र मुस्लिम रियासत ‘टोंक’ थी, धौलपुर व भरतपुर जाटों की रियासत थी जबकि अन्य रियासतें राजपूतों की थी । इस संपूर्ण क्षेत्र को ब्रिटिश काल में ‘राजपूताना’ कहा जाता था। रियासतों के राजाओं को तोपों की सलामी दी जाती थी इसलिए इन्हें ‘सैल्यूट स्टेट’ कहा जाता था, जबकि 3 चीफशीप ठिकानों के शासकों को तोपों की सलामी नहीं दी जाती थी इसलिए इन्हें ‘नॉन सैल्यूट स्टेट’ कहा जाता था ।
ध्यातव्य रहे- शाहपुरा व किशनगढ़ रियासत को तोप की सलामी का अधिकार नहीं था ।
बाँसवाड़ा के महारावल चंद्रवीर सिंह ने ‘मैं अपने डैथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ।’ कहते हुए राजस्थान में अपनी रियासत का विलय किया।
नरेन्द्र मण्डल के अध्यक्ष भोपाल के नवाब हम्मीददुल्ला खान थे, जो पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मोहम्मद अली जिन्ना के मित्र थे । उदयभान सिंह ने भोपाल के नवाब के सहयोग से जोधपुर, उदयपुर व जैसलमेर के शासकों को पाकिस्तान में मिलाने का प्रयास किया।
राजस्थान के एकमात्र जोधपुर के शासक हनुमंतसिंह ने 15 अगस्त, 1947 को देश आजाद होने पर उसने काली पगड़ी पहनकर शोक दिवस मनाया था। धौलपुर व भरतपुर रियासतें भाषा के आधार पर उत्तरप्रदेश में तथा टोंक व जोधपुर रियासतें पाकिस्तान में मिलना चाहती थी।
1947 से पूर्व राजस्थान की प्रत्येक रियासत में संवैधानिक सुधार की उत्तरदायी सरकार बनाने की दिशा में कुछ कदम उठाये गये सिवाय जैसलमेर रियासत को छोड़कर। राजस्थान की जैसलमेर रियासत को पं. जवाहर लाल नेहरू ने विश्व का आठवाँ आश्चर्य कहा था। आजादी के समय जैसलमेर के शासक महारावल जवाहर सिंह (1914 – 49 ई.) थे।
राजस्थान एकीकरण के चरण
राजस्थान अपने वर्तमान स्वरूप में 1 नवम्बर, 1956 ई. को आया। इससे पहले राजस्थान निर्माण के निम्नलिखित सात चरणों से गुजरा-
एकीकरण का प्रथम चरण – मत्स्य संघ ( 18 मार्च, 1948 )
30 जनवरी, 1948 ई. को हुई महात्मा गाँधी की हत्या के आरोप में अलवर के शासक का तेजसिंह का नाम आने से राज्य में सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न होने के कारण तथा भरतपुर राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए इन दोनों राज्यों का प्रशासन फरवरी, 1948 ई. में भारत सरकार ने स्वयं ग्रहण कर लिया था।
इसी दौरान भारत सरकार के रियासती विभाग के द्वारा भौगोलिक, सांस्कृतिक और आर्थिक समानता वाले अलवर, भरतपुर, धौलपुर व करौली राज्यों का एक संघ बनाने का विचार किया गया। इन चारों राज्यों के शासकों को 27 फरवरी, 1948 ई. को दिल्ली बुलाकर उनके समक्ष संघ निर्माण का प्रस्ताव रखा जिस पर उन्होंने 28 फरवरी, 1948 ई. को हस्ताक्षर कर दिये। साथ ही नीमराणा ठिकाने को भी इस संघ में मिलाया गया।
के. एम. मुंशी के सुझाव पर इस संघ का नाम मत्स्य संघ रखा गया, . क्योंकि महाभारत काल में इसे मत्स्य प्रदेश के नाम से जाना जाता था। शोभाराम कुमावत (अलवर) को मत्स्य संघ का प्रधानमंत्री, धौलपुर महाराजा उदयभान सिंह को राजप्रमुख तथा करौली महाराजा गणेशपाल देव को उपराजप्रमुख बनाया गया, तो वहीं अलवर मत्स्य संघ की राजधानी बनायी गयी।
18 मार्च, 1948 ई. को मत्स्य संघ का उद्घाटन तत्कालीन केन्द्रीय खनिज एवं विद्युत मंत्री नरहरि विष्णु गाडगिल (एन.वी. गाडगिल) के द्वारा किया गया था। मत्स्य संघ का क्षेत्रफल लगभग 12,000 वर्ग किमी. जनसंख्या 18.38 लाख एवं वार्षिक आय लगभग 184 लाख रुपए थी।
ध्यातव्य रहे- इस संघ का उद्घाटन 17 मार्च, 1948 ई. को होने वाला था किन्तु भरतपुर के शासक के छोटे भाई जाट नेता देशराज ने इस संघ को जाट विरोधी बताया और जाटों से संघ का निर्माण रोकने के लिए आह्वान किया, इसके फलस्वरूप जाटों का एक प्रतिनिधि इस संघ में शामिल किया गया और तभी 18 मार्च, 1948 ई. को इस संघ का उद्घाटन हो सका।
एकीकरण का द्वितीय चरण – पूर्व राजस्थान (25 मार्च, 1948 )
3 मार्च, 1948 ई. को कोटा, डूंगरपुर एवं झालावाड़ के शासकों ने रियासती विभाग के समक्ष कोटा, बूंदी, झालावाड़, टोंक, बाँसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, किशनगढ़ एवं शाहपुरा राज्यों तथा लावा एवं कुशलगढ़ ठिकानों को मिलाकर एक संघ बनाने का प्रस्ताव रखा, तो वहीं रियासती विभाग ने प्रस्तावित संघ को स्वीकार कर मेवाड़ को भी इसमें मिलाने का प्रस्ताव रखा, जिसे मेवाड़ महाराणा भूपालसिंह ने अस्वीकार कर दिया।
भारत सरकार ने मेवाड़ के बिना ही दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान की 9 रियासतों (कोटा, बूंदी, झालावाड़, डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़, किशनगढ़, शाहपुरा व टोंक) एवं 2 ठिकानों (कुशलगढ़ व लावा) को मिलाकर पूर्व राजस्थान संघ का गठन किया।
कोटा सबसे बड़ा राज्य होने के कारण पूर्व राजस्थान संघ की राजधानी बना, तो वहीं कोटा महाराव भीमसिंह द्वितीय को राजप्रमुख, बूँदी महाराव बहादुर सिंह को वरिष्ठ उपराजप्रमुख, डूंगरपुर महारावल लक्ष्मण सिंह को कनिष्ठ उपराजप्रमुख तथा शाहपुरा प्रजामण्डल के नेता गोकुललाल असावा को प्रधानमंत्री बनाया गया।
पूर्व राजस्थान संघ का उद्घाटन केन्द्रीय मंत्री एन.वी. गाडगिल द्वारा 25 मार्च, 1948 ई. को कोटा में किया गया। पूर्व राजस्थान संघ का क्षेत्रफल 16087 वर्ग किमी., जनसंख्या लगभग 23.05 लाख एवं वार्षिक आय 2.00 करोड़ रुपए से अधिक थी।
एकीकरण का तृतीय चरण- संयुक्त राजस्थान ( 18 अप्रैल, 1948)
28 मार्च, 1948 ई. को मेवाड़ महाराणा भूपालसिंह ने औपचारिक रूप से मेवाड़ के राजस्थान संघ में विलय की स्वीकृति और 11 अप्रैल, 1948 ई. को विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये। इस संयुक्त राजस्थान संघ के ऐतिहासिक महत्त्व को ध्यान में रखते हुए इसका उद्घाटन करने के लिए 18 अप्रैल, 1948 ई. को तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू को बुलाया गया।
इस संघ का निर्माण पूर्व राजस्थान संघ में उदयपुर रियासत को मिलाकर (कुल 10 रियासतें) किया गया। संयुक्त राजस्थान संघ की राजधानी उदयपुर बनाई गई। इस संघ का राजप्रमुख – मेवाड़ के महाराणा भूपालसिंह को, वरिष्ठ उपराजप्रमुख कोटा के महाराव भीमसिंह एवं कनिष्ठ उपराजप्रमुख बूँदी के महाराव बहादुर सिंह और डूंगरपुर के महारावल लक्ष्मण सिंह को बनाया गया।
पं. जवाहरलाल नेहरू की सिफारिश पर संयुक्त राजस्थान का प्रधानमंत्री माणिक्य लाल वर्मा को जवाहर लाल नेहरू की सिफारिश पर एवं उपप्रधानमंत्री श्री गोकुल लाल असावा को बनाया गया।
अन्य मंत्री- 1. प्रेम नारायण माथुर (उदयपुर), 2. मोहन लाल सुखाड़िया (उदयपुर), 3. भूरेलाल बयां (उदयपुर) (तीनों मेवाड़ प्रजामण्डल के नेता थे), 4. भोगीलाल पण्ड्या (डूंगरपुर), 5. अभिन्न हरि (कोटा), 6. बृज सुन्दर शर्मा (बूंदी)।
संयुक्त राजस्थान संघ का उद्घाटन 18 अप्रैल, 1948 ई. को विधिवत रूप से जवाहर लाल नेहरू के द्वारा कोटा राज्य का ऐतिहासिक महत्त्व कायम रखने के लिए कोटा में किया गया। संयुक्त राजस्थान संघ का क्षेत्रफल 29,777 वर्ग मील, जनसंख्या 42,60,918 तथा वार्षिक आय 3.16 करोड़ रुपए थी।
ध्यातव्य रहे- भारत सरकार ने 5 जनवरी, 1949 ई. को सिरोही का प्रशासन बम्बई सरकार को सौंपा था।
एकीकरण का चतुर्थ चरण- वृहद् राजस्थान (30 मार्च, 1949)
3 फरवरी, 1949 ई. को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने उदयपुर में वृहद् राजस्थान के गठन की घोषणा की जिसमें जयपुर जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर रियासतों का संयुक्त राजस्थान में विलय का निर्णय लिया गया |
तो वहीं जयपुर महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय को राजप्रमुख, मेवाड़ महाराणा भूपालसिंह को महाराज प्रमुख, जोधपुर महाराजा हनुवन्तसिंह और कोटा महाराव भीमसिंह को वरिष्ठ उपराजप्रमुख तथा बून्दी महाराव बहादुरसिंह और डूंगरपुर महारावल लक्ष्मणसिंह को कनिष्ठ उपराजप्रमुख बनाया गया और जयपुर को वृहद् राजस्थान की राजधानी बनाया गया।
जयपुर प्रजामण्डल के नेता हीरालाल शास्त्री को वृहद् राजस्थान का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। जोधपुर में हाईकोर्ट, बीकानेर में शिक्षा विभाग, उदयपुर में खनिज विभाग और भरतपुर में कृषि विभाग रखने का निर्णय लिया गया। 30 मार्च, 1949 ई. को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जयपुर में वृहद् राजस्थान का उद्घाटन किया।
ध्यातव्य रहे- 30 मार्च, 1949 ई. को वृहद् राजस्थान में अधिकांश रियासतों के विलय से राजस्थान का निर्माण माना जाता है, इसी कारण 30 मार्च को राजस्थान दिवस मनाया जाता है।
एकीकरण का पंचम चरण— संयुक्त वृहद् राजस्थान (15 मई, 1949)
मत्स्य संघ स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहा था किन्तु सरकार कई समस्याओं से घिरी थी। मेवों का उपद्रव सरकार के लिए चिन्ता का विषय थी। मेवों ने ‘मेवस्तान’ नाम से अलवर-भरतपुर के मेव बाहुल्य क्षेत्र को मिलाकर अलग अस्तित्व की माँग रखी, तो भरतपुर किसान सभा में ‘बृज प्रदेश’ नाम से भरतपुर व धौलपुर की अलग अस्तित्व की माँग रखी।
अब यह आंशका व्याप्त होने लगी कि कहीं मत्स्य संघ का विघटन नहीं हो जाये। 13 फरवरी, 1949 को मत्स्य संघ के शासकों एवं मंत्रियों को दिल्ली बुलाया गया। दिल्ली में मत्स्य संघ में सम्मिलित शासकों से बातचीत की तब पटेल को पता चला कि अलवर और करौली रियासत तो वृहत् राजस्थान के साथ मिलने के लिए राजी है।
भरतपुर और धौलपुर रियासत भाषायी आधार पर उत्तर प्रदेश राज्य में मिलना चाहती थी। इसी कारण रियासती विभाग ने भरतपुर और धौलपुर रियासत की जनता की राय जानने के लिए डॉ. शंकर राव देव समिति का गठन किया गया। इसी समिति के अन्य सदस्य श्री प्रभुदयाल व श्री आर.के. सिद्धावा को नियुक्त किया दो गया।
इस समिति के दो सदस्यों ने दोनों राज्यों का दौरा कर वहाँ की जनता की राय जानकर अपनी रिपोर्ट तैयार की जिसमें लिखा था कि दोनों रियासतों की अधिकांश जनता वृहत् राजस्थान में मिलने के पक्ष में हैं।
इसी सिफारिश को ध्यान में रखते हुए 1 मई, 1949 ई. को मत्स्य संघ (4 रियासतें) को ‘वृहत् राजस्थान संघ’ (14 रियासतें) में मिलाकर इसका नाम ‘संयुक्त वृहत् राजस्थान संघ’ (18 रियासतें) किए जाने की विज्ञप्ति जारी की, जो 15 मई, 1949 ई. को साकार हुई। यह भी निर्णय लिया गया कि संयुक्त वृहत् राजस्थान की राजधानी जयपुर, महाराज प्रमुख-महाराणा भूपाल सिंह, राजप्रमुख-सवाई मानसिंह द्वितीय, उपराजप्रमुख-महाराव भीमसिंह (कोटा) व प्रधानमंत्री – हीरालाल शास्त्री वृहत् राजस्थान के यथावत बने रहेंगे।
मत्स्य संघ के प्रधानमंत्री शोभाराम कुमावत – हीरालाल शास्त्री के मंत्रिमण्डल के मंत्री बने। इस प्रकार राजस्थान के एकीकरण का पाँचवां चरण समाप्त हुआ।
एकीकरण का षष्ठम् चरण- राजस्थान संघ (26 जनवरी, 1950)
1 फरवरी, 1948 ई. को सिरोही को राजपूताना एजेन्सी से हटाकर गुजरात एजेन्सी में रख दिया गया था। 5 जनवरी, 1949 ई. को सिरोही को बम्बई राज्य में मिला दिया गया, लेकिन सिरोही को संयुक्त वृहद् राजस्थान में मिलाने के लिए राजस्थान में निरन्तर प्रयास चल रहे थे।
26 जनवरी 1950 ई. को सिरोही राज्य को दो भागों में विभाजित करके आबू व देलवाड़ा बम्बई राज्य में तथा शेष सिरोही राजस्थान में मिला दिया गया। 26 जनवरी, 1950 ई. को ही इस राज्य का नाम राजस्थान रखा गया और राजस्थान को ‘ब’ श्रेणी का राज्य बनाया गया।
एकीकरण का सप्तम चरण- वर्तमान राजस्थान
( 1 नवम्बर, 1956 राजस्थान संघ के निर्माण के बाद आबू व देलवाड़ा सहित शेष सिरोही को राजस्थान संघ में मिलाने के लिए सिरोही की जनता ने गोकुल भाई भट्ट के नेतृत्व में व्यापक आंदोलन शुरू किया। भारत सरकार ने 1953 ई. में डॉ. फजल अली की अध्यक्षता में एक राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया।
उसी की सिफारिश पर 1 नवंबर, 1956 ई. को आबू और देलवाड़ा सहित सिरोही, केंद्र शासित प्रदेश अजमेर-मेरवाड़ा, मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले की भानपुरा तहसील का सुनेलटप्पा क्षेत्र कोटा में तथा राजस्थान राज्य के झालावाड़ जिले का सिरोंज उपखंड [ जबकि RBSE अनुसार कोटा जिले का सिरोंज उपखण्ड] मध्य प्रदेश में मिलाया गया।
माउंट आबू के विलय में महत्वपूर्ण योगदान गोकुलभाई भटट् का था।
इस प्रकार 1 नवंबर, 1956 ई. को राजस्थान राज्य, राज्यों की प्रथम श्रेणी में आ गया (शुरू में राजस्थान ‘बी’ श्रेणी का राज्य था किंतु राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के लागू होने के बाद राजस्थान ‘ए’ श्रेणी का राज्य बन गया।) अतः अब इसके राजप्रमुख के पद की जगह राज्यपाल का पद सृजित किया गया। श्री गुरुमुख निहाल सिंह को राज्य का प्रथम राज्यपाल नियुक्त किया गया।
ध्यातव्य रहे- भारतीय संविधान के 7वें संविधान संशोधन के अनुसार राजप्रमुख का पद समाप्त कर राज्यपाल का पद सृजित • किया गया। गुरुमुख निहाल सिंह को पद एवं गोपनीयता की शपथ सवाई मानसिंह द्वितीय द्वारा दिलवाई गई थी।
इस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़िया थे, अतः इन्हें ‘आधुनिक राजस्थान का जनक’ कहते हैं। इसी दिन राज्य का 26वाँ जिला अजमेर को बनाया गया।
नोट: राजस्थान में अजमेर के विलय के समय वहाँ के मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय थे, तो अजमेर-मेरवाड़ा में संविधान सभा के सदस्य मुकुट बिहारी भार्गव थे।
अभ्यास प्रश्न
1. किस समिति ने ‘मत्स्य संघ’ के वृहद् राजस्थान में विलय की अनुशंसा की?
(a) बलवन्त राय मेहता
(b) फजल अली
(c) वी. एन. गाडगिल
(d) शंकर राव
Answer – (d)
2. मत्स्य संघ का राजस्थान में विलय कब हुआ?
(a) 18 अप्रैल, 1948
(b) 30 मार्च, 1949
(c) 15 मई, 1949
(d) 26 जनवरी, 1950
Answer – (c)
3. संयुक्त राजस्थान का अप्रैल 18, 1948 को किसने उद्घाटन किया ?
(a) माणिक्यलाल वर्मा
(b) जवाहरलाल नेहरू
(c) महात्मा गाँधी
(d) के. एम. मुन्शी
Answer – (b)
4. अजमेर-मेरवाड़ा का राजस्थान में विलय कब हुआ ?
(a) 26 जनवरी, 1956
(b) 1 नवम्बर, 1956
(c) 26 जनवरी, 1956
(d) 30 मार्च, 1949
Answer – (b)
5. 25 मार्च, 1948 को गठित राजस्थान संघ में निम्नलिखित देशी रियासतों का कौनसा समूह सम्मिलित नहीं था-
(a) कोटा, बून्दी, झालावाड़, शाहपुरा
(b) डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़, टोंक
(c) उदयपुर, डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़.
(d) कोटा, बून्दी, किशनगढ़, शाहपुरा
Answer – (c)
6. बी. टी. कृष्णमाचारी किस राज्य के दीवान थे ?
(a) मेवाड़
(b) जोधपुर
(c) जयपुर
(d) जैसलमेर
Answer – (c)
7. शंकर राव देव समिति का गठन धौलपुर एवं भरतपुर राज्यों की जनता की इस बात के लिए राय जानने के लिए किया गया था कि- वे राजस्थान अथव उत्तर प्रदेश किसमें मिलना चाहते हैं? इस समिति में अध्यक्ष सहित कितने सदस्य थे-
(a) दो
(b) चार
(c) पाँच
(d) तीन
Answer – (d)
8. ‘मत्स्य संघ’ के अन्तर्गत निम्न में से कौन से देशी राज्य सम्मिलित किये गये?
(a) कोटा, बूँदी, झालावाड़
(b) डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़
(c) जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर
(d) अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली
Answer – (d)
9. मत्स्य संघ का प्रथम राजप्रमुख किस रियासत का शासक बना ?
(a) अलवर
(b) भरतपुर
(c) धौलपुर
(d) करौली
Answer – (c)
10. कितने सोपानों में सिरोही का राजस्थान में विलय हुआ-
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4
Answer – (b)
11. अजमेर का राजस्थान में विलय हुआ था –
(a) 1947 ई० में
(b) 1949 ई० में
(c) 1950 ई० में
(d) 1956 ई० में
Answer – (d)
12. राजस्थान दिवस मनाया जाता है-
(a) 30 मार्च को
(b) 31 मार्च को
(c) 9 जनवरी को
(d) 7 जनवरी को
Answer – (a)
13. स्वतंत्रता से पूर्व राजस्थान में रियासतें थी-
(a) 18
(b) 19
(c) 20
(d) 21
Answer – (b)
14. सिरोही का राजस्थान में विलय कब हुआ-
(a) 30 मार्च, 1949
(b) 29 नवम्बर, 1949
(c) 26 जनवरी, 1950
(d) 1 नवम्बर, 1956
Answer – (c)
15. मत्स्य संघ का उद्घाटन हुआ-
(a) 12 अक्टूबर, 1947
(b) 14 दिसम्बर, 1947
(c) 18 मार्च, 1948
(d) 27 दिसम्बर, 1948
Answer – (c)
16. राजस्थान की सभी रियासतों को मिलाकर राजस्थान यूनियन का गठन करने हेतु 25-26 जून, 1946 ई. को राजपूताना, गुजरात व मालवा के नरेशों का सम्मेलन किसने बुलाया था –
(a) मेवाड़ महाराणा
(b) जयपुर महाराणा
(c) कोटा महाराव
(d) डूंगरपुर महारावल
Answer – (a)
17. 25 मार्च सन् 1948 को संयुक्त राजस्थान में जिस रियासत का विलय हुआ था, वह थी –
(a) सिरोही
(b) भरतपुर
(c) प्रतापगढ़
(d) अलवर
Answer – (c)
18. राजस्थान राज्य का वर्तमान स्वरूप जिस तारीख से है, वह है ?
(a) 15 अगस्त, 1947
(b) 30 मार्च, 1949
(c) 26 जनवरी, 1950
(d) 1 नवम्बर, 1956
Answer – (d)
19. 1949 में वृहत् राजस्थान का प्रधानमंत्री किसे बनाया गया-
(a) गोकुलभाई भट्ट
(b) हीरालाल शास्त्री
(c) जयनारायण व्यास
(d) माणिक्यलाल वर्मा
Answer – (b)
20. वर्तमान राजस्थान निर्माण की प्रक्रिया पूर्ण हुई-
(a) 1 नवम्बर, 1956 को
(b) 26 जनवरी, 1950 को
(c) 30 मार्च, 1950 को
(d) 30 मार्च, 1949 को
Answer – (a)
21. मत्स्य संघ के प्रधानमंत्री बनाये गये-
(a) उदयभान सिंह
(b) के. एन. मुंशी
(c) मास्टर आदित्येन्द्र
(d) शोभाराम
Answer – (d)
22. वृहत् राजस्थान के निर्माण के संबंध में निम्न में से कौनसा गलत है-
(a) वृहत् राजस्थान का विधिवत उद्घाटन जयपुर में सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा किया गया।
(b) जयपुर महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय को राजप्रमुख, महाराणा भूपालसिंह को महाराज प्रमुख तथा कोटा महाराज श्री भीमसिंह को उपराजप्रमुख बनाया गया।
(c) हाईकोर्ट बीकानेर में, शिक्षा विभाग अजमेर, वन व सहकारी विभाग उदयपुर में तथा कृषि विभाग भरतपुर में रखने का निर्णय किया गया।
(d) श्री पी. सत्यनारायण राव की अध्यक्षता में गठित कमेटी की सिफारिश पर जयपुर को राजस्थान की राजधानी घोषित किया गया।
Answer – (c)
23. राजस्थान के एकीकरण से पूर्व गंगानगर किस रियासत का भाग था?
(a) जोधपुर
(b) बीकानेर
(c) सीकर
(d) अलवर
Answer – (b)
24. निम्नलिखित सूची-I का सूची-II से मिलान कीजिए
सूची-1 (श्रेणी) | सूची-II (सम्मिलित राज्य ) |
(A) सी | (i) स्वतंत्रता पूर्व प्रत्यक्ष ब्रिटिश नियंत्रण वाले राज्य |
(B) बी |
(ii) छोटे राज्य, जिन्हें ब्रिटिश काल में चीफ कमिश्नर के प्रांत कहा जाता था।
|
(C) ए |
(iii) स्वतंत्रता उपरांत छोटी-बड़ी रियासतों का
|
एकीकरण कर बनाए गए राज्य सही उत्तर क्रमांक है-
क्र. सं. | A | B | C |
(a) | ii | i | iii |
(b) | i | ii | iii |
(c) | i | iii | ii |
(d) | ii | iii | i |
Answer – (d)
25. राजस्थान के एकीकरण के अंतिम चरण के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौनसे सत्य है?
1. अजमेर-मेरवाड़ा क्षेत्र को राजस्थान में सम्मिलित किया गया
2. सिरौंज का विलय राजस्थान में किया गया।
3. आबू एवं देलवाड़ा को राजस्थान में सम्मिलित किया गया।
4. मत्स्य संघ को राजस्थान में सम्मिलित किया गया।
सही उत्तर विकल्प का चयन कीजिए-
(a) केवल 1 एवं 2
(b) केवल 1, 2 एवं 3
(c) केवल 1 एवं 3
(d) उपर्युक्त सभी
Answer – (c)
26. दक्षिणी राजपूताना के छोटे राज्यों को एककृत करने के लिए किसने ‘हाडौती संघ’ बनाने का प्रस्ताव दिया-
(a) एन. वी. गाडगिल
(b) महाराव भीमसिंह (कोटा )
(c) महाराव बहादुर सिंह (बूंदी)
(d) गोकुल लाल असावा
Answer – (b)
27. राजस्थान की रियासतों के एकीकरण के समय जोधपुर राज्य का महाराजा कौन था?
(a) उम्मेद सिंह
(b) हनुवन्त सिंह
(c) गज सिंह
(d) विजय सिंह
Answer – (b)
28. किस मुख्यमंत्री के काल में राजस्थान के एकीकरण का अंतिम चरण संपन्न हुआ?
(a) जयनारायण व्यास
(b) मोहन लाल सुखाड़िया
(c) हीरालाल शास्त्री
(d) उक्त कोई नहीं
Answer – (b)
29. सिरोही रियासत के संयुक्त वृहद् राजस्थान में एकीकरण के पश्चात राजस्थान को किस श्रेणी का राज्य बनाया गया?
(a) अ श्रेणी
(b) ब श्रेणी
(c) स श्रेणी
(d) द श्रेणी
Answer – (b)
30. राजस्थान निर्माण के तृतीय चरण (संयुक्त राजस्थान) का उद्घाटन निम्न में से किसके द्वारा किया गया?
(a) एन.वी. गाडगिल
(b) वल्लभभाई पटेल
(c) वी.पी. मेनन
(d) जवाहरलाल नेहरू
Answer – (d)
31. नीमराणा चीफशिप (ठिकाना) मत्स्य संघ में कब शामिल हुआ?
(a) 18 मार्च, 1948
(b) 25 अप्रैल, 1948
(c) 25 मार्च, 1948
(d) 18 अप्रैल, 1948
Answer – (a)
32. राजस्थान संघ के विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए, किस महाराजा ने कहा था कि “मैं अपने डेथ वारण्ट पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ”-
(a) बहादुरसिंह (बूंदी)
(b) भीमसिंह द्वितीय (कोटा)
(c) चन्द्रवीरसिंह (बाँसवाड़ा)
(d) लक्ष्मणसिंह (डूंगरपुर)
Answer – (c)
33. मत्स्य संघ का उद्घाटन किसके द्वारा किया गया?
(a) जवाहरलाल नेहरू
(b) एन.वी. गॉडगिल
(c) के. एम. मुंशी
(d) वी.पी. मेनन
Answer – (b)
34. मत्स्य संघ का राजप्रमुख किसे बनाया गया था?
(a) गणेशपाल (करौली)
(b) बृजेन्द्र सिंह (भरतपुर)
(c) तेजसिंह (अलवर)
(d) उदयभान सिंह (धौलपुर)
Answer – (d)
35. मत्स्य संघ का क्षेत्रफल लगभग कितना था ?
(a) 7405 वर्ग किमी.
(b) 12000 वर्ग किमी.
(c) 7305 वर्ग किमी.
(d) 6290 वर्ग किमी.
Answer – (b)